मुक्ति भवन के कमरों में जीवन के अंतिम समय बिताने आते हैं बहुत लोग

मृत्यु के बाद महाश्मशान मणिकíणका घाट पर परिजन करते हैं दाह संस्कार

दुनिया की सबसे प्राचीन नगरी में शुमार काशी एकमात्र ऐसा शहर है, जो मुक्ति और आनंद के लिए जाना है। गंगा घाट किनारे आनंद की अनुभूति और चिंता भी सजती है। मान्यता है कि काशी में मृत्यु से जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है। इसलिए मोक्ष प्राप्ति के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। यही वजह है कि जीवन के अंतिम समय में बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, तेलगांना के अलावा देश-विदेश के अलग-अलग हिस्सों से लोग काशी आते हैं। मुक्ति भवन के कमरों में जीवन के अंतिम समय को वे परिवार के सदस्यों के साथ बिताते हैं। मृत्यु के बाद काशी के महाश्मशान मणिकíणका घाट पर उनके परिजन उनका अंतिम संस्कार करते हैं, लेकिन कोरोना ने मुक्ति का अधिकार भी छीन लिया। यानी 24 मार्च से मुक्ति भवन पर ताला लटका है।

काशी विश्वनाथ के हृदय स्थली मिसिर पोखरा स्थित मुक्ति भवन को कोरोना के कहर के कारण अस्थाई तौर पर बंद कर दिया गया। बीते 9 माह से मुक्ति भवन के दस कमरों में ताले लगे हैं। काशी लाभ मुक्ति भवन के मैनेजर अनुराग हरि शुक्ल के अनुसार कोरोना से मुक्ति के लिए वैक्सीनेशन शुरू हो गया है। स्थिति भी सामान्य हो रही है। ट्रस्ट के सदस्यों ने मुक्ति भवन को जल्द ही शुरू करने का भरोसा दिलाया है।

मुक्ति के लिए अधिकतम 15 दिन

मुक्ति भवन में जीवन के अंतिम समय में लोग अपने परिवार के साथ बिताते हैं। कोरोना काल के दौरान कोरोना जांच और मेडिकल की सुविधा न होने के कारण इसे अस्थाई तौर पर बन्द कर दिया गया। स्थिति सामान्य होने के बाद ट्रस्ट के मेंबर इसे खोलने पर फैसला करेंगे। बताते चलें कि वाराणसी के इस मुक्ति भवन का संचालन दिल्ली की संस्था डालमिया चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से किया जाता है।

काशी में मृत्यु से मिलता है मोक्ष

बीएचयू के प्रोफेसर डॉ। सुभाष पांडेय ने बताया कि काशी भगवान शिव की नगरी है। यहां देह त्यागने वालों को भगवान शिव खुद कान में तारक मंत्र देते हैं, जिससे मनुष्य जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है। अंतिम समय में काशी वास करने वाले लोगों को गंगाजल का सेवन और भगवान शिव की प्रार्थना जरूर करनी चाहिए।

-4800 लोगों को अब तक मिल चुकी मुक्ति

-10 कमरों का मुक्ति भवन

-20 रुपये प्रतिदिन मुक्ति पाने वाले से लिया जाता है।

-15 दिन से अधिक समय होने पर मुक्ति पाने वाले को लौटा दिया जाता है

-6 बिस्सा में फैला है मुक्ति भवन

-6 कर्मचारी संभालते हैं मुक्ति भवन कामकाज

-12 से 5 बजे तक गीता या रामायण सुनाया जाता है।

-2 बार सुबह-शाम होती है आरती

Posted By: Inextlive