पूर्वांचल के बिजनेस हब बनारस में इलेक्शन को लेकर नाकेबंदी कैश लेकर शहर में आने से कतरा रहे आसपास के व्यापारी जहां ऑप्शन है वहां वादे पर हो रहा व्यापार मसाला मेडिसीन कपड़ा किराना हार्डवेयर पेंट और जेवर समेत कई बिजनेस पर पड़ रहा असर

वाराणसी (ब्यूरो)कोरोना की मार से आजाद होते ही आचार संहिता की मार से बनारसी व्यापार को तगड़ा घाटा उठाना पड़ रहा है। लगन के पीक सीजन में बिजनेस की 50 से 60 फीसदी माल की डिमांड और सप्लाई प्रभावित होने से कमोबेस सभी सेक्टर के व्यापारियों का हौसला जवाब देने लगा है। शहर के सभी बॉर्डर एरिया में सघन चेकिंग अभियान के चलते कैश लेकर बनारस व्यापार को आने वाले व्यापारियों में डर का माहौल है। लिहाजा, पूर्वांचल के नौ जनपदों का बिजनेस हब होने से मसाला से मेडिसीन और कपड़ा से किराना समेत सभी बनारस के थोक व फुटकर व्यापारियों का धंधा चौपट होने के करार पर आ गया है।

इन जिलों के व्यापारी आते हैैं बनारस

चंदौली

गाजीपुर

बलिया

जौनपुर

आजमगढ़

मिर्जापुर

सोनभद्र

भदोही

मऊ

नोट: बिहार के कैमुर, सासाराम, बक्सर, मोहनिया, गोपालगंज, आरा के भी व्यापारी आते हैं।

कैश लेकर आने में डर

कमोबेश हर तरह का बिजनेस हब होने की वजह से पूर्वांचल का बनारस केंद्र हैै। यहां करीब आसपास के दर्जन भर से अधिक जनपदों के बिजनेसमैन मेडिसीन, मसाला, किराना, कपड़ा, हार्डवेयर, जेवर, इलेक्ट्रॉनिक, फुटवियर, पेंट और लगन से जुड़े आइटम की खरीददीरी के लिए बनारस का रूख करते हैैं। जनपद में आचार संहिता लगने की वजह से व्यापारियों में डर का माहोल है। ये माल खरीदने के लिए लाखों कैश लेकर चलने से कतरा रहे हैैं कि कहीं, नाके पर जांच में जब्त ना हो जाए।

कपड़ा मार्केंट डाउन

बनारस बनारसी साड़ी, जरी और जरदोजी, शेरवानी, सूट समेत हर प्रकार के कपड़े का थोक मार्केट यहां है। आचार संहिता में जनपद के बॉर्डर एरिया के नाके पर जबरदस्त चेकिंग चलाई जा रही है। जबकि मौजूदा वक्त में लगन सीजन पीक पर है। अकेले फरवरी महीने में कुल 11 लगन की शुभ डेट हैैं। ऐसे में कपड़ा व्यापारियों के नहीं आने से काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। कपड़ा कारोबार सिमट कर 20 फीसदी पर आ गया है।

किराना व्यापार बंद

किराना में एक जनपद से एक ही व्यापारी, कई छोटे-छोटे व्यापारियों के रुपए लेकर बनारस में किराना माल खरीदने आते हैैंं। बॉर्डर पर चेकिंग होने की वजह से एक भी व्यापारी नहीं बनारस नहीं पहुंच रहे हैैं। इसके चलते बनारस के थोक किराना व्यापारी शाम को 5 बजे ही दुकान बंद करने लगे हैैं। 25 फीसदी व्यापार सिर्फ लोकल व्यापारियों की वजह से चल रही है। 75 फीसदी व्यापार डाउन होने से व्यापारियों में मायूशी छाई है।

दवा व्यापार को 7 करोड़ का घाटा

पिछले विधानसभा इलेक्शन के नाकेबंदी के कड़वे अनुभव रहे हैैं। हाल के दिनों में चेकिंग होने की वजह से 20 से 25 फीसदी का नुकसान हो रहा है। पूरे आचार संहिता अवधि में 6 से 7 करोड़ का घाटा बनारस के दवा बिजनेसमैन को उठाना पड़ सकता है। कुछ ही दिनों बाद मार्च महीने में क्लोंिजंग भी है। ऐसे में व्यापारियों को दोहरी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

जेवर के फीके हुए तेवर

पूर्वांचल समेत तीन-चार राज्यों का गोल्ड मार्केट बनारस है। लगन के पीक सीजन में आचार संहिता में बॉर्डर सील होने का 40 फीसदी व्यापार डाउन हुआ है। सोने-चांदी के व्यापारी कैश लेकर सफर करने से परहेज कर रहे हैैं। ऐसे में वादे पर थोड़ा-बहुत माल दिया जा रहा है, लेकिन यह कब तक चलता रहेगा। व्यापारी, सरकार से आचार संहिता के नियमों में छूट का डिमांड कर रहे हैैं।

बॉर्डर सील होने से व्यापारी कैश लेकर निकलने में डर रहे हैैं। जेवर मार्केट को 40 फीसदी का नुकसान उठाना पड़ रहा है।

गुंजन अग्रवाल, चेतमणि जेम्स एंड ज्वेल्स

थोक ग्राहकों के नहीं आने से व्यापार पर बुरा असर पड़ रहा है। लगन के सीजन में आचार संहिता से सबसे अधिक नुकसान बनारस के किराना व्यापारियों को उठाना पड़ रहा है।

अशोक कसेरा, किराना व्यापार समिति

रास्ते में रोक-टोक और अधिक मात्रा में कैश के लेकर निकलने में दवा व्यापारी कतरा रहे हैैं। पूरे सीजन में दवा मंडी को करीब 7 करोड़ का घाटा उठाना पड़ेगा।

मनोज खन्ना, अध्यक्ष, केमिस्ट-ड्रगिस्ट एसोसिएशन

कोविड की मार से अभी मार्केट उभरा ही था कि अब आचार संहिता। चुनाव भी जरूरी है, लेकिल अब वक्त की मांग है कि व्यापारियों की असुविधा को ध्यान में रखते हुए नियमों में थोड़ी ढ़ील मिले।

जीतेंद्र कुमार सिंह, हार्डवेयर, एएस इंटरप्राइजेज

Posted By: Inextlive