- अतुल राय पर आरोप लगाने वाली रेप पीडि़ता ने सुप्रीम कोर्ट के सामने खुद किया आग के हवाले, तब जागा प्रशासन

बसपा सांसद अतुल राय पर रेप केस दर्ज कराने वाली युवती और उसके गवाह ने सोमवार को दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट के सामने आत्मदाह के प्रयास के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया। सोमवार की देर रात ही इस मामले से संबंधित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई हुई। इस प्रकरण में ऊपर से नीचे तक सभी के ऊपर गाज गिरी। कार्रवाई के क्रम में वाराणसी के तत्कालीन एसएसपी अमित पाठक जो वर्तमान समय में गाजियाबाद में एसएसपी के पद पर तैनात थे, उनको डीजीपी मुख्यालय से अटैच कर दिया गया है। वहीं विवेचना में लापरवाही के आरोप में कमिश्नरेट वाराणसी कैंट थाने के इंस्पेक्टर राकेश कुमार सिंह और दारोगा गिरिजा शंकर यादव को निलंबित करते हुए विभागीय जांच शुरु कर दी गई है।

मिट्टी और कपड़े ने जला दिया शरीर

फेसबुक पर लाइव के दौरान ही पीडि़ता और उसके गवाह ने खुद के ऊपर ज्वलनशील पदार्थ छिड़क कर आग लगा लिया। सुरक्षाकíमयों ने दोनों को लपटों से बचाकर अस्पताल में भर्ती करवाया। नई दिल्ली के राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल में भर्ती रेप पीडि़ता के मामले में चिकित्सकों का कहना है कि पीडि़ता और गवाह सत्यम प्रकाश राय 50 प्रतिशत से अधिक जल चुके हैं। डॉक्टरों का कहना है कि सही समय पर अगर अग्निशमन यंत्र मिल गया होता तो शरीर इतना नहीं झुलसा होता। उस समय लोग मिट्टी और कपड़े फेंक रहे थे, इस वजह से आग बढ़ती गई। दोनों ने उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्यशैली और न्याय व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए। युवती ने कहा कि उसे पीडि़ता की जगह वाराणसी की पुलिस चरित्रहीन साबित करने पर तुली हुई है। रेप पीडि़ता के अनुसार बसपा सांसद अतुल राय को बचाने के लिए वाराणसी के पूर्व एसएसपी अमित पाठक, डिप्टी एसपी अमरेश सिंह बघेल, दारोगा संजय राय व उसका बेटा और कुछ जज उसे लगातार फंसाने की साजिश रच रहे हैं।

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868 दिन और पुलिस सौ कदम भी नहीं चली-

रेप पीडि़ता के अनुसार सांसद अतुल राय ने अपने आवास पर बुलाया और उसके साथ रेप किया। इस मामले में पहले पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने से ही मना कर दिया। आखिरकार एक मई 2019 को पुलिस ने सांसद अतुल राय के खिलाफ रेप का केस दर्ज किया और 868 दिन के बाद भी पुलिस की जांच चलती रही, जिसमें पुलिस सौ कदम भी नहीं चल सकी और 16 अगस्त सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के सामने रेप पीडि़ता और उसके गवाह ने खुद को आग के हवाले कर दिया।

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यह है मामला-

बलिया जिले की मूल निवासी और वाराणसी के एक कॉलेज की पूर्व छात्रा ने 1 मई 2019 को लंका थाने में अतुल राय के खिलाफ दुष्कर्म सहित अन्य आरोपों में मुकदमा दर्ज कराया था। 22 जून 2019 को इस केस में अतुल राय ने कोर्ट में समर्पण कर दिया था। इसके बाद से अब तक अतुल प्रयागराज के नैनी सेंट्रल जेल में बंद है। 23 नवंबर 2020 को अदालत के आदेश से अतुल के भाई पवन सिंह के प्रार्थना पत्र के आधार पर कैंट थाने में रेप पीडि़ता के खिलाफ धोखाधड़ी सहित अन्य आरोपों में मुकदमा दर्ज किया गया। इस मुकदमे में 2 अगस्त को वाराणसी की सीजेएम कोर्ट ने रेप पीडि़ता के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था।

कछुआ चाल से चली पुलिस

रेप पीडि़ता और उसके गवाह द्वारा किए गए आत्मदाह के प्रयास के बाद वाराणसी पुलिस की काफी फजीहत हुई है। इससे संबंधित सभी मुकदमों में अपनी सफाई पुलिस देती नजर आ रही है। पुलिस के अनुसार रेप पीडि़ता से संबंधित सभी मुकदमों में उचित कार्रवाई की गई है।

- 1 मई 2019 को पीडि़ता की तहरीर पर अतुल राय के खिलाफ दर्ज किए गए मुकदमे में 30 जून 2019 को अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया गया। अतुल राय फिलहाल जेल में है और मुकदमा एमपी-एमएलए कोर्ट में विचाराधीन है।

- 4 दिसंबर 2020 को रेप पीडि़ता ने फिर एक मुकदमा अतुल राय और सुधीर सिंह के खिलाफ कैंट थाने में दर्ज कराया। 25 फरवरी 2021 को मुकदमे से संबंधित आरोप पत्र अदालत में दाखिल कर दिया गया।

- पीडि़ता के गवाह की तहरीर के आधार पर 2 दिसंबर 2020 को लंका थाने में मुकदमा दर्ज किया गया। विवेचना में शोभित सिंह और शुभम का नाम सामने आया। दोनों के खिलाफ 7 जनवरी 2021 को अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया गया।

- अदालत के आदेश से रेप पीडि़ता और उसके गवाह के खिलाफ 23 नवंबर 2020 को कैंट थाने में धोखाधड़ी सहित अन्य आरोपों में मुकदमा दर्ज किया गया। मुकदमे की विवेचना जारी है।

- रेप पीडि़ता के प्रकरण की जांच में अनुचित टिप्पणी करने के आरोप में तत्कालीन भेलूपुर क्षेत्राधिकारी अमरेश सिंह बघेल को 30 दिसंबर 2020 को प्रदेश सरकार ने निलंबित कर दिया। अमरेश के खिलाफ विभागीय कार्रवाई आईजी प्रयागराज द्वारा की जा रही है।

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यह है आरोप

अमित पाठक, तत्कालिक एसएसपी वाराणसी

आरोप-

पीडि़ता का आरोप है कि अपने पद पर रहते हुए तत्कालिक एसएसपी अमित पाठक ने सही तरीके से अपने मातहतों से मुकदमें के संबंधित कार्रवाई नहीं करवाई। बल्कि उल्टे पीडि़ता को प्रताडि़त किया गया।

राकेश कुमार सिंह, पूर्व प्रभारी निरीक्षक कैंट

आरोप-

पुलिस कमिश्नर ए। सतीश गणेश ने कैंट थाने के प्रभारी रहे राकेश कुमार सिंह को निलंबित कर दिया। उनपर आरोप था कि दर्ज मुकदमें की विवेचना के संबंध में सही तरीके से विवेचक की मानीटरिंग नहीं की गई। स्टेशन अफसर होने के नाते उनकी यह जिम्मेदारी थी।

एसआई गिरिजा शंकर यादव, पूर्व विवेचक थाना कैंट

आरोप-

पुलिस कमिश्नर ने मुकदमें के विवेचक रहे एसआई गिरिजा शंकर यादव को अपने कार्यो के प्रति घोर लापरवाही के आरोप में तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। इन पर आरोप है कि इन्होंने विवेचना ही सही तरीके से नहीं की।

90 दिन में हो जानी थी चार्जशीट दाखिल

कानूनी जानकार बताते हैं कि सात साल से कम उम्र की सजा वाले केस में 60 दिनों के अंदर आरोप पत्र दाखिल करना होता है। जबकि सात साल से अधिक की सजा वाले केस में 90 दिनों के भीतर चार्जशीट लगानी होती है। यदि किसी भी दशा में चार्जशीट नहीं लग पाती है तो उसका कारण उल्लेखित करना होता है। नए कैंट इंस्पेक्टर वेद प्रकाश ने बताया है कि अभी तक इस मामले में चार्जशीट दाखिल नहीं हो पाई है। अब ऐसे में सवाल है कि 868 दिन बाद भी अगर चार्जशीट दाखिल न हो तो पीडि़ता क्या करे?

Posted By: Inextlive