पालतू व स्ट्रीट डॉग से लेकर बंदर तक परेशान किसी ने खाना छोड़ दिया तो किसी ने भौंकना


वाराणसी (ब्यूरो)दिवाली के दिन पटाखे जलाते लोग देर रात तक जश्न में डूबे रहे। इनकी आवाज को सुनकर खुशी के मारे आम लोग तो शोर मचाते रहे। मगर अपने इस जश्न में मग्न भूल गए कि पटाखों का यह शोर किसी बेजुबान के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। दिवाली पर पूरे बनारस में शाम से लेकर देर रात तक जमकर आतिशबाजी हुई। इसकी आवाज और चमकीली रोशनी से वे बेजुबान जानवर सहम गए, जो किसी से यह नहीं कह सकते कि उन्हें तेज आवाज से दिक्कत हो रही है।

इलाज को पहुंचे

सिगरा, रथयात्रा, महमूरगंज, बीएलडब्ल्यू, सुंदरपुर समेत सैकड़ों एरिया में आतीशबाजी का दंश सबसे ज्यादा बेजुबान कुत्तों को भुगतना पड़ा है। दर्जनों की संख्या में कुत्ते, बंदर और गाय पटाखों का शोर बर्दाश्त न कर पाने की वजह से बीमार होकर अस्पताल पहुंच गए। दिवाली और उसके दूसरे दिन प्राइवेट और सरकारी चिकित्सालय व प्राइवेट डॉग कैनल में दर्जन भर से ज्यादा पशु-पक्षी खासकर पेट्स इलाज के लिए पहुंचे।

आधा दर्जन से अधिक भर्ती

संकटमोचन स्थित सौरभ डॉग कैनल में अपने डॉग को लेकर इलाज करवाने पहुंचे करीब आधा दर्जन से ज्यादा डॉग्स को भर्ती भी कराया गया। सौरभ वर्मा ने बताया कि पटाखें फोडऩे से यहां भर्ती 5 से अधिक कुत्ते ट्रामाटाइज अवस्था में पहुंच गये। सभी डरे हुए थे। उन्हें इस अवस्था से बाहर निकालने के लिए इलाज किया जा रहा है.

आतिशबाजी से परेशान

यहां दीपावली के दिन 10-12 कुत्तों को इलाज के लिए लाया गया था, जबकि दूसरे दिन उससे डबल संख्या में लोग अपने बीमार कुत्तों की दवा लेने के लिए पहुंचे। उनमें से ज्यादातर की हालत की हालत अतिशबाजी के कारण बिगड़ गयी थी। ये सभी तो पालतू कुत्ते थे, लेकिन कई ऐसे स्ट्रीट डॉग भी थे जो पटाखों के शोर से बचने के लिए कोने और शांत जगह की तलाश करते रहें। ऐसी जगह न मिलने से बीमार हुए ऐसे कुत्तों का इलाज कराने कुछ डॉग प्रेमी पहुंचे।

नहीं खा रहे खाना

वहीं महमूरगंज स्थित जैकी डॉग कैनल में भी बड़ी संख्या में लोग अपने डॉगी का इलाज कराने पहुंचे। कैनल के ओनर जैकी राइस ने बताया कि पटाखों की आवाज से डरे बेजुबान जानवर खाना नहीं खा पा रहे हैं। उनके पास आने वाले लोगों की शिकायत थी कि उनका डॉगी बेहद डरा हुआ और उदास है। दिवाली के दिन से ही खाना-पीना छोड़ दिया। यही नहीं दिन भर भौंकने वाला कुत्ता इतना शांत हो गया, जैसे वह किसी से बिछड़ गया हो। विभिन्न इलाकों में बीमार पड़े 20 से ज्यादा कुत्तों को दवा देकर उपचार किया गया।

शोर से स्ट्रेस में आए

उन्होंने बताया कि हर बार ऐसा होता है जब दिवाली के दिन से ही बड़ी संख्या में कुत्ते पटाखों की शोर बर्दाश्त न कर पाने की वजह से तनाव में आ जाते है। ऐसा होने पर कुछ शांत होकर घर के एक कोने में डुबककर बैठ जाते हैं, तो कुछ खूंखार हो जाते है। इस बीच अगर कोई उन्हें ज्यादा परेशान करता है या उसके आसपास बन बजा दे तो वह उसे काट भी सकता है। तमाम पाबंदियों के बाद भी गत वर्ष की तुलना में इस साल आतिशबाजी अधिक हुई है।

पक्षी भी हुए परेशान

एक्सपर्ट की माने तो सुबह से शाम तक अपने कलरव से माहौल को खुशनुमा बना देनेवाले पक्षी दिवाली के दिनों में खामोश से हो जाते हैं। पटाखों का शोर ही नहीं, बल्कि इनसे निकलनेवाली जहरीली गैस भी पशु पक्षियों के जीवन पर भारी पड़ जाती है। ऐसे में दिवाली में पटाखे फोडऩे से पहले पर्यावरण और पशु पक्षियों के बारे में एक बार जरूर सोचना चाहिए।

दिवाली पर हुई आतिशबाजी की वजह से बढ़े पॉल्यूशन से जहां सांस और दमा के रोगियों की परेशानी बढ़ी है, वहीं पटाखों की तेज आवाज और धुएं के चलते बेजुबान जानवरों की भी मुसीबत बढ़ी है। दिवाली के दिन से लेकर मंगलवार तक यानि तीन दिन में 100 से ज्यादा लोग आपने डॉगी के उदास रहने और खाना-पीना छोड़ देने की शिकायत लेकर इलाज के लिए पहुंचे है।

सौरभ वर्मा, सौरभ पेट मार्ट

इंसानों की तुलना में जानवरों में सुनने की क्षमता हजार गुना ज्यादा होती है। ऐसे में दिवाली पर होने जब लोग पटाखे और बम छोड़ते है तो उसकी आवाज कान फाड़ू होते है, जिसे ये बेजुबान बर्दाश्त नहीं कर पाते। इसके कारण वे तनाव में आ जाते हैं और खाना-पीना छोड़ देते है। ऐसी परिस्थति से उनमें बाहर आने में एक-दो दिन का समय लग जाता है। इन जानवरों के साथ ऐसा न हो इसके लिए जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है।

जैकी राइस, डॉग लवर व संचालक, जैकी डॉग कैनल

Posted By: Inextlive