लहरतारा स्थित कबीर प्राकट्य स्थल के पास संत रविदास जन्म मंदिर के नाम से बोर्ड लगने के बाद जन्म स्थान को लेकर विवाद शुरू हो गया है. श्री गुरु रविदास जन्म स्थान पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट ने एससीपी कैंट से बोर्ड हटाने की मांग की है. उधर मांडूर स्थित संत रविदास मंदिर के प्रबंधक ने दावा किया है कि मांडूर ही संत शिरोमणि रविदास का जन्म स्थान है.

वाराणसी (ब्यूरो)। वाराणसी में संवत 1433 में माघ शुदी पूर्णिमा, रविवार के दिन संत रविदास का जन्म हुआ था। ग्रंथों में संत रविदास का जन्म स्थान लहरतारा के पास गांव मांडूर को बताया गया है। संत रविदास को लेकर छपी हर किताब में भी जन्म स्थान मांडूर का जिक्र है, लेकिन वर्तमान में सीर गोवर्धन को संत रविदास का जन्म स्थान बताया जाता है।

1985 के पहले की हर किताब में मांडूर का जिक्र
संत शिरोमणि गुरु रविदास सेवा समिति के सचिव प्रभु प्रसाद ने बताया कि वह संत शिरोमणि रविदास के ही परिवार के ही हैं। यह 21वीं पीढ़ी है। 1985 के पहले संत रविदास को लेकर छपी हर किताब में जन्म स्थान मांडूर का जिक्र है। श्री रविदास दीप ग्रंथ का 1912 में हिन्दी में अनुवाद किया गया था, जिसमें संत रविदास का जन्म स्थान लहरतारा के पास मांडूर नगर को ही बताया गया है।

पेड़ के नीचे हुआ था शास्त्रार्थ
मांडूर नगर स्थित संत रविदास की जन्मस्थली ने वर्तमान में मंदिर का रूप ले लिया है। मंदिर के सामने नीम का पेड़ है, जो सदियों पुराना है। लहरतारा तालाब के किनारे नीम के पेड़ के नीचे बैठकर संत रविदास उपदेश देते थे। इसी पेड़ के नीचे संत रविदास और करीब दास के बीच सामाजिक ताना बाना को लेकर शास्त्रार्थ हुआ था। कबीर और रविदास पड़ोसी और समकालीन थे। लगभग 122 वर्षों तक की आयु तक जीवित रहने वाले संत रविदास ने राजस्थान, पंजाब आदि कई स्थानों का भ्रमण कर अपनी वाणी से विशाक और व्यापक स्तर पर नव जागरण किया था।

मायावती ने किया था 2008 में अनावरण
130 किलो वजनी सोने की पालकी 2008 में यूरोप के अनुयायियों ने पंजाब के जालंधर में बनवाई थी। इसका अनावरण बसपा सुप्रीमो मायावती ने फरवरी 2008 में किया था। इसके बाद ही सीर गोवर्धन में राजनेताओं के आने का सिलसिला शुरू हुआ था। इस पालकी को साल में एक बार जयंती के दिन निकाला जाता है। पहला स्वर्ण कलश 1994 में संत गरीब दास ने संगत के सहयोग से चढ़ाया गया था। 2012 में 35 किलो का सोने का स्वर्ण दीपक बनवाया गया। इसमें अखंड ज्योति जल रही है।

सीर गोवर्धन में आए थे पीएम मोदी
सीर गोवर्धन स्थित संत रविदास के जन्म स्थान पर 2016 में जयंती पर्व पर पीएम नरेंद्र मोदी आए थे। इसके अलावा सीएम योगी आदित्यनाथ, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, मायावती, अखिलेश यादव, प्रियंका गांधी समेत तमाम राजनेताओं ने यहां मत्था टेका है। केंद्र सरकार की प्रसाद योजना के तहत यहां का विकास भी कराया गया है।

ट्रस्ट ने बोर्ड हटाने की मांग की
लहरतारा में लगे बोर्ड की जानकारी श्री गुरु रविदास जन्म स्थान पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट को हुई थी तो उन्होंने इसकी एससीपी कैंट से की, जिसमें कहा गया कि संत रविदास का जन्म स्थान सीर गोवर्धन पवित्र स्थल है, जहां देश-विदेश के लोग आते हैं। इसी स्थान से उनकी आस्था है। संत के अनुयायियों में भ्रम न फैले, इसलिए उक्त बोर्ड को हटाया जाए।

किन्होंने क्या कहा
लहरतारा के पास संत रविदास के जन्म स्थान का बोर्ड लगा है। इस पर आपत्ति जताई गई तो मामले की जांच पीडब्ल्यूडी से कराई गई। जांच में मांडूर लहरतारा वाली समिति ने जन्म स्थान को लेकर साक्ष्य दिया है, लेकिन सीर गोवर्धन स्थित मंदिर के लोगों ने अभी तक कोई साक्ष्य नहीं दिया। प्रथम दृष्टया लहरतारा स्थित मांडूर ही अभी तक जन्म स्थान प्रतीत होता है।
-रत्नेश्वर सिंह, एसीपी कैंट


बोर्ड को लेकर किसी ने शिकायत की है। थाने पर बुलाया गया था, जहां जन्म स्थान को लेकर साक्ष्य भी दिखाया। वैसे भी ग्रंथों व तमाम किताबों में संत रविदास का जन्म स्थान मांडूर गांव ही है। हमारे पूर्वज भी यही बात बताते हैं। हम लोग संत रविदास की 21वीं पीढ़ी हैं। जन्म स्थान को लेकर कोई विवाद नहीं होना चाहिए। जो सत्य है, उसे कोई छुपा नहीं सकता है।
-प्रभु प्रसाद, मंदिर प्रबंधक

Posted By: Inextlive