-जिला प्रशासन की ओर से इंजेक्शन न मिलने के कारण पहले से ही चल रहा इंजेक्शन का अभाव

-हॉस्पिटल में भर्ती 270 मरीजों पर करीब 14 करोड़ रुपये हो चुके हैं खर्च, अब जांच का उठाना होगा खर्च

ब्लैक फंगस के पेशेंट्स को अब बीएचयू में मुफ्त दवाएं नहीं मिलेंगी। उन्हें अब बाहर से दवाएं खरीदना होगा। कारण कि सर सुंदरलाल अस्पताल, बीएचयू की ओर से अभी तक मरीजों पर लगभग 14 करोड़ रुपये तक खर्च किए जा चुके हैं। इसमें तीन करोड़ की सिर्फ दवाएं ही शामिल हैं। कोरोना की सेकेंड वेब के कम होने के बाद मई के दूसरे सप्ताह से ब्लैक फंगस के मरीज बढ़ने लगे हैं। सर सुंदरलाल अस्पताल में अब तक करीब 270 पेशेंट आए हैं। इसमें से 90 परसेंट वे मरीज थे जिन्होंने कोरोना की वैक्सीन नहीं लगवाई थी। वहीं 100 परसेंट पेशेंट को शुगर की समस्या है।

200 पेशेंट्स का हुआ ऑपरेशन

एक्सपर्ट के मुताबिक ब्लैक फंगस का ट्रीटमेंट बहुत महंगा है। एक इंजेक्शन ही करीब साढ़े चार हजार है जिसे मरीजों को एक दिन में तीन-तीन लगाए जा रहे हैं। इंजेक्शन उपलब्ध न रहने पर इसकी दवा पोसाकोनाजोल दी जा रही थी। मरीजों को एक दिन में तीन टैबलेट दिए जा रहे हैं। 10 टैबलेट का रेट करीब 4200 रुपये है। इसके अलावा मरीजों को समय-समय पर सिटी स्कैन के साथ ही डेली शुगर, बीपी के अलावा खून की अन्य जांच होती थी। यही नहीं लगभग 200 मरीजों का आपरेशन भी हुआ। इसमें से कुछ को दो या तीन बार भी आपरेशन करने की जरूरत पड़ी थी। ऑपरेशन व दवाएं अभी तक मुफ्त में मरीजों को दी जा रही थी।

14 करोड़ रुपये हो चुके हैं खर्च

एसएस हॉस्पिटल के एमएस प्रो। केके गुप्ता ने बताया कि इंजेक्शन जिला प्रशासन की ओर से मुहैया कराई जा रहा था। इसके अलावा पोसाकोनाजोल टैबलेट के साथ ही अन्य दवाएं व जांच हॉस्पिटल की ओर से दी जा रही थी। करीब तीन करोड़ की दवाएं तथा जांच, ओटी व अन्य खर्च लगभग 11 करोड़ ब्लैक फंगस के मरीजों पर किया गया। यानी अगर अन्य खर्च को छोड़ दिया जाएं तो मरीजों को अब दवा पर ही तीन दिन में करीब 4200 रुपये खर्च करने पड़ेंगे।

Posted By: Inextlive