शहर की हवा लगातार दूषित होने व रोगियों की संख्या बढऩे को लेकर शासन काफी सख्त है. शासन ने प्रवर्तन परिवहन अधिकारी से पिछले छह माह में कितने वाहनों का प्रदूषण में चालान या जुर्माना किया गया इसकी डिटेल मांगी है. इसी के मद्देनजर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने शनिवार को शहर में जांच प्रदूषण केंद्रों की पड़ताल की तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई.

वाराणसी (ब्यूरो)। हर दिन एक जांच प्रदूषण केंद्र पर औसतन मात्र 7 वाहन ही प्रदूषण जांच कराने पहुंचते हैं, जबकि छह महीने पहले हर दिन औसतन 40 वाहन आते थे। आंकड़ों की बात करें तो वाराणसी में दो पहिया, तीन पहिया, चार पहिया समेत भारी वाहनों की संख्या आठ लाख से अधिक है। जनपद में करीब 42 प्रदूषण जांच केंद्र हैं।

सीन-1 : वरुणापुल
दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम शनिवार दोपहर साढ़े 12 बजे वरुणापुल स्थित जांच प्रदूषण केंद्र पहुुंची। जहां आधे घंटे तक टीम रुकी रही, लेकिन एक भी वाहन प्रदूषण की जांच कराने के लिए नहीं आया। पूछने पर केंद्र संचालक लक्ष्मी नारायण यादव ने बताया कि सुबह से अभी तक मात्र तीन लोग ही आए थे। औसतन हर दिन 8 ही डीजल व पेट्रोल वाहन आते हैं, जबकि पहले 40 से अधिक वाहन आते थे। एक समय था कि लंबी कतार लगी थी। पहले पुलिस भी वाहनों के कागजात की जांच करती तो कार्रवाई से बचने के लिए लोग प्रदूषण का जांच कराते थे। अब ऐसा नहीं है।

सीन-2 : कचहरी
वरुणापुल के बाद टीम कचहरी अंबेडकर चौराहे के पास जांच प्रदूषण केंद्र पहुुंची, जहां सन्नाटा था। केंद्र संचालक खड़ा होकर वाहन के आने का इंतजार कर रहा था। टीम करीब 15 मिनट तक रुकी रही, लेकिन यहां भी कोई वाहन नहीं आया। पूछने पर केंद्र संचालक पीके श्रीवास्तव ने बताया कि दिनभर इसी तरह वाहन की राह देखते हैं। अब स्थिति बहुत खराब हो गयी है। वाहनों के नहीं आने से कमाई तो दूर अब घाटा होने लगा है। यही स्थिति रही तो बहुत जल्द ही जांच प्रदूषण का लाइसेंस सलेंडर कर देंगे।

सीन-3 : चौकाघाट
कचहरी के बाद टीम चौकाघाट पहुंची, जहां एक वाहन प्रदूषण की जांच के लिए खड़ा था। मात्र पांच मिनट में वाहन की जांच प्रक्रिया पूरी हो गयी। पूछने पर केंद्र संचालक साकिर खां ने बताया कि दिनभर में मात्र 7 से आठ वाहन आते हैं। स्थिति बहुत खराब हो गयी है। चालन को लेकर अब किसी के अंदर डर नहीं है। यही वजह है कि लोग अपने वाहनों की जांच कराने से कतराते हैं, जबकि पहले दिनभर वाहन आते थे। फुर्सत नहीं होती थी। पुलिस भी अब सक्रिय कम दिखती है।


जुर्माना राशि 10 हजार
अपर परिवहन आयुक्त डीके त्रिपाठी के निर्देश पर सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी (एआरटीओ) सर्वेश चतुर्वेदी ने गाड़ी मालिकों को अपने वाहनों के प्रदूषण की जांच कराने का निर्देश दिया था। मानक से अधिक धुआं देने पर गाडिय़ों का चालान करने के साथ जुर्माना करने का आदेश था। जुर्माना राशि 10 हजार रुपये होगी। दोबारा जांच में पकड़े जाने पर उन वाहनों का पंजीयन निरस्त करना था। अभियान में जिला प्रशासन और पुलिस को शामिल करना था।

जहरीली हवा आमजन के लिए घातक
इंजन खराब होने, समय पर मरम्मत नहीं होने से गाडिय़ां अधिक धुआं देती है, इसका सीधा असर आक्सीजन पर पड़ता है। जहरीली हवा आमजन के लिए घातक है। यह जानलेवा साबित हो रही हैं। एनजीटी और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कई बार जिला प्रशासन समेत परिवहन विभाग को चेता चुका है कि अधिक धुआं देने वाले वालों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करें। फिर भी अधिक धुआं देने वाले वालों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई नहीं हो रही थी। शहर की हवा दूषित होने के चलते अब लोगों का सांस लेना मुश्किल हो गया है। लोग विभिन्न बीमारियों के शिकार हो रहे हैं।


टीम गठित कर चलाना था अभियान
अधिक धुआं देने वाले वाहनों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने पर अपर परिवहन आयुक्त ने जिला प्रशासन और परिवहन विभाग को पत्र लिखकर कार्रवाई करने को पत्र लिखा था। अपर परिवहन आयुक्त के आदेश पर एआरटीओ ने गाड़ी मालिकों से अनुरोध किया है कि वे अपनी गाड़ी के प्रदूषण की जांच करा लें। अधिक धुआं देने पर गाड़ी के इंजन की मरम्मत कराएं, फिर भी गाडिय़ों का मरम्मत नहीं कराने वालों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई की जाएगी।


वाहनों के प्रदूषण की जांच के लिए अक्सर अभियान चलता है। चालान में करीब 80 फीसद वाहनों का प्रदूषण व इंश्योरेंस नहीं मिलता है। इसके लिए वाहन मालिकों पर जुर्माना किया जाता है।
-डीके पूरी, अपर आयुक्त यातायात

Posted By: Inextlive