-ये है कोरोना के असली फाइटर्स

-मरीजों को ठीक करने के बाद बढ़ रहा डॉक्टर्स का उत्साह

-भजन सत्संग सुनाकर कर रहे है माइड फ्रेश

कोरोना वायरस के संक्रमण से पुरे देश में हाहाकार मचा हुआ है। लेकिन बनारस में इससे लड़ने वाले डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टॉफ के हौसले आज भी बुलंद है। इनके हौसलों के आगे कोरोना का संक्रमण टिक नहीं पा रहा है। स्वास्थ्यकर्मियों की सेवा भाव के आगे कोरोना घुटने टेकने को मजबूर है। एक तरफ जहा स्वास्थ्य टीम के जज्बे से मरीजों का डर खत्म हो रहा है और वह जल्दी स्वस्थ हो रहे हैं। वही इनके ठीक होने से स्वास्थ्यकर्मियों का उत्साह भी बढ़ रहा है.कोरोना की इस लड़ाई में सबसे बड़ी भूमिका डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की है। उनकी सराहना जितनी भी की जाए कम होगी। आज हम आपको ऐसे ही दो कोरोना फाइटर्स के बारे में बता रहे है।

जीत जायेंगे हम

डूडा गेस्ट हाउस में बने क्वारंटीन सेंटर फि़लहाल कुल 52 लोग है। इससे पहले यहा करीब 85 लोग रखे गए थे। इनमें से 33 लोग घर जा चुके है। डॉ। राहुल व डॉ। जावेद के अलावा यह डॉ अरविंद, डॉ। शिवम पांडेय, डॉ। शैलेन्द्र कुमार के साथ पैरामेडिकल स्टॉफ तीन शिफ्ट में 24 घंटे अपनी सेवा दे रहे है। सेंटर पर क्वारंटाइन किये गए सभी मरीजों का दिन में तीन बार थर्मल स्क्रीनिंग होती है। अब एक ही जगह पर लम्बे समय से कैद सभी रोगी रहते रहते डिप्रेशन में जा रहे हैं। ऐसे लोगो की संख्या ज्यादा न बढे, इसके लिए डॉ। राहुल सिंह के जरिए यहां सुबह शाम सत्संग और भजन कीर्तन करवाया जा रहा है। यही नहीं लोगों का मन बहलाने के लिए प्रतियोगिता हो रही है। जिसमें लोग अपनी कला का प्रदर्शन गाना गाकर, चुटकला सुनाकर और भजन का सुना करते हैं और स्ट्रेस को दूर कर रहे है। इसके अलावा डॉ। अब्दुल जावेद सभी मराजों को हाल में बैठा कर फिजिकल डिस्टेंस का पालन करते हुए और थ्री लेयर मास्क पहना कर सभी इसका पालन करने का पाठ पढ़ा रहे है।

आरबीएसके हरहुआ के नोडल मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर अब्दुल जावेद और जिला कुष्ठ अधिकारी डॉ। राहुल सिंह इन दिनों परमानन्दपुर में बने क्वारंटाइन सेंटर में तैनात हैं। उनका कहना हैं कि कोरोना की कोई दवा नहीं है। सिर्फ सोशल डिस्टेंसिंग ही एक ऐसा हथियार है, जिससे कोरोना के संक्रमण को हराया जा सकता है। भले ही भारत में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हो मगर उसी रफ़्तार से इसे रोकने का भी प्रयास हो रहा है। 21 दिन के लॉकडाउन से काफी हद तक राहत मिली है। इसकी सफलता को देखते हुए ही पीएम मोदी ने इसकी डेडलाइन बढाकर तीन मई की है। आने वाले दिनों में हम कोरोना की जंग जीत लेंगे।

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पहली बार हमें ऐसा सेवा करने का मौका मिला है जिसे छोड़ने मौका नहीं देना चाहता। पिछले 14 मार्च से क्वारंटीन सेंटर परमानंदपुर में सेवा चल रही है। यहां के बाद कोविड हॉस्पिटल परिसर स्थित कार्यालय में जाकर वहां का काम भी निपटाना पड़ता है। एक साथ दो जिम्मेदारियों का निर्वहन करने में कभी किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हुई। लगातार मरीजों के टच में रहने से इनसे नजदीकियां बढ़ती जा रही है और घर वाले दूर होते जा रहे हैं। बच्चो को ज्यादा समय नहीं दे पाते, लेकिन हमें इसका मलाल ज्यादा नहीं रहता। यह सुरक्षा के लिहाज से ठीक भी है। संक्रमण का खतरा घर वालों को कम हो इसलिए जितना देर घर रहता हूं उतना देर क्वारंटीन रहता हूं। यहा के मरीज भी परिवार के सदस्य जैसे ही हो गए। जैसे-जैसे मरीज फिट होकर घर जा रहे हैं, वैसे वैसे उनका उत्साह भी बढ़ता जा रहा है। क्वारंटीन सेंटर से मरीज जब घर के लिए निकलते हैं तो जो खुशी होती है उसकी कल्पना नहीं की जा सकती है।

डॉ। राहुल सिंह-नोडल ऑफिसर क्वारंटाइन सेंटर परमानन्दपुर

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कोरोना संक्रमण से हम खुद को जितना सतर्क किये रहेंगे उतना ही सुरक्षित रहेंगे। इस बीमारी से बचने का सबसे अच्छा उपाय यही है कि हम बिना जरूरत के घर से बाहर नहीं निकलें। सेंटर में मौजूद लोगो की सेवा करना ही उनका उदेद्श्य है। शाम को घर जाने के बाद भी खुद को क्वारंटाइन करने के लिए परिवार से अलग होकर अकेले कमरे में रहते है। जिससे किसी अन्य के संक्रमित होने की कहीं कोई गुंजाइस ही न रहे। घर में इन करने से पहले ग्लब्स और सर्जिकल कैप को जला देते है। सारा दिन मरीजों के बीच रहने की वजह से घरवालों से दुरी बनकर राखी पड़ती है। बच्चो से दूर रहने का मलाल तो रहता ही है। लेकिन हमें जो दर्जा मिला है, उसका फर्ज भी तो निभाना है। सुबह होते ही सेंटर में आने की जल्दी रहती है। क्यों की यहां भी तो सब अपने ही है.जब भी कोई मरीज ठीक होकर अपने घर जाता है तो इससे उनका हौसला और उत्त्साह दोनों बढ़ता है।

डा। अब्दुल जावेद- नोडल मेडिकल ऑफिसर आरबीएसके हरहुआ

-भजन सत्संग सुनाकर कर रहे है माइड फ्रेश

Posted By: Inextlive