-डाफी टोल टैक्स के पास से दो करोड़ कीमत का 13 कुंतल गांजा बरामद

- गांजा को बनारस में खपाने की थी तैयारी

गांजा का बड़ी खेप बनारस पहुंचने से पहले की पकड़ ली गयी। शनिवार को आंध्र प्रदेश से ट्रक के जरिए 13 कुंतल गांजा गोपीगंज भदोही जा रहा था। वाराणसी में डाफी के पास रविवार भोर में डीआरआई की वाराणसी यूनिट ने घेराबंदी कर गांजे की खेप पकड़ ली। जिसकी कीमत दो करोड़ रुपये बताई जा रही है। टीम ने गांजा तस्करी में दो तस्करों को गिरफ्तार भी किया। पूछताछ में तस्करों ने बताया कि गांजा को भदोही के गोदाम में डम्प किया जाता। माकूल हालात देखकर उसे छोटे-छोटे हिस्सों में बनारस पहुंचा दिया जाता।

आंध्र प्रदेश से आ रहा गांजा

राजस्व आसूचना निदेशालय डीआरआई की वाराणसी यूनिट ड्रग तस्करों के खिलाफ अभियान चला रही है। इसी दौरान डीआरआई टीम को मुखबिर से सूचना मिली थी कि ट्रक से भारी मात्रा में गांजे की खेप वाराणसी होते हुए गोपीगंज भदोही की ओर जाने वाली है। सूचना पर त्वरित कारवाई करते हुए डीआरआई वाराणसी की टीम ने डाफी टोल पर घेराबंदी कर रविवार भोर में उक्त ट्रक को पकड़ लिया। ट्रक से लगभग 13 कुंतल गांजा जब्त किया गया, जिसकी कीमत लगभग दो करोड़ आंकी गयी। साथ ही दो लोगों को गिरफ्तार किया। पूछताछ मे तस्करों ने बताया कि वे गांजे को आंध्र प्रदेश से लेकर आ रहे थे। इनके नेटवर्क आरा, भोजपुर, बिहार और कोरापुट, उडि़सा बड़े ड्रग तस्करों से जुड़े हैं। इससे पहले भी अक्टूबर 2019 के लगभग 12 कुन्तल और फरवरी 2020 में 20 कुंतल गांजे की खेप वाराणसी द्वारा पकड़ी गयी थी।

खूब बिकता है नशा

धर्म और शिक्षा की नगरी काशी नशे की गिरफ्त में हैं। दुनिया का सांस्कृतिक गुरु कहे जाने वाले शहर की आबोहवा में नशे का जहर इस कदर फैला हुआ कि यहां के यंगस्टर्स की जिंदगी धुएं में उड़ रही है। हर तरह का नशा यहां आसानी से मिल जाता है। सबसे सुलभ है गांजा और उसके शौकीन भी सबसे ज्यादा हैं। यकीन करना मुश्किल है बनारस में हर महीने लगभग 2000 किलो गांजा खप जाता है। भांग की दुकानों से सबसे ज्यादा गांजा की बिक्री होती है। इसके साथ घाट पर इसकी सप्लाई काफी बड़ी है। यहां छोटी से बड़ी पुडि़या बनाकर रखा जाता है। चवन्नी, अठन्नी और रुपया के कोड की इनकी बिक्री और खरीद होती है। कीमत 50 से लेकर 200 रुपये तक है। इसके साथ ही किलो के भाव से भी गांजा की बिक्री होती है। 20000 हजार रुपये किलो गांजा की बिक्री होती है।

शहर के आसपास गोदाम

बनारस में गांजा तस्करी बड़े पैमाने पर होती है। आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, बिहार से गांजा बनारस आता है। यहां के खपत के बाद तस्कर उसे देश के दूसरे शहरों तक पहुंचाते हैं। शहरी सीमा से लगे गांवों के साथ ही बनारस से सटे जिलों भदोही, मिर्जापुर, चंदौली में तस्करों के गोदामों में गांजा की बड़ी खेप जमा की जाती है। गांजा तस्करी का सप्लाई चेन काफी बड़ा है। बड़े तस्कर दूसरे प्रदेशों से गांजा की खेप बनारस मंगाते हैं। इन्हें शहर से दूर गोदामों में जमा किया जाता है। यहां से डिमांड के मुताबिक लोकल लेवल पर मौजूद पैडलर तक पहुंचाया जाता है। इनके एजेंट के जरिए गांजा के शौकीन इसे हासिल करते हैं।

2

हजार किलो खपत होती है गांजा की बनारस में

20

हजार रुपये किलो बिकता है गांजा शहर में

5

हजार रुपये किलो के रेट से दूसरे स्टेट से खरीदकर लाते हैं तस्कर

500

से अधिक छोटी-बड़ी जगहों से होती है गांजे की बिक्री

50

रुपये की पुडि़या में भी बिकता है गांजा

Posted By: Inextlive