-लक्खा मेले में शामिल नाटी इमली के भरत मिलाप में रहे गिनती के लोग -चित्रकूट रामलीला समिति के अयोध्या भवन में किया गया मंचन

काशी के लक्खा मेला के रूप में ख्यात नाटीइमली के भरत मिलाप की अद्भुत झांकी देखने का मौका कुछ भाग्यशाली लोगों को ही मिला। मंगलवार को चित्रकूट रामलीला समिति के लोहटिया स्थित अयोध्या भवन में मंचन के दौरान दो सौ से कम लोगों को ही प्रवेश दिया गया। ऐसे में 477 वर्ष पुरानी विश्वविख्यात लीला की दिव्य झांकी निहारने का सुख पहली बार कुछ ही आंखों को नसीब हुआ। हालांकि इस बार परिसर भले छोटा रहा हो, मगर श्रद्धालुओं के हृदय में श्रद्धा और आस्था के भावों की गहराई में रत्ती भर भी कमी नहीं नजर आई। गोधूलि बेला के साथ रामचरित मानस की चौपाई गूंजी और मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु ने भरत को उठा कर गले से लगा लिया। चारों भाई बारी-बारी से गले मिले और आंखें गंगा-जमुना की धार हो गईं। चारों भइयन की जयकार और हर-हर महादेव के उद्घोष से परिसर गूंजा।

छत पर बना चित्रकूट

लीला के मंचन के लिए अयोध्या भवन की छत को चित्रकूट का रूप दिया गया था तो भवन के भीतर बने हाल में अयोध्या का राजमहल बनाया गया था। लीला प्रसंग अनुसार चित्रकूट की सीमा से हनुमान जी ने अयोध्या जाकर भरत-शत्रुघ्न को प्रभु श्रीराम के आगमन का संदेश दिया। इसके साथ भरत-शत्रुघ्न नंगे पांव अयोध्या व चित्रकूट सीमा की ओर दौड़े चले आए और प्रभु चरणों में साष्टांग दंडवत हुए। प्रभु ने श्रीभरत को उठा कर गले से लगा लिया, चारों भाइयों ने इसे बारी -बारी से दोहराया। श्रद्धा, आस्था में लिपटी इस अद्भुत, अनुपम, नयनाभिराम दृश्यावली ने हृदय में श्रद्धा की अनगिन हिलोरें उठाईं जो पलकों की कोरों को सजल करती नजर आईं। इस छटा को कैद करके स्मृति का हिस्सा बनाने के लिए वहां मौजूद लोगों ने मोबाइल व कैमरे से फोटो और वीडियो भी बनाए।

काशीराज परिवार रहा मौजूद

लीला की परंपरा अनुसार काशीराज परिवार के कुंवर अनंत नारायण सिंह दोनों पुत्रों के साथ लीला स्थल पहुंचे। उन्होंने काशीवासियों को प्रणाम कर स्थान ग्रहण किया। लीला झांकी के दर्शन किए और परंपरानुसार व्यवस्थापक मुकंद उपाध्याय को सोने की गिन्नी भेंट की। मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल भी अपने पुत्र के साथ लीला देखने पहुंचे। प्रसाद स्वरूप फूल को घर ले गए चारों भाइयों का मिलन जिस गद्दी पर हुआ वहां बिखरे फूलों को लीला प्रेमी प्रसाद स्वरूप घर ले गए। वहीं श्री चित्रकूट लीला समिति ने दर्शकों को गोस्वामी पत्ता प्रसाद स्वरूप वितरित किया।

- छतों पर जमे रहे श्रद्धालु

अयोध्या भवन में भरत मिलाप की झांकी देखने के लिए जिन लोगों को लीला समिति की ओर से पास उपलब्ध नहीं हो सका वे अयोध्या भवन के बगल के घरों की छतों से लीला के नयनाभिराम दृश्य को कैद किए। अगल-बगल के घरों पर बच्चों और वृद्धों और महिलाओं की भीड़ दोपहर तीन बजे से ही जमा होनी शुरू हो गई थी।

अयोध्या भवन के गेट के बाहर पुलिस का सख्त पहरा था। बिना पास के किसी को भी अंदर नहीं जाने दिया जा रहा था। कुछ ऐसे लोगों को भी मायूस होना पड़ा जो प्रतिदिन लीला देखने के लिए आते थे। उन्हें पास वितरित होने की जानकारी नहीं हो सकी थी। इस कारण वह प्रवेश नहीं पा सके। इसके बाद भवन के मुख्य गेट पर शरीर का तापमान मापने के बाद ही अंदर जाने की अनुमति दी जा रही थी। गेट पर हाथ को सैनिटाइज भी किया जा रहा था।

सूना रहा नाटीइमली का मैदान

श्रीचित्रकूट रामलीला समिति के 477 वर्षों के इतिहास में यह पहला मौका रहा जब भरत मिलाप के दिन नाटीइमली का मैदान सूना रहा। हालांकि देर शाम कुछ लोग वहां बने मंच पर मत्था टेकते हुए देखे गए। आस्था इतनी थी अगल-बगल के लोगों ने भी शाम को सूर्यास्त के समय मैदान में बने मंच पर मत्था टेक भगवान का आशीर्वाद प्राप्त किया। पीढि़यों से प्रभु का विमान कंधों पर उठाने वाले यादव बंधुओं के लिए इस बार इससे वंचित रहना पीड़ादायी रहा।

Posted By: Inextlive