-संपूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी के ग्रेजुएशन लेवल के कोर्स का नहीं बन पाएगा कामन सिलेबस

-यूनिवर्सिटी में प्राच्य विद्या की पढ़ाई पहले से होने के कारण फंसा पेंच

- संपूर्णानंद के शास्त्री जैसा कोर्स अन्य यूनिवर्सिटी में संचालित नहीं होते हैं

यूनिवर्सिटी के स्नातक कोर्सेस में कामन सिलेबस सिस्टम नए सेशन से लागू होने जा रहा है। लेकिन संपूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी के स्नातक लेवल का कामन सिलेबस नहीं बन पाएगा। कारण कि संपूर्णानंद के शास्त्री जैसा कोर्स अन्य यूनिवर्सिटी में संचालित नहीं होता है। हालांकि स्थानीय स्तर पर विश्वविद्यालयों को पाठ्यक्रमों में 30 परसेंट संशोधन करने का अधिकार है। इस क्रम में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ सहित सभी विश्वविद्यालयों ने तैयारी तेज कर दी है। काशी विद्यापीठ में विभागीय अध्ययन बोर्ड सामान पाठ्यक्रम लागू करने की हरी झंडी भी मिल चुकी है। जबकि संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में शास्त्री (स्नातक) का सिलेबस कामन होने पर संकट है।

प्राच्य विद्या बना रोड़ा

संस्कृत यूनिवर्सिटी में शास्त्री का कोर्स अन्य विश्वविद्यालयों से भिन्न है। यहां वेद, वेदांत, मीमांसा, सांख्ययोग तंत्रागम, पुराणेतिहास, बौद्ध दर्शन, प्राकृत जैनागम सहित अन्य प्राच्य विद्या की पढ़ाई होती है। प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में प्राच्य विद्या के शाखाओं की अलग-अलग पढ़ाई नहीं होती है। वीसी प्रो। हरेराम त्रिपाठी की अध्यक्षता में हुई मीटिंग में विभाग के हेड ने बताया कि आधुनिक विश्वविद्यालयों की तरह स्नातक में यहां समान पाठ्यक्रम लागू करना संभव नहीं है। इसे देखते हुए वीसी ने सभी डीन व हेड को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप पाठ्यक्रम बनाने का निर्देश दिया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत पहली यूनिट में भारतीय ज्ञान परंपरा से संबंधित विषयवस्तु रखने का निर्देश दिया गया है।

जॉब ओरिएंटेड होगा कोर्स

इसके अलावा रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए प्रथम व द्वितीय वर्ष में रिसर्च ओरिएंटेड सिलेबस जोड़ने का सुझाव दिया गया है, तथा तीसरे वर्ष में प्रोजेक्ट वर्क रखा गया है। वहीं स्नातक स्तर पर न्यूनतम समान पाठ्यक्रम आठ सेमेस्टर्स में तैयार किया गया है ताकि आने वाले समय में चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम लागू किया जा सके। वीसी ने बताया कि विश्वविद्यालय के शास्त्री में पहले से ही भारतीय ज्ञान परंपरा का समावेश है। सभी डीन से नई शिक्षा नीति के तहत रोजगारपरक पाठ्यक्रम बनाने का निर्देश दिया गया है। इसके अलावा द्वितीय वर्ष में रिसर्च ओरिएंटेड पाठ्य सामग्री व तीसरे वर्ष प्रोजेक्ट वर्क जोड़ने का निर्देश दिया गया है। वीसी के निर्देश पर संकायाध्यक्षों व विभागाध्यक्षों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप पाठ्यक्रम बनाने का कार्य शुरू कर दिया है। जुलाई तक बोर्ड ऑफ स्टडीज से पास कराने का निणर्य लिया गया है।

Posted By: Inextlive