पद्म विभूषण प्रसिद्ध कथक नर्तक पंडित बिरजू महाराज का बनारस व यहां के संगीत घराने से बेहद खास रिश्ता था. लखनऊ में जन्म जरूर हुआ था लेकिन आत्मीय लगाव काशी से ही था. मुंबई के कला जगत में अधिकतर लोग उन्हें बनारस के बिरजू महराज ही कहते थे. यही वजह थी कि उनकी थिरकन में संगीत तीर्थ बनारस की कथक शैली की छाप साफ नजर आती थी.

वाराणसी (ब्यूरो)काशी के प्रति उनका समर्पण ही था कि ससुराल ही नहीं, काशी में समधियाना भी था। बिरजू महाराज पूर्ण संगीत पुरुष थे, जिनके अंदर गायन, वादन, नृत्य तीनों गुण विद्यमान थे। काशी से उनसे जुड़े लोग कहते हैं, जब भी यहां आते थे यही कहते थे, हमें त बनारस क दुईय चीज ह प्यारी। एक ठे समधियाने क मीठ-मीठ गारी अ दूसर ससुराल क खातिरदारी।

घाट व गलियों में घूमना पंसद था
काशी के गंगा घाट हों या फिर काशी की गलियां, पंडित बिरजू महाराज को यह बेहद पसंद आते थे। शायद यही वजह है कि जब भी बनारस आना होता था तो वे खाली होने के बाद तुरंत अपनी ससुराल पहुंच जाते थे। ससुराल में बनारसी स्वाद का आनंद लेने के साथ ही अपनी स्मृतियों को यहां मौजूद लोगों के साथ साझा करते थे।

काशी आने की इच्छा की थी जाहिर
ठुमरी सम्राट पंडित महादेव मिश्र की बेटी व पंडित बिरजू महाराज के साले की पत्नी मीना मिश्रा घर के सबसे बड़े दामाद के जाने से बेहद दुखी हैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट से विशेष बातचीत में उन्होंने कहा कि आज हमारे सर से एक बड़े का साया उठ गया। घर के सबसे बड़े दामाद होने के नाते वह पूरी जिम्मेदारियों के साथ हम सबका ध्यान रखते थे। वह बताती हैं कि हाल ही में दिसंबर के महीने में हम सभी उनसे मिलने दिल्ली भी गए थे। उन्होंने हमसे बातचीत भी की और घर के प्रत्येक व्यक्ति का हाल-चाल भी जाना। उन्होंने जल्द ही काशी आने की इच्छा भी जाहिर की थी, लेकिन किसी को क्या पता था कि उसके पहले ही यह सब हो जाएगा।

ससुराल जरूर आते थे
मीना मिश्रा ने बताया कि वह काशी जब भी आते थे अपनी ससुराल जरूर आते थे। हम लोगों के साथ बैठकर घंटों बातचीत करना। अपनी स्मृतियों को साझा करना। शादी से लेकर जीवन के संघर्ष के पहलुओं के बारे में हम सभी को बताया करते थे। अपनी बेटी और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ जब यहां आते थे तो अपनी और पत्नी की स्मृतियों को उन सभी के साथ साझा करते थे। आज उनका न होना बहुत ही बड़ा नुकसान है। विख्यात सारंगी वादक पंडित हनुमान प्रसाद मिश्र के छोटे पुत्र पंडित साजन मिश्र के साथ पंडितजी की बड़ी बेटी कविता का विवाह हुआ। पंडित बिरजू महाराज के एक भाई ने बनारस घराने के पंडित रामसहाय के सानिध्य में तबला वादन में निपुणता हासिल कर बनारस बाज शैली को बुलंदियों तक पहुंचाया।

Posted By: Inextlive