बनारस में 5 हजार से ज्यादा पालतू कुत्ते अब तक सिर्फ 60 आवेदन कुत्ते व बिल्ली के रजिस्ट्रेशन के नाम पर नगर निगम कर रहा सिर्फ खानापूर्ति

वाराणसी (ब्यूरो)पालतू कुत्तों के लाइसेंस बनाने को लेकर नगर निगम बेपरवाह है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि शहर में 5 हजार से ज्यादा पालतू कुत्ते होने का अनुमान खुद नगर निगम का है, लेकिन लाइसेंस अब तक किसी का नहीं हुआ है। जहां पिछले साल महज 100 कुत्तों का रजिस्ट्रेशन हुआ था, वहीं इस साल अब तक सिर्फ 60 आवेदन ही आए हैैं। हालांकि इससे पहले कभी भी इस पर गौर नहीं किया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश के बाद अफसर भी सख्त हो गए हैैं। ऐसे में पशु स्वामी जिन्होंने पालतू कुत्ते का लाइसेंस नगर निगम से नहीं लिया है। वह जल्द से जल्द लाइसेंस बनवा लें, वरना जुर्माना भरना पड़ सकता है.

नगर निगम प्रशासन ने नगरवासियों के लिए बुधवार को चेतावनी भरा फरमान जारी किया और बताया कि पालतू कुत्ते व बिल्लियों का पंजीकरण अनिवार्य है। इसके लिए नगर आयुक्त प्रणय ङ्क्षसह ने नगर निगम के पशु चिकित्सा अधिकारी डा। अजय प्रताप ङ्क्षसह को निर्देशित किया है कि शहरवासी घरों में कुत्ता या बिल्ली पालने वालों पर अभियान चलाकर उनका पंजीकरण कराया जाए।

एक वर्ष का होता है रजिस्ट्रेशन

शहर में कुत्ते या बिल्ली का शौक रखने वाले के लिए विभाग द्वारा रजिस्ट्रेशन एक वित्त वर्ष यानी 1 अप्रैल से लेकर 31 मार्च तक के लिए होता है। इसके लिए सिर्फ 200 रुपये चार्ज रखा गया है। इसके उपरांत यदि आपका पालतू जानवर जीवित है तो उसे अगले वित्तीय वर्ष के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य हो जाता है। रजिस्ट्रेशन न कराने पर 500 से लेकर 5000 रुपये तक अर्थदंड लगता है.

विभाग के पास कोई डाटा नहीं

अमूमन बनारस शहर में हर पांच या दस घरों को छोड़ लोग पालतू जानवर रखते हैैं। लेकिन, नगर निगम के पास इनका कोई डाटा नहीं है। शहर में जानवर प्रेमी कुत्ते और बिल्ली के अलावा खरगोश और तोता का पालन भी करते हैं। आप जब दशाश्वमेध घाट के लेन से लेकर चौक एरिया में जाते हैैं तो सैकड़ों लोग ऐसे दिख जाएंगे, जिन्होंने तोता पाल रखा है और उसे पिंजरे में कैद करके रखा है.

आवारा कुत्तों के लिए नहीं गाइडलाइन

आवारा कुत्ते के मसलों पर नगर निगम के पशु चिकित्सा अधिकारी हाईकोर्ट का हवाला देकर कहते हैं कि उनको भी जीवन जीने का अधिकार है। हमारी टीम द्वारा किसी भी आवारा कुत्ते या बिल्ली को उसकी लोकेशन से नहीं हटाया जा सकता है। हां, उसको कंट्रोल करने के लिए स्थानीय रहवासियों की मदद से खाना खिला करके एक गली से दूसरी गली की तरफ जहां लोगों की कम आवक हो, वहां पर छोड़ा जा सकता है।

ये हैैं आंकड़े

-पिछले वित्तीय वर्ष में 100 कुत्तों का रजिस्ट्रेशन

-चालू वित्तीय वर्ष में मात्र 60 आवेदन रिसीव

-तोता का दो वर्षों में एक भी रजिस्ट्रेशन नहीं

-बिल्ली का दो वर्षों में एक भी रजिस्ट्रेशन नहीं

-खरगोश का भी दो वर्षों में रजिस्ट्रेशन नहीं

पालतू कैटेगरी के जानवर

तोता

बिल्ली

खरगोश

कुत्ता

रजिस्ट्रेशन के अवेलेबल काउंटर

-पशु चिकित्सा केंद्र, बीएचयू

-राजकीय पशु चिकित्सा केंद्र, विद्यापीठ ब्लाक

-राजकीय पशु चिकित्सा केंद्र, कलेक्ट्री फार्म

-पशु खैर केंद्र, चिरईगांव

हम लोगों को प्रचार-प्रसार एवं एनजीओ की मदद से लगातार सूचना दे रहे हैं। अभी हमें आवेदन काफी धीमी स्पीड से मिल रहे हैं। आवारा जानवरों के लिए कोई गाइडलाइन नहीं है.

डाअजय प्रताप सिंह, पशु चिकित्सा अधिकारी, नगर निगम

Posted By: Inextlive