शहर के कई इलाकों में बने रोड ब्रेकर बन गए हैैं हादसे का सबब मानक गति से आने पर भी उछल जाते हैैं बाइक सवार मानक के अनुरूप टेबल टॉप ब्रेकर शहर में कहीं नहीं

वाराणसी (ब्यूरो)बनारस शहर स्मार्ट हो गया है। इसकी तस्दीक कई विभागों की डेवलपमेंट की फाइलें करती हैैं। पीडब्ल्यूडी, नगर निगम, राज्य सेतु निगम समेत अन्य विभाग भले ही यहां की सड़कों पर स्पीड कंट्रोल के लिए ब्रेकर बनाए हों, लेकिन सच यह है कि मानकों को ताक पर रखकर बनाए गए ब्रेकर वाहन चालकों को घायल तो कर ही रहे। साथ ही कई मामलों में जान भी ले रहे हैैं.

केस-1

लहरतारा में ओल्ड लोको कॉलोनी के पास 15 मार्च की रात में ब्रेकर से स्कूटी के फिसलने पर एक महिला गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गई थी। उसे राहगीरों ने एंबुलेंस बुलाकर किसी तरह से अस्पताल भिजवाया.

केस-2

बीएचयू की बाउंड्री से लगे छित्तुपर रोड पर सनबीम के पास कई स्पीड ब्रेकर हैैं। दो वीक पहले ऑफिस जा रहे सूर्यकांत की बाइक यहां से फिसल गई और वह गंभीर रूप से घायल होने से बचे.

बता दें कि रोजाना लाखों की तादात में शहर की चार दर्जन से अधिक पब्लिक सड़कों पर सफर करती है। लहरतारा लोको कॉलोनी के पास रोड पर बने स्पीड ब्रेकर इतने हार्ड और कोनिकल हैैं कि जब कोई बाइक सवार क्रॉस करता है तो अनबैलेंस हो जाता है। इसमें सबसे अधिक खतरा वाहन पर पीछे बैठे बच्चे और महिलाओं को होती है। चूंकि, बाइक पर पीछे बैठे बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को पता नहीं रहता है कि सड़क पर ब्रेकर आ गया है। यही नहीं कई स्थानों पर रोड ब्रेकर के साइड में खुला नाला या बिजली का खंभा है। कई बार दिन व रात में ब्रेकर से बचने के चक्कर में नाले में गिरकर व बिजली के पोल से टकराकर घायल हो जाते हैैं।

उछाल देते हैैं स्पीड ब्रेकर

शहर के लहरतारा, लंका, पांडेयपुर, कमच्छा, सुंदरपुर, मैदागिन, रेवड़ी तालाब, छित्तुपुर, नई बस्ती, मलदहिया समेत दो दर्जन से अधिक इलाकों में अमानक जानलेवा स्पीड ब्रेकरों की भरमार है। रेवड़ी तालाब, बीएचयू छित्तुपुर और लहरतारा के हार्ड और शंकू के शेप वाले ब्रेकर को क्रास करने के दौरान बाइक सवार को अचानक झटका लगता है और उतरते ही उछलने जैसा अनुभव होता है.

स्पीड ब्रेकर बना रहे हड्डी रोगी

रोड पर सुरक्षा के लिहाज से एक या दो ब्रेकर ही वाहनों की रफ्तार को रोकने के लिए काफी हैैं। लेकिन, शहर के कई इलाकों में चार से छह की तादात में लगातार बने कमरतोड़ू ब्रेकर सालों से इधर से गुजरने वालों वाहन चालकों को अब हड्डी रोग का मुफ्त में बांटने लगे हैैं.

स्कूल और एम्बुलेंस को दिक्कत

आपात स्थिति और गोल्डेन ऑवर में गंभीर पेशेंट को नजदीकी हास्पिटल पहुंचाने में भी ये ब्रेकर की आफत से कम नहीं होते हैैं। प्रसव पीड़ा से जूझ रही महिलाओं को हास्पिटल ले जाने के दौरान वाहन चालकों को बड़ा रिस्क रहता है। स्कूल जाने और लौटने के दौरान लाखों स्टूडेंट को भी बस के ब्रेकर से गुजरने पर असहज होना पड़ता है.

टेबल टॉप ब्रेकर से परहेज क्यों?

भारतीय सड़क कांग्रेस यानि आईआरसी के दिशा-निर्देशों के मुताबिक एक आदर्श स्पीड ब्रेकर यानी टेबल टॉप ब्रेकर की ऊंचाई 10 सेंटीमीटर, लंबाई 3.5 मीटर और वृत्ताकार क्षेत्र यानी कर्वेचर रेडियस 17 मीटर होना चाहिए। साथ ही ड्राइवर को सचेत करने के लिए स्पीड ब्रेकर आने से 40 मीटर पहले एक चेतावनी बोर्ड लगा होना चाहिए। स्पीड ब्रेकर का मकसद गाडिय़ों की रफ्तार को 20 से 30 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंचाना है.

इन ब्रेकरों से बहुत घटनाएं होती हैैं। रात के समय में तो स्थिति और भी दयनीय होती है। कई बार शिकायत करने के बाद भी विभाग हरकत में नहीं आता है। इधर, लोग सड़क पर धक्के खाते रहते हैैं.

कृष्ण मौर्यवंशी, समाजसेवी

ऊंचाई वाले स्पीड ब्रेकर गलत है। जिस भी विभाग की सड़क होगी, उसे तत्काल अमान ब्रेकर हटाने चाहिए और जरूरी पडऩे पर मानक वाले ब्रेकर बनाने होंगे.

विशाल काशी, स्थानीय यूथ

शहर में स्मार्ट सिटी, पुल निर्माण व मरम्मत के लिए स्पीड ब्रेकर बनाए गए होंगे। पीडब्ल्यूडी की सड़कों पर बने ब्रेकर को चिह्नित किया जाएगा। जरूरी होने पर टेबल टॉप स्पीड ब्रेकर बनाए जाएंगे व जरूरी नहीं होने पर अमानक ब्रेकरों को तोड़कर हटा दिया जाएगा.

सुग्रीव राम, एक्सईएन, पीडब्ल्यूडी

Posted By: Inextlive