- किरायेदारों, नौकरों और कर्मचारियों का होगा पुलिस वेरिफिकेशन

- तैयार किया जा रहा है डाटा बैंक, सत्यापन नहीं कराने वाले मकान मालिकों पर रखी जाएगी नजर

वाराणसी में हो रही क्राइम की घटनाओं में अधिकतर बाहरी लोगों का हाथ पाया जाता है। अगस्त में चौकाघाट के पास हुई अभिषेक सिंह प्रिंस की हत्या में जौनपुर के लोगों का नाम सामने आया। इसके अलावा बिहार के शूटरों को बुलाकर अपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया जाता है। इसी को ध्यान में रखकर एक बार फिर किरायेदारों, नौकरों और कर्मचारियों का पुलिस सत्यापन अनिवार्य कर दिया गया है। पुलिस इन सभी लोगों का एक डाटा बैंक बनाने की तैयारी में है। इसके साथ अब सत्यापन नहीं कराने वाले मकान मालिकों या प्रतिष्ठिान संचालकों पर पुलिस की कड़ी नजर रहेगी।

सेकेंडों में मिलेगी पूरी जानकारी

शहर में लगातार बढ़ते अपराध को देखते हुए पुलिस ने निषेधाज्ञा कानून के तहत नौकरों, कर्मचारियों और किरायेदारों का सत्यापन अनिवार्य कर दिया है। किराएदारों व नौकरों का सत्यापन नहीं करने वाले मालिकों व प्रतिष्ठान संचालकों के खिलाफ निषेधाज्ञा कानून के तहत कार्रवाई होगी। पुलिस की योजना है कि एक ऐसा डाटा बैंक तैयार हो, जिससे यहां रह रहे किसी भी व्यक्ति के बारे में महज कुछ सेकेंड में पूरी जानकारी मिल जाएगी।

नहीं छुपा सकेगा कोई पहचान

पुलिस के मुताबिक शहर में पड़ोसी को भी नहीं पता कि उसके बगल में रहने वाला व्यक्ति कौन है। संभव है कि कोई छोटा या बड़ा अपराधी पहचान छुपाकर रह रहा हो। घर से बाहर निकलकर कोई व्यक्ति अपराध करता हो और घर आने के बाद शराफत का चोला ओढ़ लेता हो। लेकिन जब सभी लोगों का सत्यापन होगा तो कोई भी व्यक्ति ज्यादा समय तक धोखा नहीं दे सकेगा।

सीसीटीवी से निगरानी की तैयारी

शहर में सभी सोसायटी, हाईराइज इमारतों व बाजारों में सीसीटीवी कैमरा लगाने के लिए पुलिस संबंधित लोगों को प्रेरित कर रही है। चूंकि काफी जगहों पर कैमरे लगे हैं। लेकिन उनके लोकेशन सही नहीं होने की वजह से पुलिस को मदद नहीं मिल पा रही है। ऐसे में पुलिस उन्हें बताने का प्रयास कर रही है कि कैमरे का फोकस कैसे रखा जाए। इससे लोगों को अपने आसपास होने वाले अपराध से निपटने में काफी मदद मिलेगी। वहीं कहीं कोई अपराध होने पर पुलिस बदमाशों की आसानी से पहचान कर सकेगी। इसके लिए पुलिस लगातार विभिन्न सामाजिक संगठनों, जन प्रतिनिधियों, व्यापारियों संगठनों के साथ बैठक करेगी।

ये होगा फायदा

- पुलिस के पास रहेगा सबका डाटा

- किसी बाहरी की अपराध में संलिप्तता पायी जाती है तो उसे ट्रेस करने में आसानी होगी

- वेरिफिकेशन के बाद बाहरी व्यक्ति हिचकेगा

- अपराध रोकने में पुलिस को मिलेगी मदद

नौकरों और किरायेदारों के सत्यापन की प्रक्रिया पहले से ही चल रही है। वैसे तो एतिहातन मकान मालिकों को खुद ही किरायेदारों और प्रतिष्ठान को नौकरों का सत्यापन करा लेना चाहिए। घटना होने के बाद ऐसे लोगों को ढूंढना मुश्किल होता है।

-अमित पाठक, एसएसपी

Posted By: Inextlive