रोशनी का त्योहार दीपावली भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी धूमधाम से मनायी जाती है. विधि विधान से गणेश-लक्ष्मी की पूजा और जमकर आतिशबाजी भी होती है. पिछली बार कोरोना की वजह से खासा उत्साह नहीं था लेकिन इस बार कोरोना का असर कम होने से दीपावली को लेकर जबरदस्त उत्साह है और खास भी है

वाराणसी (ब्यूरो)। बनारस की प्रसिद्ध गुलाबी मीनाकारी से सजी चांदी की गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियों की डिमांड ब्रिटेन समेत अन्य देशों में ज्यादा है। यही वजह है कि पिछले एक माह के अंदर बनारस से 800 से अधिक मूर्तियां ब्रिटेश भेजी गयी है। बनारस में मूर्ति की कीमत करीब आठ हजार होती, लेकिन ब्रिटेन में 20 से 25 हजार में बिकती है।

राजे-रजवाड़ों के समय से मांग में रही गुलाबी मीनाकारी
पुराने समय में राजे-रजवाडों के मुकुट, और रत्न जड़ति आभूषण पहनने के चलन ने इस कला को बढ़ावा दिया। मुगलकाल में यह कला काशी नगरी में समृद्ध हुई। आभूषणों, सजावटी सामान विशेषकर हाथी, घोड़े, ऊंट, चिडिय़ा, मोर, सोने-चांदी के बर्तनों के अलावा अब गणेश-लक्ष्मी मूर्ति, चेस पर भी गुलाबी मीनाकारी आदि पर की जाने लगी।

सेट तैयार करने में लगता है एक माह
राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए नामित रमेश विश्वकर्मा बताते हैं कि गुलाबी मीनाकारी के गणेश-लक्ष्मी के सेट को तैयार करने में लगभग एक महीने का समय लग जाता है। यह काफी मेहनत और बारीक काम है। गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति का आर्डर दो महीने पहले ही मिल गए थे, जिसे तैयार कर दो सप्ताह पहले ही दे दिया था।

रथ बनाने पर मिला राष्ट्रीय पुरस्कार
मछोदरी के रहने वाले रमेश कुमार विश्वकर्मा को चांदी की गुलाबी मीनाकारी की कारीगरी से रथ बनाने पर राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चयन हुआ है, जिसपर श्रीकृष्ण व अर्जुन विराजमान है। इस कारीगरी को 2018 में प्रस्तुत किया गया था। पहले विशेष रंगों के स्टोन का बारीक पाउडर बनाया जाता है, फिर उसे अनार के दानों से तैयार गोंद में मिलाकर आभूषणों पर पेंट किया जाता है। पेंट सूखने के बाद आभूषण को भ_ी में 1000 डिग्री के तापमान पर गर्म किया जाता है।

प्रदेश सरकार ने मोर का दिया आर्डर
गायघाट के रहने वाले रोहन विश्वकर्मा का चयन राज्य पुरस्कार में हुआ है। रोहन चांदी एवं सोने के ऊपर गुलाबी मीनाकारी का कार्य करते हैं। रोहन बताते हैं कि उनके हाथ के बने गुलाब मीनाकारी मोर सीएम योगी आदित्यानाथ को काफी पंसद आया। प्रदेश सरकार के आर्डर पर 50 मोर बनाकर दिया था। अभी और भी आर्डर मिला है, जिसे तैयार किया जा रहा है।

जर्मनी से आता है पाउडर
सोना व अन्य धातुओं से तैयार पाउडर जर्मनी से मंगाए जाते हैं, जो करीब 400 रुपये प्रति ग्राम की दर से मिलता है। स्लेटी रंग के इस पाउडर को स्टोन पाउडर की तरह ही अनार के सूखे दाने से तैयार गोंद में मिलाकर आभूषणों पर पेंट किया जाता है। भ_ी में सावधानीपूर्वक तपाने से इसका रंग गुलाबी हो जाता है।

पीएम ने दिया था नया मुकाम
गुलाबी मीनाकारी की कला को पीएम नरेंद्र मोदी ने विश्व फलक पर संवारते हुए काशी के शिल्पियों को एक नया मुकाम दिया है, जिससे काशी की इस कला के चर्चे अब वैश्विक फलक पर हो रहे हैं। पीएम मोदी जब भी विदेशी दौरे पर जाते हैं तो गुलाबी मीनाकारी के आइटम ही उपहार स्वरूप भेंट करते हैं। पीएम मोदी ने अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को गुलाबी मीनाकारी शतरंज का सेट भेंट किया तो काशी के इस कला का गुलाबी चटख रंग जीवंत हो गया। ऑस्ट्रेलियाई पीएम स्कॉट मॉरिसन को एक चांदी का गुलाबी मीनाकारी जहाज उपहार में दिया था। इसके पूर्व भी फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रो वाराणसी अपनी पत्नी के साथ आए थे तो ट्रेड फैसिलिटेशन सेंटर में गुलाबी मीनाकारी का एक शानदार झुमका भेंट किया था। इसी तरह जापानी पीएम योशीहिदे सुगा को एक चंदन की बुद्ध प्रतिमा भेंट की थी।


चेस की कीमत 25 हजार रुपये
राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त कुंजबिहारी सिंह के हाथों से तैयार चेज कमला हैरिस को भेंट किया गया था। कुंज बिहारी बताते हैं कि उनके पास आर्डरों की भरमार है। अभी तक योगा मोमेंटो का 12 सेट, चेस का 25 सेट और बड़े हाथी के 12 सेट का आर्डर उनको मिला है। जैसे-जैसे यह तैयार होता जाएगा वैसे-वैसे उसकी डिलीवरी होती जाएगी। शिल्पी कुंज बिहारी सिंह ने बताया कि चेस का सेट तैयार करने में लगभग एक माह का समय लग जाता है। इसकी कीमत लगभग 25 हजार रुपये है। वही योगा सेट की कीमत लगभग बीस हजार रुपये है। जो लगभग बीस दिन में तैयार होता है।

Posted By: Inextlive