-काशी विद्यापीठ के टीचर्स को रूसा के तहत मिलना था लैपटॉप

-सन् 2016 में वित्त समिति ने सेंशन किया था फंड, सिर्फ 30 को ही मिल सका लैपटॉप

- 25 लाख रुपये की स्वीकृति भी प्रदान कर दी गई थी लैपटॉप के लिए

टीचर्स को हाईटेक बनाने की योजना अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पायी है। उसने बीच में ही दम तोड़ दिया है। यहां बात महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ की हो रही है। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने चार साल पहले टीचर्स को लैपटॉप देने की योजना बनायी थी। इसके लिए फंड भी सेंशन कर दिया गया था। इतने के बाद भी गुरुजी तक यह योजना पहुंच नहीं पायी है। अगर समय रहते टीचर्स को यूनिवर्सिटी प्रशासन ने लैपटॉप उपलब्ध करा दिया होता तो आज गुरुजी हाइटेक होते और ऑनलाइन क्लास में समस्या ही नहीं आती।

30 ही हो पाए लैपटॉप से लैस

सन् 2016 में यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कैंपस के विभिन्न विभागों में पढ़ाने वाले टीचर्स को हाईटेक बनाने की महत्वाकांक्षी योजना बनायी। इसके लिए आनन-फानन में पैसा भी रिलीज कर दिया गया। लेकिन पिछले चार साल में केवल 30 टीचर्स को ही लैपटॉप दिया जा सका है। अन्य टीचर्स को अब भी लैपटॉप का इंतजार है। जबकि यूनिवर्सिटी में 100 टीचर्स हैं। ऐसे में 70 टीचर्स को हाईटेक करने में यूनिवर्सिटी प्रशासन अब भी पीछे है।

सीनियर टीचर से हुई थी शुरुआत

यूनिवर्सिटी के तत्कालीन वीसी डॉ। पृथ्वीश नाग की अध्यक्षता में हुई वित्त समिति की बैठक में राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान यानी रूसा मद से टीचर्स को लैपटॉप देने को हरी झंडी दी गई थी। इसके लिए 25 लाख रुपये की स्वीकृति भी प्रदान कर दी गई थी। फ‌र्स्ट फेज में सीनियर टीचर्स को लैपटॉप देने का प्लान बना था। आनन-फानन में कुछ टीचर्स को लैपटॉप दे भी दिया गया। इसके बाद यह योजना ठंडे बस्ते में चली गयी। अन्य टीचर्स लैपटॉप की राह देखते ही रह गए।

::: कोट :::

टीचर्स को लैपटॉप देने की योजना बहुत पुरानी है। इसका अब तक कार्यान्वयन क्यों नहीं हो पाया यह देखना होगा। यह योजना बहुत अच्छी थी। इससे टीचर्स व स्टूडेंट्स दोनों को फायदा होगा।

-प्रो। केपी जायसवाल, प्रभारी, रूसा, काशी विद्यापीठ

Posted By: Inextlive