बीएचयू और डीडीयू हास्पिटल में एलाइजा टेस्ट की व्यवस्था

डेंगू मरीज मिलने पर 50 घरों में एंटी लार्वा का छिड़काव

- 1475 लोगों का हुआ अब एलाइजा टेस्ट

- 2 स्थानों बीएचयू और डीडीयू में है टेस्ट की व्यवस्था

- 37 इलाके संवेदनशील

फिरोजाबाद में डेंगू और वायरल फीवर से एक दिन में 11 बच्चों की मौत से पूरे प्रदेश में हड़कम्प मच गया है। इसे देखते हुए वाराणसी में स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है। डेंगू की पुष्टि के लिए एलाइजा टेस्ट जरूरी कर दिया गया है। वहीं, निजी अस्पताल रैपिड कार्ड जांच में पॉजिटिव आने पर ही रोगी को डेंगू पॉजिटिव मान लेते हैं। इसको लेकर सीएमओ ने शहर के निजी अस्पतालों को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि एलाइजा टेस्ट में पॉजिटिव आने पर ही रोगी को डेंगू पॉजिटिव बताया जाए। बीएचयू और डीडीयू हास्पिटल की प्रयोगशाला में एलाइजा टेस्ट की व्यवस्था की गई है। इन दोनों जगहों पर अब तक 1485 लोगों का एलाइजा टेस्ट हुआ है।

शहर में 37 इलाके संवेदनशील

वाराणसी में डेंगू तेजी से पांव पसार रहा है। अब तक करीब 75 डेंगू मरीजों की पुष्टि हुई है। डेंगू मरीज पर मिलने पर संबंधित इलाके को संवेदनशील घोषित कर दिया जा रहा है। शहर में कुल 37 इलाके संवेदनशील घोषित किए गए हैं। शासनादेश के अनुसार अगर किसी भी मुहल्ले में डेंगू का मरीज मिला तो आसपास के 50 घरों को संदिग्ध घोषित कर दिया जाएगा। इसके बाद नगर निगम की टीम जाकर सभी घरों में डेंगू के लार्वा की जांच करेगी। इसके अलावा फॉगिंग और एंटी लार्वा का छिड़काव किया जाएगा। घर के सभी सदस्यों का हेल्थ चेकअप भी होगा।

रैपिड कार्ड की जांच मान्य नहीं

एसीएमओ डॉ। एनपी सिंह ने बताया कि डेंगू जांच के दो तरीके हैं। एक जांच रैपिड कार्ड से होती है, जिसमें आईजीजी आईजीएम की जांच होती है। कई निजी अस्पताल रैपिड कार्ड जांच में आईजीजी पॉजिटिव होने पर ही रोगी को डेंगू पॉजिटिव मान लेते हैं। खून लेकर की गई इस जांच में पुराने एंटीबॉडीज का इंफेक्शन भी दिखाई देता है, जबकि जांच में नया इंफेक्शन सामने आना चाहिए। यानी पॉजिटिव होना चाहिए। डेंगू का पता लगाने के लिए सरकार की ओर से एलाइजा टेस्ट को ही सही माना गया है। ये टेस्ट एलाइजा रीडर से किया जाता है। इसमें खून के नमूने से इंफेक्शन की मात्रा की रीडिंग जाती है।

ऐसे होता है एलाइजा टेस्ट

एलाइजा टेस्ट से किसी व्यक्ति के रक्त की जांच कर यह पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति में एंटीबॉडी हैं या नहीं। यदि व्यक्ति में एंटीबॉडी पाए जाते हैं तो यह मालूम हो जाता है कि उसे पहले कोरोना हो चुका है या फिर करोना संक्रमित व्यक्ति से संपर्क में आ चुका है। यदि एंटीबॉडी नहीं मिलते हैं तो यह पता लग जाता है किस क्षेत्र में कोरोना संक्रमण नहीं हुआ है। एलिजा टेस्ट एई, डेंगू और कालाजार व चिकनगुनिया जैसे संक्रामक रोगों के लिए भी किया जाता है।

Posted By: Inextlive