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वाराणसी (ब्यूरो)मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त इस्लामिक संगठन पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और इससे जुड़े 8 अन्य संगठनों पर 5 साल का बैन लगा दिया है। बुधवार सुबह 6.30 बजे इसका ऐलान किया गया। पीएफआई पर बैन की खबर लगते ही सोशल मीडिया पर कमेंट की बाढ़ आ गई। पीएफआई पर बैन की वकालत करने वालों की संख्या 99 प्रतिशत है। पीएफआई पर बैन की वकालत करते वक्त अधिकतर लोगों ने एक धर्म को भी निशाने पर लिया। तर्क दिया कि सिमी की तरह पीएफआई के सदस्य भी एक धर्म के लोग ही है। सिमी संगठन का यही हाल था। दोनों की गतिविधियां देश विरोधी हैं, ऐसे संगठन के सदस्यों पर सख्ती की जरूरत है। पीएफआई पर बैन की खबर आने के बाद लोगों ने खुशी जाहिर की है। सोशल मीडिया पर भी पीएफआईबैन ट्रेंड कर रहा है। लोग सोशल मीडिया के जरिए अपनी भावनाओं का इजहार कर रहे हैं. लंबे समय से थी मांग फेसबुक पर डा। डीडी दुबे लिखते हैं कि पीएफआई पर बैन की मांग लंबे समय से की जा रही थी, लेकिन सरकार ने किसी तरह की जल्दबाजी करने के बजाय पहले जांच की, संदिग्धों को पकड़ा, पूछताछ की, पर्याप्त सबूत जुटाए और इसके बाद बैन लगाया। पिछले दिनों देशभर में एनआईए और ईडी के छापे इसी का हिस्सा थे. फैसले का स्वागत हिंदू युवा वाहिनी के मंडल प्रभारी अंबरीश सिंह भोला अपने फेसबुक समेत सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लंबे समय से पीएफआई पर बैन की वकालत करते रहे हैं। केंद्र सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। देश विरोधी मूवमेंट में शामिल लोगों की खिलाफत वह करते रहेंगे. सख्त कार्रवाई हो सोमनाथ विश्वकर्मा ने भी फेसबुक के जरिए कहा कि अब राजनीति से ऊपर उठकर राच्य सरकारों को कार्रवाई करना चाहिए। जैसा सिमी के साथ हुआ, ऐसा न हो। सोनिया गांधी संसद में सिमी का पक्ष ले रही थीं तो अदालतों में उनके नेता वकील बनकर केस लड़ रहे थे। खासतौर पर केरल और बंगाल में ऐसी मानसिकता वालों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. लठैत सरकार की जरूरत सोशल मीडिया पर सक्रिय गणेश शंकर तिवारी कहते हैं कि पीएफआई बैन से च्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है। पीएफआई खत्म हुआ, अब यही लोग मिलकर कोई नया संगठन बना लेंगे। जैसा सीमी के साथ हुआ था। जरूरत एक लठैत सरकार की है, जो इन लोगों को समय समय पर दवा देती रहती। क्योंकि इनसे सुधरने की उम्मीद नहीं रखी जा सकती. Posted By: Inextlive