राजा और मंत्री की आपस में बने तो प्रजा हर रोज दिवाली और होली मनाये। वहीं अगर इसके उलट राजा और मंत्री में दुराव हो तो जनता के नसीब में रोना ही आता है। हालांकि इस बार जनता को रोना नहीं पड़ेगा क्योंकि राजा और मंत्री की प्रवृति शत्रुता की नहीं है। दोनों का ही भाव सम है असर प्रजा पर सकारात्मक दिखायी देगा। जी हां यहां हम बात नव संवत्सर 2074 'साधारण' की कर रहे हैं। नव सम्वत का राजा बुध है और मंत्री गुरु है। विद्वानों का कहना है कि दोनों ही मित्र ग्रह हैं। इसलिए इन दोनों की मित्रता जनता के हित में बेहतर होने वाली है।


- 29 मार्च से नव संवत्सर साधारण की हो रही है शुरुआत, राजा हैं बुध और मंत्री रहेंगे बृहस्पति- दोनों ग्रहों की प्रवृति है शांत, समभाव होने के चलते फल होगा अनुकूल- वर्षा होगी अच्छी, फसल भी होगी भरपूर, बढ़ेंगे धार्मिक क्रियाकलापबुध और बृहस्पति में समभाव


ज्योतिषविद् पंडित चक्रपाणि भट्ट बताते हैं कि ग्रहों की स्थिति का सीधा असर पृथ्वी पर रहने वालों पर पड़ता है। हर ग्रह की अपनी खास प्रवृति होती है। बुध और बृहस्पति दोनों ही शांत ग्रह हैं। बुध की किसी से भी शत्रुता नहीं होती। इसलिए दोनों ग्रहों के बीच सम भाव है। राजा और मंत्री मिलकर प्रजा के हित में कार्य करेंगे। दोनों ही ग्रह बुद्धि से भरपूर हैं। अपने बुद्धि और विवेक के निर्णय से जो निर्णय लेंगे उसमें करेंगे उसके पीछे एक बेहतरी का भाव होगा। वर्षा अच्छी होगी, आर्थिक नीतियां प्रजा के पक्ष में रहेंगी। भारत कृषि प्रधान देश है इसलिए अच्छी वर्षा का सीधा असर कृषि पर दिखेगा।पहला दिन तय करता है राजा

पंडित चक्रपाणि भट्ट बताते हैं कि वासंतिक नवरात्र का पहला दिन ही राजा तय करता है। इस बार नवरात्र की शुरुआत 29 मार्च, बुधवार को हो रही है। इस तरह से नव सम्वत् का राजा बुध होगा। इसी तरह मंत्री का नाम मेष संक्राति सतुआ संक्राति से तय होता है। इस बार मेष संक्राति गुरुवार को पड़ रही है जिससे मंत्री बृहस्पति होगा।आठ दिनों का है नवरात्रशक्ति की अधिष्ठात्री भगवती की आराधना के पर्व वासंतिक नवरात्र की शुरुआत 29 मार्च, बुधवार से हो रही है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार प्रतिपदा और द्वितीया तिथि दोनों एक ही दिन पड़ेगी। 28 मार्च की शाम प्रतिपदा तिथि 10.30 बजे से शुरू होकर अगले दिन 6.33 बजे तक रहेगी। द्वितीया तिथि का क्षय होने के चलते इस बार नवरात्र आठ दिन का होगा। समापन 5 अप्रैल रामनवमी पर हवनोपरांत होगा। नवरात्र व्रत का पारन दशमी को उदयातिथि के अनुसार 6 अपैल को किया जायेगा।

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