हर कोई पूछ रहा कमरा नंबर 12
-मंडलीय अस्पताल में कम नहीं हो रही रैबीज इंजेक्शन की डिमांड
-बनारस ही नहीं आस-पास के जिलों से पहुंच रहे हैं मरीजइन दिनों मंडलीय अस्पताल में मरीजों की भीड़ पहले से ज्यादा बढ़ गई है। खास बात है कि इसमें मौसमी बीमारी से ज्यादा डॉग बाइट के मामले आ रहे हैं। क्योंकि कुत्ता काटने के बाद एंटी रैबीज वैक्सीन लगाना बेहद जरूरी है। ऐसे में रजिस्ट्रेशन काउंटर पर ओपीडी पर्चा बनवाने के बाद हॉस्पिटल कैंपस में ज्यादातर लोग यही पूछते नजर आ रहे हैं कि कमरा नंबर 12 कहां है। लेकिन उस कमरे में जाने के बाद पता चल रहा है कि वहां तो रैबीज का इंजेक्शन ही नहीं है। हालत ये है कि बनारस ही नहीं चंदौली, जौनपुर, गाजीपुर, मिर्जापुर जैसे जिलों से मरीज भी इंजेक्शन लगवाने के लिए यहीं पहुंच रहे हैं। लेकिन ज्यादातर को बिना इंजेक्शन के ही लौटना पड़ रहा है।
- कुत्ता काटने वाली जगह पर किसी तरह की पट्टी न बांधें - पहला एंटी रेबीज इंजेक्शन डॉग बाइट के 24 घंटे के भीतर लगवा लें - अस्पताल या एंटी रैबीज क्लीनिक जाएं और कम से कम तीन डोज लगवायें - यह डोज पहले, तीसरे और सातवें दिन लगवाना होता है। यह सही है कि यहां इंजेक्शन का स्टॉक कम हो गया है। इन दिनों बनारस ही नहीं आस-पास के जिलों से भी लोग यहीं इंजेक्शन लगवाने के लिए आ रहे हैं, इसलिए थोड़ी समस्या आ रही है। लेकिन प्रयास किया जा रहा है कि यहां आने वाले सभी मरीजों को इंजेक्शन लगे, इसके लिए लोकल परचेज भी किया जा रहा है। डॉ। प्रसन्न कुमार, एसआईसी, मंडलीय अस्पताल लॉकडाउन के बाद से एआरवी की सेल बिल्कुल ही घट गई थी। जो माल स्टॉक में पड़ा था वही नहीं बिक रहा था, लेकिन पिछले एक माह से इसकी डिमांड काफी बढ़ रही है। इधर सेल में 20 से 25 परसेंट की डिमांड बढ़ी है। दिनेश गुप्ता, स्टॉकिस्ट, एआरवीसरकारी नहीं तो बढ़े प्राइवेट की ओर
मंडलीय अस्पताल में इंजेक्शन न मिलने से प्राइवेट क्लिनिक और मेडिसिन शॉप पर रैबीज इंजेक्शन की डिमांड बढ़ रही है। इससे जहां प्राइवेट वालों की कमाई बढ़ रही है तो मरीजों की जेब ढीली हो रही है। ऐसा इसलिए कि सरकारी अस्पतालों या स्वास्थ्य केन्द्रों पर जहां यह टीका मुफ्त में लगाया जाता है वहीं मेडिसिन शॉप से इसे 350 से 400 रूपए में खरीदना पड़ता है। वर्तमान में सिर्फ मंडलीय अस्पताल में ही यह इंजेक्शन मिल रहा है, लेकिन यहां भी भीड़ बढ़ने की वजह से डेली स्टॉक खत्म हो रहा है। ऐसे में डॉग बाइट के पेशेंट प्राइवेट में भाग रहे हैं। क्योंकि कुत्ता काटने के बाद अगर 48 घंटे में टीका नहीं लगता है तो मरीजों की जान भी जा सकती है।
100 से 120 के मामले डेलीजिले में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर एंटी रैबीज वैक्सीन लगने की व्यवस्था है, जबकि मंडलीय अस्पताल में भी हर रोज ओपीडी के समय में ही मरीजों को एआरवी लगाया जाता है। पिछले एक महीने से मरीजों की संख्या बढ़ी है। आमतौर पर जहां मंडलीय अस्पताल में 60 से 80 मरीज आते थे, वहां संख्या बढ़कर 100 से 120 हो गई है। इसमें स्वास्थ्य केंद्रों से रेफर लोग भी आ रहे हैं। हालत यह है कि अधिकांश केंद्रों पर कमी की वजह से निर्धारित चार में से एक डोज लगाया जाता है। इसके बाद मरीज मंडलीय अस्पताल आ रहे हैं। इस वजह से दबाव बढ़ा है। अधिकारी लोकल परचेज की बात तो कह रहे हैं लेकिन मरीजों की संख्या के हिसाब से यह अभी नाकाफी है।
स्थिति हो सकती है गंभीर स्वास्थ्य स्वास्थ्य विभाग में पिछले एक माह से बनी हुई वैक्सीन की किल्लत अब तक दूर नहंी हो सकी है। इसमें सबसे ज्यादा परेशानी स्वास्थ्य केंद्रों पर जाने वालों को है। यहां पर्याप्त इंतजाम न होने की वजह से संबंधित मरीज को अस्पताल तक चक्कर काटना मजबूरी है। मंडलीय अस्पताल में हालत ये हो गई है कि यहां डेली इंजेक्शन खत्म हो जा रहा है। स्टोर में भी 300 इंजेक्शन से ज्यादा का स्टॉक नहंी है। स्टोर इंचार्ज की माने तो अब लखनऊ स्थित कारपोरेशन से रेबीज वैक्सीन आता है। लेकिन पिछले तीन माह से वहां से इंजेक्शन नहीं आ रहा है, इसकी वजह से यहां का स्टॉक खत्म हो चुका है। रामनगर एलबीएस हॉस्पिटल में बचा हुआ स्टॉक मंगाकर बस किसी तरह से काम चलाया जा रहा है.अगर जल्दी वैक्सीन की समस्या दूर नहीं हुई तो स्थिति गंभीर हो सकती है। एक नजर 12 नंबर रुम में मंडलीय अस्पताल में लग रहा रैबीज का इंजेक्शन 60 से 80 डॉग बाइट मरीज आते थे पहले इंजेक्शन लगवाने 100 से 120 लोग इस वक्त डेली आ रहे हैं रैबीज लगवाने 300से ज्यादा रैबीज इंजेक्शन नहीं है बची है स्टोर में
300 से 400 रुपये में बाहर मेडिकल स्टोर पर मिलता है रैबीज इंजेक्शन ये है रैबीज रैबीज एक तरह का वायरस होता है। यदि इससे कोई जानवर संक्रमित हो और वो हमें काट ले खासकर कुत्ता, बिल्ली या फिर बंदर तो हमें रेबीज हो सकता है। ये होता है लक्षण यदि किसी को रेबीज से इंफेक्टेड जानवर ने काट लिया और उसने इंजेक्शन नहीं लगवाया तो उसे खतरा हो सकता है। उसे पानी से डर लगता है। प्यास के बाद भी पानी न पीना, बात-बात पर भड़क जाना ये होता है नतीजा रैबीज का वायरस सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर अटैक करता है। जिससे पीडि़त असामान्य हो जाता है। तेज दर्द में चिल्लाते हुए मरीज की मौत भी हो जाती है। ये रखें ध्यान - यदि कुत्ते के काटने के बाद स्किन पर दांतों के निशान हों तो सतर्क हो जाइये - इसकी अनदेखी जानलेवा साबित हो सकती है - रैबीज का वायरस एक बार शरीर में जाने के बाद कई सालों तक डॉर्मट रह सकता है - डॉग बाइट के बाद घाव को 15 मिनट तक पानी से धोते रहें