डॉक्टर बोले देश की सांस्कृतिक नगरी में कम हैं हॉस्पिटल असली बजट चुनाव के बाद ही आएगा


वाराणसी (ब्यूरो)फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को अंतरिम बजट पेश किया है। अंतरिम इसलिए कि यह चुनावी साल है, असली बजट चुनाव के बाद ही आएगा। मगर आम लोगों के लिहाज से अंतरिम बजट में भी कुछ खास नजर नहीं आया। न टैक्स बदला और न कोई बड़ी घोषणाएं की गईं। बजट आने से पहले बनारस के लोगों में शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में बहुत कुछ मिलने की उम्मीद की गई थी, मगर यह उम्मीद धरी की धरी रह गई। लोगों को कितना पसंद आया यह बजट, इस पर लोगों ने अपनी-अपनी राय रखी.

इस बजट में चिकित्सा के क्षेत्र में काफी कुछ उम्मीदें की गई थीं। आशा वर्कर और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को आयुष्मान भारत योजना का लाभ देने के साथ ही सर्वाइकल कैंसर को लेकर गंभीरता दिखाई गई है। इस कैंसर को लेकर सेफ्टी के लिए 9 से 14 साल की लड़कियों का फ्री टीकाकरण एक अच्छी पहल है.

डॉनेहा सिंह, गाइक्नोलॉजिस्ट

इस बजट में गल्र्स लाइफ सेफ्टी के लिहाज से बेहतरीन स्टेप लिया गया है। हालांकि इससे ज्यादा की उम्मीद की गई थी, चूंकि यह अंतरिम बजट है, इसलिए इसे ज्यादा प्रभावी नहीं कहा जा सकता। आयुष्मान भारत योजना में बजट बढ़ा होता तो इसका फायदा अस्पताल और मरीज दोनों को मिलता। इसमें पैकेज बढ़ता तो ट्रीटमेंट की क्वालिटी में भी इजाफा होता.

डॉराहुल चंद्रा, प्रेसिडेंट, आईएमए

सरकार का पहला फोकस शिक्षा पर होना चाहिए। एजुकेशन को लेकर काफी कुछ करने को है, लेकिन इस बजट में ऐसा कुछ भी दिखाई नहीं दिया। शिक्षा और रोजगार को लेकर कापर्स फंड का ऐलान ठीक है, मगर इससे कहीं ज्यादा की जरूरत है, जिसे पूरा नहीं किया गया। कुल मिलाकर शिक्षा के लिहाज से यह बजट बेकार है.

डॉअंजना सिंह, प्रोफेसर

मीडिल क्लास के लिए इस बजट में कुछ भी नहीं है। सब कुछ सामान्य सा लगा। शिक्षा के साथ स्पोट्र्स के फील्ड में भी कुछ नहीं किया गया है। हालांकि यह अंतरिम बजट है, इसलिए इसे ज्यादा निराशापूर्ण नहीं कह सकते। हो सकता है चुनाव के बाद आने पेश होने वाले बजट में सरकार एजुकेशन और हेल्थ के फिल्ड में कुछ अच्छा करें.

डॉश्वेता, स्पोट्र्स टीचर

चुनावी साल होने की वजह से इस बार अंतरिम बजट पेश किया गया। जिसमें सब कुछ सामान्य सा दिखाई दिया है। हर बार की तरह इस बार भी मीडिल क्लास के हाथ खाली ही रह गए। जो उम्मीद की गई थी वैसा कुछ नहीं दिखा। टैक्स के स्लैब में भी कुछ बदलाव नहीं किया गया है। कुल मिलाकर इसे ठीक-ठीक बजट कहा जा सकता है। निगाहें अब चुनाव के बाद वाले बजट पर रहेगी.

अंशुमान त्रिपाठी, सीनियर एडवोकेट

मीडिल क्लास फैमिली को इस बार भी कुछ नहीं मिल सका है। टैक्स स्लैब में कोई बदलाव न होने से काफी निराशा हाथ लगी है। पिछले साल की तरह इस बार भी बजट सामान्य सा ही दिखा है। महंगाई के चलते रसोई का बजट काफी बिगड़ा हुआ है। लेकिन इस बजट से कोई राहत नहीं मिली। न पेट्रोल पर कोई बात की गई न ही एलपीजी गैस पर.

डॉसपना भूषण, टीचर

Posted By: Inextlive