अपराधियों ने उगाया रिकार्ड आलू
- सेंट्रल जेल में 1100 ¨क्वटल से अधिक आलू की हुई पैदावार
- 25 लाख मूल्य की अन्य सब्जियां भेजी जाती हैं मंडल के जेलों में - 1700 बंदियों ने 2020 में आलू का रिकार्ड पैदावार किया ::: प्वाइंटर ::: 29 एकड़ जेल की जमीन पर होती है खेती 1100 क्विंटल से अधिक आलू का हुआ उत्पादन वर्ष 2020 में 500 क्विंटल खुद के लिए रख शेष, भेजा जाता अन्य जेलों में 20 लाख की अन्य सब्जियां भी भेजी जाती हैं अन्य जेलों मेंजेल का नाम आते ही आमजनों में तरह-तरह की निगेटिव चर्चाएं शुरू हो जाती हैं, जिसमें जरायम दुनिया से जुड़े बड़े से लेकर छोटे माफिया के नाम भी लोगों की जुबान पर आते हैं और इनके गलत काम भी। जेल में बंद कैदियों से अच्छे काम की उम्मीद भी नहीं होती है, लेकिन यह खबर लोगों को सोच बदलने के लिए विवश कर सकती है। जी हां, यह सही है। सेंट्रल जेल में बंद 1700 बंदियों ने 2020 में 1100 ¨क्वटल से अधिक आलू का रिकार्ड पैदावार किया, जो 2019 के उत्पादन का दोगुना है। 20 लाख मूल्य की अन्य सब्जियां भी उगाई। आंकड़ों की बात करें तो 2020 में सेंट्रल जेल में बंद बंदियों ने 40 लाख की सब्जियों का उत्पादन किया।
मंडल के जेलों में भेजा छह सौ ¨क्वटल आलू शिवपुर स्थित सेंट्रल जेल में बंद 1700 बंदियों की अथक मेहनत से इस बार सब्जियों की रिकार्ड पैदावार हुई। जेल प्रशासन के अनुसार साल 2020 में 12 एकड़ में आलू की खेती कराई गई थी, जिसमें प्रति एकड़ औसतन करीब 88-100 ¨क्वटल उत्पादन हुआ है। कुल मिलाकर 1100 ¨क्वटल से अधिक आलू उत्पादित हुआ है। लगभग पांच सौ ¨क्वटल आलू अपने बंदियों के लिए रख लिया गया। बाकी करीब छह सौ ¨क्वटल आलू मंडल के अन्य जिला जेलों में भेज दिया गया। भेजते हैं चार सौ ¨क्वटल कटहल भी खेती करने में कृषि विशेषझ की सलाह भी ली जाती है। करीब चार सौ ¨क्वटल कटहल आठ जिलों के कारागार में हर वर्ष भेजा जाता है। विभिन्न आयुवर्ग के कैदियों की टोली बंदीरक्षकों की निगरानी में सुबह खेती की देखरेख में जुटती है और दोपहर तक तत्परता से इसमें लगी रहती है। जेल में सब्जी की खेती में कई कैदी लगे हैं। बीज निगम से करारकेंद्रीय कारागार में बंद कैदियों के श्रम से हर वर्ष 40 लाख से अधिक मूल्य की सब्जियों का उत्पादन होता है। इसकी पैदावार में जैविक खाद का उपयोग होता है। इसलिए यह सब्जियां पौष्टिक और स्वादिष्ट होती है। यहां की सब्जियों की गुणवत्ता को देखते हुए सब्जी बीज के लिए बीज निगम ने जेल कारागार से करार किया है। इसके तहत बीज निगम भी हर साल जेल से सब्जी ले जाती है।
सब्जी के मामले में आत्मनिर्भर प्रशासन की सूझबूझ, कैदियों की मेहनत की बदौलत कारागार कई वर्षों से सब्जी उत्पादन में आत्मनिर्भर है। परिसर के अंदर व बाहर स्थित 29 एकड़ जमीन पर खेती की जाती है। जरूरत से ज्यादा उपज होने से आसपास के अन्य जेलों को करीब 20 लाख से अधिक की सब्जी भेजी जाती है। रोज खाते हैं आठ हजार की सब्जी कारागार में 1700 कैदी हैं। एक कैदी पर रोज 230 ग्राम सब्जी की खपत है। करीब चार ¨क्वटल यानी बाजार मूल्य से औसतन आठ हजार रुपये की सब्जी की रोज खपत है। गर्मी के लिए करीब 15 एकड़ में गोभी, ब्रोकली, लौकी, टमाटर, तरोई और पालक समेत अन्य सब्जियों की खेती हो रही है। बंदियों को प्रशिक्षण भीबंदियों को स्वरोजगार व स्वावलंबी बनाने के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाता है। सब्जियां उगाने के साथ कैदी बागवानी कर रहे हैं। उन्हें रोज हरी-ताजा सब्जियों से भरपूर भोजन सलाद संग मिल रहा है। कारागार प्रशासन सब्जी का खर्च निकालने में पूर्णत: सक्षम है। सब्जी उत्पादन में वृद्धि के लिए जेल प्रशासन प्रशिक्षण दिलाता है।
::: कोट ::: आत्मनिर्भर भारत की राह पर सेंट्रल जेल प्रशासन भी चल रहा है। यहां बंद 1700 बंदियों की कड़ी मेहनत से सब्जियों की रिकार्ड पैदावार हुई। पिछले साल 40 लाख रुपये की सब्जी पैदा हुई थी, जिसमें सबसे ज्यादा आलू। इसके बाद कटहल, लौकी, गोभी, बैगन आदि शामिल हैं। इतनी ज्यादा सब्जियां पैदा हो जाती हैं कि मंडल के अन्य जेलों में भेजा जाता है। -अर¨वद सिंह, वरिष्ठ जेल अधीक्षक