जरायम की दुनिया में वाराणसी से लेकर दिल्ली तक सिर्फ एक ही नाम चर्चा में है गिरधारी विश्वकर्मा। पुलिस की क्राइम डायरी में भी यही नाम दर्ज है, लेकिन असल जिदंगी में उसे गिरधारी लोहार, डॉक्टर, टग्गर, डीएम, रॉबिनहुड के नाम से भी जाना जाता है। 30 सितम्बर 2019 में वाराणसी के सदर तहसील परिसर में दिनदहाड़े ठेकेदार नीतेश सिंह को मौत का डोज देने के बाद सुर्खियों में आए गिरधारी लोहार को पकड़ने के लिए वाराणसी पुलिस ने पूरी ताकत लगा दी, लेकिन वेश बदलने में मास्टर एक लाख इनामी गिरफ्त में नहीं आया। 11 जनवरी को सूचना मिली कि गिरधारी दिल्ली में पकड़ा गया तो वाराणसी पुलिस ने राहत की सांस ली। इसके अगले दिन से उसे वाराणसी लाने का प्रयास शुरू हो गया। तिहाड़ जेल में बंद गिरधारी को वाराणसी कोर्ट में पेश करने के लिए वारंट बी का तामिला जेल प्रशासन को कराया गया है। इसके लिए 22 जनवरी की तारीख भी मुकर्रर कर रखी है। यानी 22 जनवरी को गिरधारी लोहार वाराणसी आएगा।

अड़चन नहीं आई तो आना तय

शिवपुर थाना प्रभारी राजीव रंजन उपाध्याय के अनुसार कोर्ट के जरिए तिहाड़ जेल प्रशासन को वारंट बी का तामिला करा दिया गया है। कोर्ट ने 22 जनवरी को वाराणसी में पेश होने की तारीख भी तय कर दी है। अगर कोई अड़चन नहीं आई तो 22 जनवरी को नीतेश की हत्या का मुख्य आरोपी एक लाख का इनामी गिरधारी विश्वकर्मा वाराणसी आ जाएगा। इसके बाद नीतेश हत्याकांड का खुलासा भी हो सकता है। नीतेश की हत्या में शामिल और साजिश रचने वालों को भी पकड़ जा सकता है।

विधायक की शरण में रहता है गिरधारी

करीब 22 साल से जरायम की दुनिया में सक्रिय गिरधारी लोहार शक्ल से ही नहीं, बल्कि दिमाग से भी बहुत स्मार्ट है। अपराध में पुलिस से बचने का तरीका बखूबी जानता है। प्रदेश में जिसकी सरकार रहती है, उसी दल के विधायक से दोस्ती गाठ लेता है। 2005 में जौनपुर में चेयरमैन चुनाव की रंजिश में विजय गुप्ता की हत्या करने के बाद उसने तत्काल पूर्व सांसद से दोस्ती बना ली, जो आज तक बराकरार है। इसके बाद 2007 में बसपा की सरकार बनने के बाद आजमगढ़ से सत्ताधारी विधायक से रिश्ते मजबूत कर लिया, लेकिन 2012 में सरकार बदलते ही उससे दुश्मनी हो गई। फिर आजमगढ़ के सपा विधायक से नजदीकी बढ़ा ली। 2017 में सरकार बदली तो गिरधारी ने भी पाला बदल लिया। अब वह चंदौली के सत्ताधारी विधायक की शरण में रहकर जरायम की दुनिया में आतंक बचा रखा है।

राजनीतिक लोगों को बनाता है निशाना

गिरधारी विश्वकर्मा को जरायम की दुनिया का डाक्टर भी कहा जाता है। उसे यह पता है कि शरीर के किस हिस्से में गोली मारने से तुरंत जान चली जाती है। इसलिए राजनीति से जुड़े लोगों को मौत के घाट उतारने के लिए उसे हत्या की सुपारी दी जाती है। उसने जौनपुर, आजमगढ़, मऊ, वाराणसी, लखनऊ में अब तक जो मर्डर किया है, सब राजनीति से जुड़े लोग थे। वाराणसी के चोलापुर के रहने वाले गिरधारी विश्वकर्मा दोनों हाथों से गोली चलाने में माहिर है। 2005 में गिरधारी लोहार ने जौनपुर में चेयरमैन के भाई विजय गुप्ता की हत्या की थी। इसके बाद 2008 में मऊ के घोसी में नंदू सिंह की हत्या, 2011 में आजमगढ़ के जीयनपुर में डमरू सिंह की हत्या, 2010 में मऊ के कोतवाली इलाके में सुनील सिंह की हत्या, 2013 में बीएसपी विधायक सर्वेश सिंह उर्फ सीपू की हत्या, 2019 में वाराणसी में नीतेश सिंह की हत्या और 2020 में लखनऊ में पूर्व ब्लाक प्रमुख अजीत सिंह हत्या कर दी।

पुलिस को दे देता है चकमा

लगातार कई बड़ी वारदात को अंजाम देने के बाद भी गिरधारी कभी पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा। राजधानी लखनऊ में पूर्व ब्लाक प्रमुख और बाहुबली मुख्तार अंसारी के दाहिने हाथ तथा विधायक सर्वेश सिंह सीपू हत्याकांड के गवाह अजीत सिंह को मौत के घाट उतारने के बाद दिल्ली चला गया। जहां अपने आका और पूर्व सांसद के इशारे पर नाटकीय ढंग से गिरफ्तारी करा दी। सूत्रों के अनुसार पूर्व सांसद की दिल्ली के पुलिस महकमे से लेकर तिहाड़ जेल में अच्छी पकड़ है। यह पुलिस भी जानती है। इसलिए 22 जनवरी को गिरधारी के वाराणसी आने पर संशय है।

Posted By: Inextlive