दिल्ली की तर्ज पर बनारस में मुख्य मार्गों पर पांच साल पहले जेएनएनयूआरएम योजना के तहत सिटी बस पैसेंजर्स की सुविधा के लिए हर एक किमी पर यात्री प्रतीक्षालयों का निर्माण कराया गया था. स्मार्ट लुक देने के लिए नगर निगम की ओर से ग्लोशाइन बोर्ड रेलिंग बेंच भी लगाए गए. इस पर लाखों रुपये खर्च भी हुए.

वाराणसी (ब्यूरो)इस समय इन प्रतीक्षालयों पर अवैध कब्जा है। यह चौंकाने वाली तस्वीर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के अभियान साहब इतनी बेकद्री क्यों में सामने आई। शहर में 80 से अधिक यात्री प्रतीक्षालय हैं, जिसमें आधे से अधिक पर अवैध कब्जा है। कहीं रेहड़ी-पटरी वालों ने दुकानें खोल रखी हैं तो कहीं पर वाहन स्टैंड बन गया है।

केस-1
स्थान: कहचरी चौराहा
स्थिति : नगर निगम ने स्वच्छ काशी, सुंदर काशी का बोर्ड लगा रखा है, लेकिन पूरे परिसर में गंदगी फैली थी। एक भी यात्री नहीं दिखा। कचहरी आने वालों ने अपने वाहनों से शेल्टर को हर तरफ से घेर रखा था।

केस-2
स्थान : इंग्लिशिया लाइन तिराहा
स्थिति: यात्री प्रतीक्षालय के अंदर नगर निगम का बोर्ड लगा था, लेकिन बैठने के लिए बेंच नहीं था। लोहे की रेलिंग से घेरा गया था, जिसके एक साइड तिरपाल वाले की दुकान, आगे मोमो का काउंटर और चार पहिया गाड़ी खड़ी थी।

केस-3
स्थान: कैंट रेलवे स्टेशन
स्थिति: काशी को स्वच्छ बनाने का बोर्ड लगा था। यात्रियों के बैठने के लिए बेंच थी। लोहे की रेलिंग भी लगी थी, लेकिन रेहड़ी-पटरी वालों ने इसे तीन तरफ से घेर रखा था। ऐसे में शेल्टर में अंदर जाने के लिए कोई रास्ता नहीं था। यही वजह थी कि वहां एक भी यात्री नहीं दिखा।

केस-4
स्थान : काशी विद्यापीठ का ललित कला विभाग गेट
स्थिति : यहां जगह का नाम नहीं लिखा था। टाइल्स, रेलिंग व बेंच लगी थी। बेंच पर एक व्यक्ति बैठकर न्यूज पेपर पढ़ रहा था। आगे दो ट्राली खड़ी थी।

हर महीने मिल रहा राजस्व
शहर के लगभग सभी यात्री प्रतीक्षालयों पर विज्ञापन के बोर्ड लगे हैं। इससे हर महीने सरकारी खजाने में लाखों रुपये जाता है, लेकिन यह पैसा किसके पास जाता है। यह जानकारी करने की कोशिश की गई तो नगर निगम व सिटी रोडवेज ने कहा कि यात्री प्रतीक्षालय से हमारे विभाग का कोई लेना देना नहीं है।

सिटी बसें भी नहीं रुकती
शहर में जेएनएनयूआरएम योजना के तहत 70 सिटी बसें संचालित होती हैं। इसी योजना के तहत पांच साल पहले शहर में सिटी बसों के स्टापेज के लिए 80 से अधिक जगहों पर यात्री प्रतीक्षालय भी बनाए गए, लेकिन शहर में किसी भी प्रतीक्षालय पर बसें रुकती नहीं हैं। यात्रियों को दौड़कर बसें पकडऩी पड़ती हैं। ऐसे में ये प्रतीक्षालय अनुपयोगी साबित हो रहे हैं।

सफाई का कोई ध्यान नहीं
शहर के अधिकतर बस यात्री प्रतीक्षालयों पर गंदगी पसरी मिली। नगर निगम के सफाई कर्मचारियों पर इसे साफ रखने की जिम्मेदारी है, लेकिन कैंट, कचहरी, इंग्लिशिया लाइन के यात्री प्रतीक्षालय पर कोई सफाई नहीं दिखी। अमूमन यही स्थिति सभी प्रतीक्षालयों की है।


बनारस की गिनती अब स्मार्ट सिटी में होती है। बहुत बदलाव भी हुआ, लेकिन यात्री प्रतीक्षालय की बदहाल स्थिति से शहर की स्मार्टनेस कम हो रही है। इस पर ध्यान देने की जरूरत है।
-सुमन सिंह

अब तो शहर में इलेक्ट्रिक बसें भी दौडऩे लगी हैं। ऐसे में इन यात्री प्रतीक्षालयों को और स्मार्ट और एक्टिव करने की जरूरत है। सुविधाएं भी बढऩी चाहिए। इस पर नगर निगम को ध्यान देने की जरूरत है।
-संगीता विश्वकर्मा

बनारस में देश-विदेश से पर्यटक आते हैं। अगर इनकी नजर इन यात्री प्रतीक्षालय पर पड़ेगी तो यहां को लेकर उनके मन में अच्छी छवि नहीं होगी। ऐसे में यहां सुविधाएं बढऩी चाहिए।
-रूपेश कुमार

लम्बे समय से यात्री प्रतीक्षालयों की स्थिति खराब है। कई बार पीएम व सीएम का विजिट होता है, लेकिन इस पर किसी का ध्यान नहीं जाता है। पब्लिक की सुविधा पर किसी का ध्यान नहीं रहता है।
-विवेक गुप्ता

Posted By: Inextlive