-डेथ सर्टिफिकेट नहीं मिलने से रुक गया क्लेम

-15 से 29 जुलाई तक बंद रहा पोर्टल

केस-1

हनुमान फाटक के रहने वाले मोहित जायसवाल ने बर्थ सर्टिफिकेट पर बच्चे का नाम जुड़ने वाले के लिए 19 जुलाई को नगर निगम में आवेदन किया था, लेकिन अभी तक संशोधित बर्थ सर्टिफिकेट जारी नहीं किया गया।

केस-2

सुंदरपुर के रहने वाले मनीष सेठ के पिता रामजी की सड़क हादसे में मौत हो गई थी। डेथ सर्टिफिकेट के लिए नगर निगम में आवेदन किया था, लेकिन अभी तक जारी नहीं हुआ, जिससे वह बीमा राशि के लिए क्लेम नहीं कर पा रहे हैं।

और अटक गए सर्टिफिकेट

ये दो केस सिर्फ उदाहरण के लिए हैं। ऐसे हजारों लोग हैं, जिन्होंने बर्थ और डेथ सर्टिफिकेट के लिए नगर निगम में आवेदन किया है। एक अनुमान के अनुसार 40 हजार ऐसे आवेदक हैं जिन्होंने नये बर्थ सर्टिफिकेट, नाम, पता व अन्य जानकारियों में संशोधन के लिए आवेदन किया है। जिन्हें निर्गत नहीं किया जा सका है। सब रजिस्ट्रार की आईडी से फर्जी तरीके से सर्टिफिकेट जारी होने का मामला सामने आने पर 16 से 29 जुलाई तक पोर्टल बंद था, इसके चलते इस दौरान एक भी सर्टिफिकेट जारी नहीं हुआ। इस पीरियड के करीब 60 हजार सर्टिफिकेट अटक गए हैं।

लोकल आईडी से जारी होगा सर्टिफिकेट

नगर स्वास्थ्य अधिकारी के अनुसार 15 से 29 जुलाई तक पोर्टल बंद होने से बड़ी संख्या में सर्टिफिकेट अटक गए हैं। हालांकि पोर्टल शुरू हो गया है, लेकिन बैक डेट में सर्टिफिकेट जारी नहीं होता है। ऐसी स्थिति में लोकल आईडी से ही सर्टिफिकेट जारी हो सकता है। इसलिए सीएमओ के जरिए चीफ रजिस्ट्रार से स्पेशल परमिशन मांगी गई है। उम्मीद है कि एक-दो दिन में परमिशन मिल जाएगी तो 15 दिन के अंदर अटके हुए सर्टिफिकेट जारी हो जाएंगे।

दिल्ली से बंद किया गया था पोर्टल

स्वास्थ्य विभाग में फर्जी आईडी-पासवर्ड के सहारे फर्जी बर्थ-डेथ सर्टिफिकेट जारी होने का मामला सामने आया था। इसके बाद दिल्ली से ही वाराणसी की आईडी लॉक कर दी गई थी। पोर्टल बंद होने से बर्थ-डेथ सर्टिफिकेट जारी होना बंद हो गया। जांच में पता चला कि जालसाज मोटी रकम लेकर सर्टिफिकेट दिया करते थे। दरअसल, पोर्टल में नगर निगम की ओर से नगर स्वास्थ्य अधिकारी रजिस्ट्रार हैं। वहीं नगर क्षेत्र को पांच जोन में बांटते हुए उनके नीचे पांच सब-रजिस्ट्रार भी हैं, लेकिन जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र केवल रजिस्ट्रार की आइडी-पासवर्ड से ही जारी किए जाते हैं।

बन चुके 1000 से अधिक प्रमाणपत्र

विभागीय सूत्रों के मुताबिक इस जालसाजी के सहारे करीब 1000 प्रमाणपत्र बनाए जा चुके हैं। जन्म या मृत्यु प्रमाणपत्र फर्जी तरीके से बनाने में साइबर अपराधी सक्रिय हैं। लोगों से एक प्रमाणपत्र के एवज में 1500 से लेकर 3000 रुपये तक वसूले जाते। इसका पता शिकायत मिलने पर या सत्यापन के दौरान चलता है।

::: कोट :::

तकनीकी गड़बड़ी मिलने पर दिल्ली से ही पोर्टल बंद कर दिया गया। इसके चलते बड़ी संख्या में अप्लीकेशन पेंडिंग हो गए हैं। स्पेशल परमिशन मांगी गई है, उम्मीद है कि मिल जाएगी। इसके बाद सभी को सर्टिफिकेट जारी हो जाएगा।

-डॉ। एनपी सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी

Posted By: Inextlive