काम नहीं आ रही अवेयरनेस रोजाना हादसे के शिकार हो रहे वाहन सवार


वाराणसी (ब्यूरो)चुनार में डेढ़ साल पहले चेतगंज निवासी मोहित गुप्ता (46) की बाइक फिसली और ट्रक से दबकर मौत हो गई। इस घटना के बाद पूरी फैमिली तबाह हो गई। जीवन-यापन के लिए मां व पत्नी को ही नहीं, बल्कि बेटी को भी घर से निकलना पड़ा। इसी तरह एनएच मोहन सराय के पास सुंदरपुर के आशुतोष सिंह की मौत के बाद पूरी फैमिली को लग्जरी लाइफ छोड़कर गांव लौटना पड़ा। मोहित व आशुतोष की तरह बनारस में कई ऐसी फैमिली हैं, जहां एक छोटी सी चूक जिंदगीभर का दर्द दे रही है। ट्रैफिक रूल्स को लेकर बनारस में अवेयरनेस की बात तो बार-बार होती है, लेकिन हादसों पर अंकुश नहीं लग पा रहा। एक्सपर्ट ने हादसों की वजह सड़कों की खराब इंजीनियरिंग बताई है। वहीं, आंकड़ों की मानें तो सर्वाधिक हादसे हाइवे पर हुए हैं।

558 हादसे, 354 ने गंवाई जान

पुलिस विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो वाराणसी में साल 2023 में 558 सड़क दुर्घटना हुईं, जिसमें 354 लोगों की जान गई। दिसंबर में सबसे अधिक 27 मौत हुई थीं। सबसे भीषण हादसा फूलपुर थाना के सुरही गांव के पास चार अक्टूबर 2023 की भोर में हुआ था। इसमें कार सवार आठ लोगों की मौत हो गई थी।

एनएच पर सर्वाधिक 130 मौतें

लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता ने रोड एक्सीडेंट से जुड़ी चौंकाने वाली जानकारी दी है। स्मार्ट और वीआईपी सिटी में शामिल वाराणसी में नेशनल हाईवे, स्टेट हाईवे, एमडीआर, ओडीआर के साथ फ्लाईओवर, आरओबी, फुलवरिया फोरलेन भी हैं। इन सड़कों पर लगातार एक्सीडेंट हुए हैं। 2023 में सबसे अधिक मौतें 130 नेशनल हाइवे पर हुई हैं। जबकि स्टेट हाईवे पर 85, मेजर डिस्ट्रिक्ट रोड (एमडीआर) पर 50 और अदर डिस्ट्रिक्ट रोड (ओडीआर) पर 35 लोगों ने दम तोड़ दिया।

ट्रैफिक सेंस ही नजर आता गड़बड़

हादसों की वजह की बात करें तो ट्रैफिक सेंस ही गड़बड़ नजर आता है। रॉन्ग साइड ड्राइविंग या लिमिट से बाहर स्पीड जिंदगी छीन रही है। शहर के अंदर से लेकर हाईवे तक ट्रैफिक रूल फॉलो नहीं किए जाते। एक चालक की गलती दूसरे व्यक्ति या वाहन चालक पर भारी पड़ जाती है। यही वजह पिछले जनवरी से अब तक 60 से ज्यादा लोगों की मौत सड़क हादसों में हो चुकी है। आसपास समेत पूरे पूर्वांचल के जनपदों में 58 दिन में 430 से अधिक मौत हुई है.

शॉर्ट-कट के चक्कर में टूट रहे रूल

बनारस में नेशनल और स्टेट हाईवे पर दिनभर में हजारों वाहन गुजरते हैं। लेकिन मौका मिलते ही वाहन चालक ट्रैफिक नियम तोडऩे से नहीं चूकते। पुलिस दिखे तो भी रफ्तार कम नहीं होती। फुलवरिया फोरलेन पर शिवपुर से आने वाले बहुत से वाहन महज 10 सेकंड का समय बचाने के लिए सर्कल का चक्कर लगाने की बजाय रॉन्ग साइड ही चलते हैं। दिन के समय भी एक तरफ कुछ क्षण के लिए वाहनों की कतार लग जाती है तो आगे निकलने के लिए बाइक, गाड़ी या टेंपो जैसे व्हीकल रॉन्ग साइड में दौड़ा दिया जाता है। इस शॉर्ट कट से रूल तो टूट ही रहे हैं, यह जाम की भी बड़ी वजह बनती है.

पीडि़त बोले- जरूर लगाएं हेलमेट

चेतगंज निवासी शांति देवी ने बताया, उनका बेटा मोहित गुप्ता बारात करने के लिए बाइक से ही चुनार गया था। इकलौता था, इसलिए उनका वही सहारा था। वह अक्सर बेटे से हेलमेट लगाने के लिए कहती थीं, लेकिन मोहित उनकी बात को इग्नोर कर देता था। वह कहते-कहते रोने लगीं कि अगर उनके बेटे ने उनकी बात मान ली होती तो वह आज भी मेरे पास होता। बेटे की मौत के बाद मेरा पूरा परिवार डिस्टर्ब हो गया। घर का खर्च चलाने के लिए बहू और पोती को साड़ी की दुकान पर नौकरी करने के लिए मजबूर होना पड़ा। मेरी तरह किसी और आंगन सुना न हो, इसलिए बाइक चलाने वाले हेलमेट जरूर लगाएं.

सुंदरपुर निवासी सुशीला बताती हैं कि दो साल पहले उनके पति रत्नेश बाइक से भदोही गए थे। लौटते समय मोहन सराय के पास ट्रक की चपेट में आने से पति की मौत हो गई। इस घटना के बाद मेरी जिंदगी बेपटरी हो गई। वह घटना के बारे में बताते-बताते रोने लगीं। उन्होंने कहा, मेरे पति प्रॉपर्टी का काम करते थे। मेरे बच्चे अच्छे स्कूल में पढ़ते थे। लाइफ अच्छी चल रही थी, लेकिन पति की मौत के बाद सब बर्बाद हो गया।

सड़कें भी मुख्य वजह

पीडब्ल्यूडी के रिटायर्ड एक्सईएन पीएन माथुर ने कहा, रोड एक्सीडेंट के लिए सड़कें भी मुख्य वजह हैं। आजकल सड़कों की क्वालिटी अच्छी नहीं होती है। तारकोल की मात्रा मानक से बहुत कम होती है। हल्की बारिश या एक-दो महीने में गिट्टी उखड़ जाती हैं। तेज रफ्तार होने की वजह से अक्सर बाइक फिसल जाती है और दुर्घटना हो जाती है। कुछ मार्गों पर ढलान बहुत ज्यादा रहती है। इससे माल से लदे भारी वाहनों के अक्सर ब्रेक नहीं लग पाते और कई बार वे अनियंत्रित होकर दूसरी लेन में चल रहे वाहनों को भी रौंद देते हैं।

Posted By: Inextlive