वैक्सीनेशन के लिए पहुंचे बुजुर्गों ने शेयर की अपनी दास्तां

देश के साथ-साथ करीब एक साल से वाराणसी में भी कोरोना के खिलाफ जंग जारी संक्रमण है। शुरुआत में सरकार के साथ ही स्वास्थ्य विभाग के पास भी इस खतरनाक वायरस से लोगों को बचाने के लिए कारगर व्यवस्था का अभाव था। कोरोना से बुजुर्गो और बच्चों को सबसे ज्यादा खतरा था, इसलिए सरकार ने सख्त फैसला लिया। सिर्फ इलाज के लिएछोड़, किसी भी स्थिति में बुजुर्गो औरबच्चों को घर से निकलने पर पूरी तरह से प्रतिबंधित लगा दिया गया था। जिला प्रशासन भी लगातार बुजुर्गो से नहीं निकलने की अपील कर रहा था। इस सख्त आदेश का पालन करना मुमकिन नहीं था, लेकिन वाराणसी में कई ऐसे बुजुर्ग हैं, जिन्होंने इस नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया। वैक्सीन लगवाने आने पर दैनिक जागरण आईनेस्क्ट ऐसे बुजुर्गो से आपको रूबरू कराने जा रहा है।

बुजुर्गो को घर से निकलने पर था प्रतिबंध

पिछले साल मार्च में ही कोरोना संक्रमण के बढ़ने मामलों को देखते हुए सरकार ने लॉकडाउन की घोषणा कर दी थी। लोगों के घरों से निकलने पर पूर्णरूप पाबंदी लगा दी गई थी। जरूरी सामान की खरीदारी करने के लिए हर दिन दो से तीन घंटे की मोहलत दी गई थी। कोरोना से ज्यादातर बुजुर्गो की मौत के बाद सरकार ने सख्त फैसला लिया। जिसमें सिर्फ इलाज के छोड़ किसी भी स्थिति में बुजुर्गो औरबच्चों को घर से निकलने पर पूरी तरह से प्रतिबंधित लगा दिया था।

बुजुर्गो का वादा लड़ेंगे जंग

पिछले साल मार्च में ही नये वायरस के रूप में कोरोना सामने आया। हर दिन टीवी पर इससे मौत की खबरें देखकर मैं भी काफी सहम गया। शुरुआत में इस संक्रमण को रोकने के लिए वैक्सीन या कोई कारगर दवा नहीं थी। इसके संपर्क में नहीं आना ही इससे बचाव था। मैं 21 मार्च 2020 से ही घर से बाहर नहीं निकला। करीब 350 दिन मैंने अपने पूरे परिवार के साथ बिताया। मेरे पोते ने वैक्सीन के लिए मेरा रजिस्ट्रेशन किया था। शुक्रवार मेरा नंबर आया और जिला अस्पताल में आकर मैंने वैक्सीन लगवा लिया। अभी भी मैं घर से बाहर नहीं निकलूंगा।

-गुप्तेश्वर तिवारी, उम्र-91

कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए सरकार ने बुजुर्गो औरबच्चों को घर से निकलने पर प्रतिबंधित लगा दिया था। इस आदेश का मैंने पालन किया। जब से कोरोना संक्रमण सक्रिय है। मैं घर से बाहर नहीं निकला। बुजुर्गो को वैक्सीन लगने की जानकारी न्यूज पेपर में पढ़ा। करीब 345 दिन बाद अपने बेटे के साथ वैक्सीन लगवाने के लिए जिला अस्पताल आया। वैक्सीन लगने के बाद में मुझे कोई दिक्कत नहीं हुई। मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूं।

-विश्वनाथ सिंह, उम्र-68

मैंने करीब एक साल तक कोविड प्रोटोकाल का पालन किया। रिश्तेदारी में शादी भी पड़ी थी, लेकिन मैं वहां नहीं गई। हालांकि रिश्तेदारों ने काफी दबाव बनाया और कुछ नहीं होने का आश्वासन भी दिया। अगर वहां जाने से मुझे कोई दिक्कत होती तो इससे मेरा पूरा परिवार परेशान हो जाता है। आज मैं अपने पति के साथ वैक्सीन लगवाने आयी हूं। वैक्सीन लगने के बाद मुझे कोई दिक्कत नहीं हुई।

-मुन्नी देवी, उम्र-62

कोरोना ने पूरी तरह से हिलाकर रखा दिया था। हर दिन कोरोना से मौत की खबर से डर गया था। घर में रहना ही इससे बचाव का एक मात्र उपाय था। बच्चों ने भी घर से बाहर निकलने के लिए मना कर दिया था। जब मेरा बेटा में नहीं होता था तो थोड़ी देर के लिए कालोनी के पार्क में जाकर खुली हवा में सांस ले लेता था। करीब 346 दिन बाद अपने स्कूटर से मैं वक्सीन लगवाने पहुंचा। वैक्सीन लगने के बाद अब डर खत्म हो गया है।

-निरंजन चौधरी, उम्र-66

Posted By: Inextlive