मणिकर्णिका घाट से आगे छह घाटों तक पानी का कलर देख लोग परेशान पानी के कलर को लेकर उठ रही कई तरह की बातें कोई सीवेज तो कोई राख को बता रहा कारण अधिकारी बोले टीम भेजकर कराई जाएगी जांच क्यों बदल रहा है गंगा के पानी का कलर

वाराणसी (ब्यूरो)गंगा बनारस में कलर चेंज कर रही है। किनारे के पानी काला पडऩे लगा है। इसे देखकर यहां चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। स्थानीय लोग तरह-तरह की बातें करने लगे हैं। कोई कह रहा है कि सीवेज पानी से कलर चेंज हो रहा है तो कोई इसे श्मसान घाट से निकलने वाली राख को कारण बता रहा है। उधर, अधिकारी कह रहे हैं कि टीम भेजकर जांच कराई जाएगी की आखिर पानी का कलर क्यों चेंज हो रहा है।

हालांकि, देर शाम तक बहस के बाद भी स्पष्ट नहीं हो सका कि गंगा का किनारा कैसे काला हो गया। मणिकर्णिका घाट, ङ्क्षसधिया घाट, बालाजी घाट, रामघाट, गंगा महल घाट से किनारे गंगा का पानी काला देखा गया। सबसे अधिक काला पानी गंगा महल घाट के पास था। इस बाबत जल निगम के गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के परियोजना प्रबंधक एसके रंजन ने कहा कि फिलहाल, गंगा में पक्के घाट की ओर से कोई सीवेज नहीं जा रहा है। जलासेन घाट का पंप भी मुकम्मल तौर पर चल रहा है। तकनीकी जानकारी साझा की। कहा कि यदि पंप बंद हो जाता है तो सीवेज बैक फ्लो करता है। 24 घंटे सातों दिन पंप कर सीवेज को दीनापुर स्थित एसटीपी तक भेजा जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि गंगा का पानी काला हुआ है तो कोई दूसरा कारण हो सकता है। दूसरी ओर घाट किनारे कुछ जानकार लोगों का कहना है कि बहाव कम होने से किनारे की गंदगी, महाश्मशान घाट से निकली राख बह नहीं रही है। बहाव कम होने का कारण श्रीकाशी विश्वनाथ धाम निर्माण के लिए ललिता घाट पर बनाया गया प्लेटफार्म है जिसे किनारे गंगा में घुस कर बनाया गया है। इससे किनारे की ओर बहाव कम हुआ है। इससे राख व अन्य गंदगी के कारण गंगा का पानी काला नजर आ रहा है। वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि शहर की सीवर लाइन गंगा की ओर आती है। बहुत से ऐसी लाइनें जो अब भी बंद नहीं हुई हैं जिसकी गंदगी गंगा में जा रही है। बहाव कम होने से किनारे काला पानी नजर आ रहा है।

काले पानी की होगी जांच

परियोजना प्रबंधक एसके रंजन ने कहा कि यदि गंगा का पानी किनारे की ओर काला हो गया है तो उसकी तकनीकी टीम भेजकर जांच कराएंगे। इसके बाद स्पष्ट हो सकेगा कि पानी काला क्यों हुआ है।

Posted By: Inextlive