बीएस 4 टू व्हीलर पर एक अप्रैल से संकट
-एक अप्रैल 2020 से सिर्फ बीएस 6 टू व्हीलर की ही होगी बिक्री
-बढ़ते प्रदूषण की वजह से बीएस-4 वाहन को चलन से बाहर करने की तैयारी -टू व्हीलर शो रूम में शुरू हुई स्कीम, कस्टमर्स की लग रही भीड़ एक अप्रैल 2020 से रोड पर बीएस 4 बाइक नहीं दौड़ेगी। सरकार इस दिन से बीएस-6 फ्यूल मानक लागू करने जा रही है। अब तक यातायात ईंधन मानक बीएस-4 लागू है। लेकिन अब सीधे अंतरराष्ट्रीय स्तर के बीएस-6 को लागू किया जा रहा है। जिसके बाद बनारस सहित अन्य जगहों पर एक अप्रैल से बीएस-6 ग्रेड का टू व्हीलर ही बेचा जाएगा। हालांकि इस मानक पर नए वाहनों की बिक्री एक अप्रैल 2020 से शुरू हो सकेगी। इस कदम ने टू व्हीलर डीलर और कस्टमर्स की हार्ट बीट को बढ़ा दी है। देर से मिलेंगे नए वाहनऐसा फिलहाल तो होता नहीं दिखता। अभी लगभग टू व्हीलर निर्माता कंपनियां बीएस-4 के फ्यूल मानक के हिसाब से वाहन बना रही हैं। लेकिन एक अप्रैल 2020 से जो भी नए वाहन बाजार में आएंगे, उनके लिए बीएस-6 के मानक को पूरा करना जरूरी होगा। लेकिन डीलर्स की मानें तो कोई जरूरी नहीं है कि एक अप्रैल से नये वाहन मिलने ही स्टार्ट हो जाएंगे। इसमें कुछ लेट भी हो सकता है। ऐसे में उस दौरान वेडिंग सीजन और नवरात्र के सेल का समय होगा तब वाहन मिलना बहुत मुश्किल हो सकता है। हो सकता है लोगों को ऑन डिमांड वाहन न मिल पाएं। बुकिंग के बाद कुछ दिन इंतजार करना हो सकता है। हालांकि कुछ कंपनियां इससे पहले भी अपने वाहन इसी मानक के अनुसार मार्केट में उतार सकती हैं।
एक्सचेंज तो कहीं दी जा रही छूट एक अप्रैल 2020 से बीएस 6 इंजन के वाहनों की बिक्री जरूरी हो जाएगी। इसके पहले बीएस 4 मानक के वाहनों को बेचने के लिए विभिन्न टू व्हीलर कंपनियां कई तरह का प्लॉन लेकर मार्केट में उतर चुकी हैं। कोई एक्सचेंज तो कोई गाडि़यों पर छूट दे रहा है। ऐसे में लोग इसका फायदा उठा सकते हैं। बताया जाता है कि बीएस 6 आने के बाद वाहनों का रेट बढ़ जाएगा। इसको लेकर भी उनके माथे पर बल है। कहीं रेट अधिक होने पर कस्टमर का टोटा न उत्पन्न हो जाए। बीएस 6 के फायदे - हवा में पॉल्यूशन लेवल को कम करने में मदद मिलेगी - हवा में जहरीले तत्व कम हो सकेंगे जिससे सांस लेने सेहतमंद होगा-बीएस 4 के मुकाबले बीएस 6 में प्रदूषण फैलाने वाले खतरनाक पदार्थ काफी कम होंगे
-नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर के मामले में बीएस 6 ग्रेड का पेट्रोल व डीजल वाहन काफी अच्छा होगा। -बीएस 4 और बीएस 3 फ्यूल में सल्फर की मात्रा 50 पीपीएम होती है। जो बीएस 6 मानकों में घटकर 10 पीपीएम रह जायेगी यानि की अभी के स्तर से 80 परसेंट कम। -पेट्रोल पर 24 पैसे प्रति लीटर और डीजल पर 66 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी होगी। बीएस 5 क्यों नहीं बीएस 4 के बाद सीधे बीएस 6 लांच करने की तैयारी है। इसके वजह यह है कि बीएस-5 और बीएस-6 ईंधन में जहरीले सल्फर की मात्रा बराबर होती है। जहां बीएस-4 ईंधन में 50 पीपीएम (पार्ट्स पर मिलियन) सल्फर होता है, वहीं बीएस-5 व बीएस-6 दोनों तरह के ईंधनों में सल्फर की मात्रा 10 पीपीएम ही होती है। इसलिए सरकार ने बीएस-4 के बाद सीधे बीएस-6 लाने का डिसीजन लिया। बीएस-4 वाहन बीएस-6 ईंधन का यूज कर सकेंगेबीएस-4 पेट्रोल इंजन में बीएस-6 पेट्रोल के इस्तेमाल से कोई फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन डीजल पर असर पड़ेगा, फिलहाल बिक रहे डीजल में सल्फर की मात्रा 50 पीपीएम और बीएस 6 डीजल में इसकी मात्रा महज 10 पीपीएम रह जाएगी। एक्सपर्ट का कहना है कि बीएस-6 फ्यूल के साथ बीएस-6 इंजन ज्यादा बेहतर रिजल्ट देगा।
बीएस 4 फैला रहा है पॉल्यूशन -धुएं से पार्टिकुलेट मैटर यानी पीएम 2.5 जैसा खतरनाक कण और नाइट्रोजन ऑक्साइड गैस (नॉक्स) निकल रहा है। -पीएम 2.5 कणों से अस्थमा, ब्रांकाइटिस, हार्ट डिजिज और कैंसर जैसी बीमारियां होती हैं। -नाइट्रोजन ऑक्साइड वातावरण के हाइड्रोकार्बनों से मिलकर खतरनाक ओजोन गैस बनाती है। यह है बीएस बीएस का मतलब है भारत स्टेज। इसका संबंध वाहन के उत्सर्जन मानकों से है। भारत स्टेज उत्सर्जन मानक खासतौर पर संबंधित वाहनों के लिए हैं। इन्हें पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तय करता है। 18 साल पहले हुई शुरुआत इंडिया गवर्नमेंट ने सन् 2000 से बीएस उत्सर्जन मानक की शुरुआत की थी। भारत स्टेज यानि भारत स्टैंडर्ड मानदंड यूरोपीय नियमों पर आधारित है। बीएस-6 में ये होगा चेंज -वाहन कंपनियां जो भी नए हल्के और भारी वाहन बनाएंगी, उनमें फिल्टर लगाना जरूरी हो जाएगा। -बीएस-6 के लिए विशेष प्रकार के पार्टिकुलेट फिल्टर की जरूरत होगी। इसके लिए वाहन के अंदर ज्यादा जगह की जरूरत होगी।-नाइट्रोजन के ऑक्साइड्स को फिल्टर करने के लिए सेलेक्टिव कैटेलिटिक रिडक्शन (एसआरसी) तकनीक का इस्तेमाल अनिवार्य तौर पर करना होगा।