25 जून को 1.25 करोड़ रुपए की ब्राउन शुगर की गई जब्त हाल के महीनों में गांजे के बाद अब ड्रग्स जब्ती ने खोली पोल

वाराणसी (ब्यूरो)बनारस में गांजे का दम आम होने के बाद अब एक्सट्रीम नशे का कारोबार भी परवान पर है। इस बात की तस्दीक 25 जून को शहर के चौधरी चरण सिंह रोडवेड बस अड्डे के पास से बरामद 1.25 करोड़ रुपए की ब्राउन शुगर से होती है। इसके पहले भी एसटीएफ की पूछताछ में सामने आया कि स्मगलर वाराणसी समेत आसपास के जनपदों में पैडलर का काम करते हैैं। शहर में बढ़ते नशे की खपत का ही नतीजा है कि स्मगलर एक्टिव हैैं। बनारस में तस्करों को पकडऩा पुलिस के लिए चुनौति से कम नहीं है। नतीजा सबके सामने है, बनारस में नशेडिय़ों की लंबी फौज। इनमें सबसे अधिक संख्या युवाओं की है। नशे के दलदल से इन लोगों को वापस लाना भी भगीरथी प्रयास सरीखा लगाता है.

केस-1

वाराणसी में एसटीएफ ने अंतरराज्यीय स्तर पर मादक पदार्थों की तस्करी करने वाले तीन तस्करों को शनिवार को कैंट रोडवेज से गिरफ्तार किया। उनके पास से एक किलो 250 ग्राम ब्राउन शुगर और फोर्ड कार बरामद हुई है। एसटीएफ के अनुसार बरामद ब्राउन शुगर की कीमत इंटरनेशनल मार्केट में 1.25 करोड़ रुपये है। मामले को लेकर सिगरा थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है।

केस-2

लंका थाना क्षेत्र के आठ अप्रैल 2022 को डीआरआई की टीम ने एक डीसीएम गाड़ी से 5 कुंतल गांजा के साथ तीन तस्करों को गिरफ्तार किया है। पुलिस तस्कर सरगना को बेनकाब नहीं कर सकी.

चिलम में टॉप, शुगर का चस्का

बनारस पर एबीसीडी की रिपोर्ट दावा करती है कि दिल्ली और मुंबई के बाद बनारस के गंजेड़ी सबसे अधिक चिलम धधकाते हैं। इसके अलावा ब्राउन शुगर और हेरोइन आदि की खपत भी बढ़ती जा रही है। लंका से लेकर सारनाथ, डाफी से करौंदी, मंडुआडीह से कैंट, चौकाघाट से राजघाट, शिवपुर से सैरया, गंगा तीरे के दर्जनों घाट, यूनिवर्सिटी से लेकर कॉलेज के स्मोक जोन, बस अड्डे, रेलवे स्टेशन, ऑटो स्टैंड, मंडलीय और जिला अस्पतालों के एकांत और खाली स्थानों पर दम मारते नेशड़ी मिल जाएंगे। तिलभांडेश्वर और मालती बाग इलाके के एकांत में हेरोइन पीने वाले भी मिल जाएंगे.

नशे का साइड इफेक्ट

डॉक्टर रविशंकर मौर्य बताते हैं कि ब्राउन शुगर, हेरोइन, गांजा और भांग पीने के बाद भले ही आनंद बढ़ जाता है, लेकिन साथ ही दिमागी क्षमता कम हो सकती है। मानसिक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। सबसे बड़ा दुष्परिणाम ये है कि लंग्स कैंसर का खतरा, फेफड़ों के कैंसर और फेफड़ों का कैंसर समेत तमाम बीमारी पैदा हो जाती है.

शहर में भांग, गांजा या फिर शराब बहुत ही सहज रूप से मिल जाते हैं। प्रशासन-पुलिस की नाक के नीचे आखिर कैसे संभव हो पा रहा है ? पुलिस को नशे के सौदागरों पर कड़ाई से शिकंजा सकना चाहिए।

बबलू मौर्य, सामाजिक कार्यकर्ता

जनपद में शिक्षा की कमी, बेरोजगारी, घटते रोजगार, तनाव और बढ़ती नशीले पदार्थों की तस्करी नशे की बढ़ती प्रवृत्तियों बढ़ावा देने के कारण हैं। इन पर सख्ती से ही रोक लगाई जा सकती है, जो अभी दिख नहीं रही.

वैभव त्रिपाठी, एक्टिविस्ट

नशे के सौदागरों पर जीरो टालरेंस की नीति अपना कर कार्रवाई की जाती है। अरेस्ट स्मगलर्स के नेटवर्क पर नजर रखी जाती है। क्षेत्र में प्रतिबंधित मादक पदार्थ की स्मलिंग और इस्तेमाल पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

प्रबल प्रताप सिंह, एडीसीपी, वरुणा जोन

Posted By: Inextlive