बैन से मरीजों संग तीमारदार बेहाल
-बड़े नोटों पर बैन का असर, सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों पर
- दवा की दुकानों से लेकर पैथालॉजी सेंटर तक पर नहीं लिए गए बड़े नोट, मरीजों के परिजन रहे परेशान 1ड्डह्मड्डठ्ठड्डह्यद्ब@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ ङ्कन्क्त्रन्हृन्स्ढ्ढ सरकार की ओर से 500 और 1000 के नोट पर प्रतिबंध का असर बाजार पर तो जो रहा वो रहा लेकिन इससे सबसे ज्यादा परेशानी उन लोगों को उठानी पड़ी जिनके परिजन अस्पतालों में भर्ती हैं। खासतौर पर प्राइवेट अस्पताल के अंदर और बाहर हालात बहुत ही खराब थे। अस्पतालों में और बाहर दवा की दुकानों से लेकर पैथालॉजी सेंटर्स तक में बड़े नोटों को न लेने के चलते तीमारदारों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ा। मुझे 150 की दवा लेनी थी लेकिन 300 की दवा ले ली, फिर भी मेडिकल स्टोर वाले ने 500 का नोट नहीं लिए। क्या करुं अब दवा कैसे लूं ये समझ नहीं आ रहा है। डॉ। आसिफ, तीमारदारगाजीपुर से अपने पेशेंट को लेकर मंडलीय अस्पताल भर्ती कराने लाया हूं। पूरे रास्ते चाय पानी तक की दिक्कत हुई और जब बाहर दवा लेने गया तो वहां भी दवा दुकानदार ने रुपये लेने से इनकार कर दिया।
धर्मेन्द्र तिवारी, तीमारदारअपने परिजन को लेकर अस्पताल आया। प्राइवेट में जांच कराई और जब रिपोर्ट लेने गया तो 500 को नोट नहीं लिया। जिसके कारण रिपोर्ट भी फंस गई। क्या करूं? समझ नहीं आ रहा है।
विशाल मिश्रा, तीमारदार