बिजली विभाग में जोखिम में हर जान
-जर्जर इमारत में चल रहा है भेलूपुर पावर हाउस, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा
-अधिकारी बोले, खतरनाक हालत में पहुंच चुकी इमारत में काम कर रहे हैं अधिकारी-कर्मचारी जिस बिजली विभाग को जनता प्रतिमाह करोड़ों की राशि सरकारी राजस्व के रूप में देती है। उस विभाग की हालत बेहद खराब है। भेलूपुर स्थित पावर हाउस उपखण्ड प्रथम पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। यहां अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक इस जर्जर इमारत में काम करने को मजबूर हैं। यहां कर्मचारी ही नहीं उपभोक्ता भी जान जोखिम में लेकर आते हैं। विभाग के एक हिस्से में नगरीय विद्युत परीक्षण उपखण्ड- तृतीय का कार्यालय भी बना हुआ है। इसकी हालत भी बेहद खराब है। यहां कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। बिजली विभाग के लिए नहीं बजटखतरनाक स्थिति में पहुंच चुकी इमारत की फिक्र न तो आला अधिकारियों को है और न ही शासन को। सीधे तौर पर कहा जाए तो बदलते बनारस में शासन ने बिजली विभाग को नजरअंदाज कर रखा है। बिजली विभाग के अधिकारियों की मानें तो सरकार के पास पावर हाउस की जर्जर इमारत को बनवाने के लिए बजट ही नहीं है।
अंग्रेजों के जमाने की है इमारतअंग्रेजों के जमाने में बने इस इमारत कि हालत अब गिरे कि तब गिरे वाली स्थिति में है। कबाड़ में तब्दील हो रहे विभाग में कर्मचारी बैठना तक नहीं चाहते। शायद यही कारण है कि विभाग के अधिकारी कार्यालय में नियमित नहीं बैठकर बाहर से कार्यो का निबटारा करते हैं।
खराब हो रहे दस्तावेज कागजी दस्तावेजों को रखने की पर्याप्त सुविधा उपलब्ध न होने से परेशानी बढ़ रही है। उपभोक्ताओं व विभाग के लेखा जोखा से संबंधी कई महत्वपूर्ण पुराने कागजात तो अब दीमक और धूल की भेंट चढ़कर नष्ट होने की कगार पर पहुंच चुके हैं। शासन को बिजली विभाग के कर्मचारियों की फिक्र नहीं है। होती तो हमें ऐसी जर्जर इमारत में नहीं बैठना पड़ता। पवन त्रिपाठी, कर्मचारी बड़े अधिकारी किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहे हैं। हम मौत के साए में काम कर रहे हैं। रामा शंकर, कर्मचारी बस किसी तरह से काम चलाया जा रहा है। कभी भी कुछ भी हो सकता है। जो भी होगा उसका जिम्मेदार शासन होगा। अरशद, स्टोर कीपर वर्जन शासन के पास बिजली विभाग के लिए पैसे नहीं हैं। इसे बनाने की कोई योजना भी नहीं बनी है। इसलिए कुछ कहा नहीं जा सकता कि इमारत का क्या होगा।राम कुमार, एग्जिक्यूटिव इंजीनियर, पावर हाउस, उपखण्ड प्रथम
हर समय मंडरा रहा खतरा -हर कमरे के फॉल सिलिंग से टूटकर गिर रहा सीमेंट का हिस्सा। -जगह-जगह छत से होता है पानी का रिसाव। -रोजाना आते हैं एक हजार से ज्यादा उपभोक्ता -1928 में बना था यह विभाग -100 से ज्यादा कर्मचारी व अधिकारी बैठते हैं यहां। -नई इमारत में नहीं मिली विभाग को जगह। -पार्किग तक की नहीं है व्यवस्था -अगर घटी घटना तो सैकड़ों की जा सकती है जान।