बिजली चोरों को नहीं आती शर्म
वाराणसी (ब्यूरो)। बिजली समाज का ऐसा साधन है, जिस पर हर वर्ग डिपेंड है। लेकिन, गंभीर सवाल तब पैदा हो जाता है जब समाज के लोग बिजली चोरी करते हैं और इसे अपराध नहीं मानते हैं। इसकी वजह से आम से लेकर लग्जरी उपभोक्ता तक बिजली चोरी करने से नहीं कतराते हैैं। कर्मचारियों व अधिकारियों की मिलीभगत के चलते वह शातिराना अंदाज से चोरी को अंजाम देते हैैं। पिछले तीन महीने के आंकड़ों पर गौर करें तो 43 मामले ऐसे सामने आए हैैं, जोकि पहले भी चोरी के मामलों में धरे गए थे.
पीडि़त पक्ष के अभाव में हौसले बुलंदबिजली चोरी के दौरान इसमें किसी भी प्रकार कोई भी व्यक्तिगत पीडि़त पक्ष नहीं होता है, जिसकी वजह से आए दिन चोरों के हौसले बुलंद होते जाते हैं। उनको ऐसा लगता है कि यह स्टेट का मामला है, किसी निजी व्यक्ति का नहीं। साथ ही अगर वे अभियान के दौैरान चोरी करते हुए पाये भी गये तो उनको महज सरकारी जुर्माने की राशि अदा करनी होगी.
अशिक्षा एवं गरीबीहर इंसान को लगता है कि वह बिजली की जो चोरी कर रहा है, उससे किसी भी व्यक्ति या कम्पनी का डायरेक्ट कोई नुकसान नहीं हो रहा है। जो भी हो रहा है वह इनडायरेक्टली सरकार का हो रहा है। इसलिए वह दिनदहाड़े चोरी करने लगता है। वहीं बिजली चोरी के प्रमुख कारणों में से एक अशिक्षा एवं गरीबी भी है। गरीबी के कारण समाज इन पर दया की भावना रखता है.
सख्त नियम के अभाव में विभाग में बिजली चोरी को ट्रेस करने के लिए बाकी राज्यों की तरह आधुनिक उपकरण नहीं है। इसी के साथ बिजली विभाग घिसे-पिटे करप्ट जेई जैसे कर्मचारियों के साथ मिलकर काम कर रहा है. लगातार अभियान के अभाव में समाज में बिजली विभाग लगातार अभियान नहीं चला पाता है। इसकी वजह से एक बार विभाग जिस इलाके में चेकिंग के लिए जाता है, उसके बाद उस इलाके में जाने के लिए उसे काफी समय लग जाते हंै। दरअसल इसका असल मेन कारण है कि विभाग मैनपावर के अभाव में काफी हद तक जूझ रहा है। इसकी वजह से काम लगातार बिजली विभाग का प्रभावित होता रहता है. अभियान के दौरान मिले चोर मार्च माह में-323 अप्रैल माह में-496 मई माह में-320 जून में अब तक-29 एक या अधिक बार मिले चोर मार्च से लेकर मई तक : 43बिजली के प्रति समाज के लोगों को सकारात्मक रवैया अपनाना चाहिए। लगातार लोग बिजली का बिल भुगतान कर दें तो इससे सरकार उन पैसों को सकारात्मक कामों में लगा सके। इसके साथ ही नियमित भुगतान करने की वजह से हो सकता है कि रेट स्थिर रहे या बिजली के रेट में भी सरकार कटौती करे.
दीपक अग्रवाल, अधीक्षण अभियंता, मंडल द्वितीय