टॉयलेट के लिए गल्र्स को जाना पड़ता है घर
वाराणसी (ब्यूरो)। बनारस के कई परिषदीय विद्यालयों में छात्र-छात्राओं के लिए बने शौचालय की बदहाली किसी से छिपी नहीं है। जिले में कुल 1400 सरकारी स्कूल हैं। इनमें से कई परिषदीय स्कूलों में बालक-बालिकाओं के लिए बने अलग-अलग शौचालय निहायत गंदे, बदहाल और फटेहाल हैं। कुछ स्कूलों में शौचालयों की हालत यह है कि इनमें 24 घंटे ताले लटके रहते हैं, जिससे यहां जहरीले जंतुओं ने डेरा डाल दिया है। कई बार तो वॉशरूम जाने के लिए लड़कियों को क्लास छोड़ घर भी जाना पड़ता है.
जूनियर माध्यमिक स्कूल लहरतारा पूर्वोत्तर रेलवे जूनियर माध्यमिक स्कूल लहरतारा में विद्यालय परिसर में बीमारी के वाहक सूअर घूम रहे थे। दो बच्चे पेशाब के लिए शौचालय की तरफ जाते हैं। एक शौचालय के कमरे में झांकने के बाद बाहर ही झाडिय़ों में पेशाब कर लौट आता है, जबकि दूसरा बालक जैसे-तैसे गंदे शौचालय में फारिग होकर बाहर आता है.कन्या प्राथमिक विद्यालय चौकाघाट-2
कन्या प्राथमिक विद्यालय चौकाघाट-2 (अंधरापुल) विद्यालय के गेट पर ही चार शौचालय बनाए गए हैं। इनमें से दो पर ताले लटक रहे थे। दो शौचालय तो खुले हुए मिले लेकिन वे इतने गंदे और बदहाल थे कि इनमें छात्र-छात्राओं जाना संभव नहीं। टॉयलेट शीट और आसपास बड़े-बड़े काले चीटें घूम रहे थे। शौचालय भवन के ऊपर एक बदहाल अवस्था में पानी की टंकी राखी गई थी। जंगली लताओं ने शौचालय कक्ष को घेर रखा है.
प्राथमिक विद्यालय ढोलवरिया-चौकाघाट प्राथमिक विद्यालय ढोलवरिया-चौकाघाट का रियलिटी चेक करने पर यहां भी बालिका शौचालय घर की स्थिति बदहाल नजर आई। इससे छाज्ञाओं को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जिम्मेदार हैैं कि सुध लेने का नाम नहीं लेते हैैं. ब्लॉकवार स्कूलों की सूची आरजीलाइंस-191 बडागांव - 150 चिरईगांव- 158 चोलापुर -155 हरहुआ -149 काशी विद्यापीठ -125 नगर निगम वाराणसी-120 नगर पालिका रामनगर -16 पिंडरा-186 सेवापुरी-150 स्थिति बहुत ही बदहाल कुल 1400 स्कूलों में से कई स्कूलों में टॉयलेट की स्थित बहुत ही बदहाल है। नौकरशाही का दावा सिर्फ कागजों में सिमट कर रह गया गई। हकीकत में छात्र-छात्राओं को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा है. पठन-पाठन पर पड़ रहा असरप्रतिभा बताती हैैं कि स्कूलों की मैनेजमेंट कमेटी की भूमिका भी संदेह के घेरे में हैं। ओवरआल इनकी लापरवाहियों की वजह से स्कूलों में दिनोंदिन छात्र-छात्राओं की तादात घटती जा रही है। भ्रष्ट तंत्र की लापरवाही से सुरक्षित वातावरण में छात्र-छात्रों का पठन-पाठन नहीं हो पा रहा है। सुन्दरपुर से लेकर शहर और ग्रामीण इलाकों के शासकीय स्कूलों के टॉयलेट्स की स्थिति बद से बदतर हो गई है। इनकी दशा को सुधारने के लिए न तो स्थानीय जनप्रतिनिधि तत्पर हैं और न ही बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी.
बीमारियों के फैलने की आशंका बनारस के सैकड़ों स्कूलों में गंदे टॉयलेट्स की वजह से छात्र-छात्राओं के बीमार होने की आशंका प्रबल हो जाती है। खुले में शौच या गंदे टॉयलेट्स का इस्तेमाल करने पर पर्यावरण और बच्चों की सेहत पर प्रत्यक्ष असर देखने को मिलता है और बच्चे प्रत्यक्ष रूप से संपर्क में आते हैं। इसकी वजह से डायरिया और जलजनित बीमारियों के फैलने का खतरा तथा घरों और समुदायों में संक्रामक बीमारी पांव पसारने लगती है। पानी में सूक्ष्मजीव से दूषित होने पर भी उल्टी, दस्त, डायरिया, बुखार, संक्रमण आदि की चपेट में आने पर बच्चों की पढ़ाई बाधित होती है. टॉयलेट्स में जहरीले जंतुओं का बसेरा दर्जन भर अधिक शहरी और ग्रामीण इलाके में स्थित सैकड़ों सरकारी स्कूलों में बने टॉयलेट्स बदहाल और जंगली घासों-झाडिय़ों से घिरे हुए हैं। मानसूनी बारिश में स्कूलों के कैम्पस में उगने वाली घास में रहने वाले सांप, बिच्छू, छिपकली समेत अन्य जहरीले जंतु बारिश से बचने के लिए टॉयलेट्स में निवास करने लगते हैं.जनपद के कई स्कूलों में टॉयलेट्स की स्थिति बदहाल है। जिम्मेदार अधिकारियों का वास्तविकता से कोई सरोकार नहीं है। गरीब और इनके बच्चों से कोई सरोकार नहीं रह गया है। ऐसे लापरवाह लोगों पर जिलाधिकारी कड़ी कर्रवाई करें।
वैभव त्रिपाठी, सामाजिक कार्यकर्ता अध्यापक और प्रिंसिपल स्कूल की बाहरी साफ-सफाई में जुटे रहते हैं। जबकि, टॉयलेट्स और पेयजल की व्यवस्था आदि की स्थिति बदहाल आज भी है। यही वजह है कि लोग अब अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में भेजने से बचने लगे हैं। बारिश के दिनों में हालत और खराब हो जाते हैं। बीएसए मामले का संज्ञान लें और समुचित व्यवस्था कराएं. प्रतिभा सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता शौचालय भवन की जल्द ही सफाई और नाम लिखवा लिया जाएगा। विभाग की तरफ से कोई सफाईकर्मी नहीं मिलता है। इस वजह से कभी-कभी समस्या हो जाती है. रत्नेश गुप्ता, प्रधानाचार्य, कन्या प्रा। वि। चौकाघाट-2 शिकायत सही है। स्कूलों में साफ-सफाई की हमारी जिम्मेदारी नहीं है। इन स्कूलों में ऑपरेशन कायाकल्प के काम अभी सुचारू नहीं है। सुधार के लिए आयुक्त, प्राधिकरण को संबंधित अधिकारियों को पत्र लिखा गया है। राकेश सिंह, बीएसए, वाराणसी