-हॉस्पिटल कैंपस के आस-पास बिखरी है गंदगी

-नगर निगम की जारी है लापरवाही, इएसआईसी हॉस्पिटल में नहीं उठ रहा फूड वेस्ट

शहर के जिस कोविड हॉस्पिटल में कोरोना संक्रमितों का इलाज किया जा रहा है, वहां अब डायरिया का डर भी लेागों को सताने लगा है। इसकी वजह हॉस्पिटल प्रबंधन नहीं नगर निगम की लापरवाही बताई जा रही है। दरअसल इन दिनों शहर के कई अस्पतालों में वहां से निकलने वाले वेस्ट का उठान नहीं हो रहा है, जिससे वहां पड़ा वेस्ट सड़ रहा है। सबसे दयनीय स्थिति पांडेयपुर स्थित इएसआईसी हॉस्पिटल की है। जहां पिछले 10 दिनों से फूड वेस्ट का उठान नहीं हो रहा है। जबकि हॉस्पिटल के सुपर स्पेशियलिटी विंग में कोविड सेंटर भी संचालित किया जा रहा है। ऐसे में यहां के लोगों को कैंपस में डायरिया और संक्रामक रोग होने के डर सता रहा है।

कर्मचारियों को कोरोना का खतरा

इएसआईसी हॉस्पिटल प्रबंधन का कहना है कि हॉस्पिटल के पिछले हिस्से में फूड वेस्ट जमा होता जा रहा है। इसे उठाने के लिए कई बार नगर निगमकर्मियों को बोला गया, लेकिन वे सुन नहीं रहे हैं। इसके लिए नगर आयुक्त को लेटर भी लिखा गया है, मगर अभी तक कोई जवाब नहंी आया है। इधर निगम कर्मचारियों का कहना हैं कि हॉस्पिटल कैंपस में कोरोना पेशेंट का इलाज भी हो रहा है, ऐसे में उन वेस्ट में संक्रमण हो सकता है। अगर वे कूड़ा उठाते है तो वे खुद कोरोना संक्रमित हो सकते है। नगर निगम की तरफ से उन्हे पीपीई किट या बचाव के अन्य कोई साधन नहीं मिले है जिससे वे निर्भय होकर वहां की सफाई करें।

बाहर कूड़ा घर, फिर भी अंदर अंबार

यह तो सिर्फ ईएसआईसी हॉस्पिटल की बात है। शहर के ऐसे कई अस्पताल और कोविड सेंटर हैं, जहां प्रॉपर तरीके से कूड़े का उठान न होने से वहां कोरोना के साथ डायरिया व अन्य संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा मंडराने लगा है। इएसआईसी हॉस्पिटल हो या मंडलीय हॉस्पिटल दोनों कैंपस के बाहर नगर निगम का कूड़ा घर बना हुआ है, बावजूद इसके हॉस्पिटल कैंपस के अंदर से कूड़ा साफ नहंी हो पा रहा है। अब इसे नगर निगम की लापरवाही नहंी तो और क्या कहा जाएगा। जबकि जिला प्रशासन ही स्वास्थ्य महकमे की ओर से भी वर्तमान में समय में साफ-सफाई बनाए रखने के लिए दिशा निर्देश दिए गए हैं।

यहां भी है बायो वेस्ट से खतरा

बनारस में कोरोना का संक्रमण खतरा कम नहीं हो रहा है। भले ही जिला प्रशासन ने एसिंटोमेटिक कोरोना पेशेंट के लिए होम आइसोलेशन की सुविधा दे दी है, लेकिन उनकी यह सुविधा दूसरों के जान का खतरा बन गयी है। घरों में आइसोलेट होकर बिना लक्षण वालों के इलाज से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण भी सही ढंग से नहीं हो पा रहा है। इससे संक्रमण के फैलाव का खतरा बना है। यहां चिकित्सा में उपयोग की जाने वाली पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) किट, मास्क, ग्लब्स व अन्य सामग्री को डस्टबिन के बजाए खुले में ही रखा जा रहा है।

सुरक्षा से हो रहा खिलवाड़

यहां होम क्वारेंटीन लोगों के लिए बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण से समस्या बढ़ चुकी है, ज्यादातर लोग सामान्य कूड़े में वेस्ट को फेंक दे रहे हैं। यही वजह हैं कि नगर निगम कर्मचारी अब समान्य वेस्ट को उठाने में आनाकानी कर रहे है। इस समस्या की परवाह न तो जिला प्रशासन को है और न स्वास्थ्य विभाग और एनजीटी को। कोरोना संक्रमण के दौरान सीधे-सीधे लोगों की सुरक्षा से खिलवाड़ हो रहा है।

न पीपीई किट न फेस शील्ड

शहर के आइसोलेशन वार्ड और क्वारंटीन सेंटर्स में नीले और हरे डस्टबिन में कोविड-19 का वेस्ट रखा जाता है। लेकिन नगर निगम शहर में कहीं भी ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की है जिससे सफाई कर्मियों को पता लग पाए कि कौन सा सामान्य कूडृा है और कौन कोरोना संक्रमित मरीजों का बायो वेस्ट। जबकि नियम के तहत निगम को पीले रंग का अलग डस्टबिन रखवाना चाहिए। ताकि सफाईकर्मी उसे तुरंत पहचान लें। यही नहीं कूड़ा उठाने वाले निगमकíमयों को पीपीई किट और फेस शील्ड तक नहंी दी गई।

यह सही है कि हॉस्पिटल के पिछले हिस्से में फेंके जाने वाले फूड वेस्ट का उठान नहीं हो रहा है। निगम कर्मी मानते हैं कि उसमे कोविड पेशेंट का खाया खाना भी फेंका गया है, जबकि ऐसा नहीं है। वेस्ट के उठान के लिए नगर निगम को लेटर लिखा गया है।

एमपी मिंज, एमएस-ईएसआईसी हॉस्पिटल

Posted By: Inextlive