शीतलहर से कोल्ड डायरिया के मामले बढ़े अस्पतालों में बढ़ रही मरीजों की भीड़ कोल्ड डायरिया निमोनिया उल्टी-दस्त के सबसे ज्यादा केस बारिश के बाद ठंड की चपेट में आने से बच्चे ज्यादा हो रहे प्रभावित


वाराणसी (ब्यूरो)लंबे समय तक वायरल फीवर और डेंगू-मलेरिया जैसी बीमारी से राहत पाने के बाद अब लोगों को ठंडी वाली बीमारी परेशान कर रही है। दिसंबर के बाद जनवरी के पहले सप्ताह से चल रही शीतलहर के प्रकोप से कोई भी बच नहीं पा रहा है। जरा सी लापरवाही लोगों की सेहत पर भारी पड़ रही है। लगातार गलन और ठिठुरन के चलते कोल्ड डायरिया ने रफ्तार पकड़ ली है। इससे सबसे ज्यादा नवजात शिशु, बच्चे और बुजुर्ग प्रभावित हो रहे हैं। पिछले दिनों हुई बारिश के बाद ठंड से बीमार हुए बच्चों से अस्पतालों की चाइल्ड ओपीडी फुल चल रही है। मंडलीय और जिला अस्पताल में कोल्ड डायरिया और निमोनिया से बीमार होने वाले बच्चों की संख्या आम दिनों की तुलना में तीन गुना ज्यादा बढ़ गई है। डॉक्टर बच्चों की सेहत का विशेष ध्यान रखने की सलाह दे रहे हैं। सरकारी अस्पतालों के साथ प्राइवेट अस्पतालों में भी बीमार बच्चों की संख्या बढ़ गई है.

डेली पहुंच रहे 200 से ज्यादा मरीज

जिला अस्पताल के शिशु रोग विभाग की ओपीडी में प्रतिदिन 180 से 200 मरीज पहुंच रहे हैं। इनमें ज्यादातर बच्चे कोल्ड डायरिया और निमोनिया से पीडि़त हैं। गंभीर रूप से बीमार बच्चों को पीआईसीयू (पीडियाट्रिक इंटेसिव केयर यूनिट) में भर्ती करना पड़ रहा है, जबकि दो से तीन साल के ऊपर के बच्चे चिल्ड्रेन वार्ड में भर्ती हो रहे हैं। ऐसी ही स्थिति मंडलीय अस्पताल की भी है। यहां के बाल रोग विभाग की तीन ओपीडी में डेली 250 से 300 मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं.

लापरवाही पड़ रही भारी

कोल्ड डायरिया में ठंड लगने के कारण बच्चों को दस्त और उल्टी हो रही है, जबकि निमोनिया में सर्दी-जुकाम से बच्चों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है। शुरुआती दौर में बीमार बच्चे को डॉक्टर को नहीं दिखाने पर तबीयत ज्यादा बिगड़ रही है। डॉक्टर्स का कहना है कि बच्चे को रूम हीटर से दूर रखें। कुछ लोग कमरे को गर्म करने के लिए रूम हीटर या अंगेठी जला देते हैं। जब कमरे में हानिकारक गैस या धुंआ भर जाता है तो बच्चों को सांस लेने में दिक्कत होने वाली लगती है। ज्यादा समय तक धुंआ के बीच रहने वाले बच्चों में अस्थमा हो सकता है.

सिर्फ बच्चे नहीं बुजुर्गों में भी दिक्कत

बच्चों के बाद इस मौसम का असर सबसे ज्यादा 60 प्लस वाले बुजुर्गों पर पड़ रहा है। सामान्य ओपीडी से लेकर जीरियाट्रिक ओपीडी में ऐसे मरीजों की लाइन लग रही है। यहां डेली 100 से 120 मरीज पहुंच रहे हैं। इसमें ज्यादातर में सांस, दमा के साथ उल्टी और दस्त की समस्या देखी जा रही है। डॉक्टर्स का कहना है कि दिसंबर माह में ऐसे मरीजों की संख्या में करीब 50 प्रतिशत तक इजाफा हुआ है। सामान्य रोग विशेषज्ञ डॉ। एके गुप्ता ने बताया कि ठंड के साथ स्मॉग की वजह से उनकी ओपीडी में सांस रोगी मरीजों की संख्या बढ़ गई है।

ठंड के साथ बारिश होने से पिछले दिनों की तुलना में वर्तमान में कोल्ड डायरिया और निमोनिया से बीमार होने वाले बच्चों की संख्या बढ़ गई है। शुरुआती दौर में उपचार होने से राहत मिल जा रही है। गंभीर रूप से बीमार बच्चों को भर्ती करना पड़ रहा है। ऐसे मौसम में सतर्कता बरतने की सलाह दी जा रही है.

डॉसीपी गुप्ता, पीडियाट्रिक, मंडलीय अस्पताल

दिसंबर के बाद जनवरी के पहले सप्ताह से ही में जिस तरह से ठंड बढ़ी है, उसके बाद से ओपीडी में मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। यहां आने वाले मरीजों में सांस, दमा के साथ उल्टी, दस्त, बुखार और दर्द की शिकायत देखने को मिल रही है.

डॉएके गुप्ता, फिजिशियन, मंडलीय अस्पताल

ये रखें ध्यान

-बच्चों को ठंड से बचाएं

-मां को भी ठंड से बचना जरूरी

-मां को पौष्टिक आहार लेना चाहिए

-पर्याप्त मात्रा में गुनगुना पानी पीना चाहिए

-तबीयत बिगड़े तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं

ये बरतें सावधानी

-मरीजों को हमेशा गर्म कपड़े पहनने चाहिए

-बाहर निकलने पर नाक और मुंह को कवर जरूर करें

-अस्थमा और दमा पीडि़तों के कमरे में अंदर धूपबत्ती न जलाएं

-45-45 मिनट के लिए व्यायाम बेहद आवश्यक है

Posted By: Inextlive