- दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने सोनपुरा, अस्सी, मदनपुरा, मीरघाट में जर्जर मकानों की पड़ताल

- मीर घाट में एक भवन के गिरने की घटना से कई और इलाकों में है दहशत का माहौल

- डर के साये में जी रहे लोगों ने रखी अपनी बातें, कहा सुरक्षा को नहीं कर सकते दरकिनार

- 193 भवनों का ध्वस्तीकरण सुरक्षा को देखते हुए है बेहद जरूरी

- 05 वार्डो की गलियों को खोदकर नई सीवर, पाइप लाइन व बिजली के तार को भूमिगत करने का चल रहा है कार्य

- 02 सौ मीटर गंगा किनारे के दायरे में भवन के नवनिर्माण व मरम्मत पर वीडीए ने रोक लगा दी है

दशाश्वमेध क्षेत्र के मीर घाट में भवन गिरने की घटना से कई और इलाकों में दहशत का माहौल है। शहर में करीब तीन सौ ऐसे मकान हैं, जहां से गुजरने वाले हर एक व्यक्ति की निगाह नीचे नहीं, बल्कि ऊपर रहती है। जब तक व्यक्ति मकान को क्रास नहीं कर लेता, तब तक उसकी जान सांसत में रहती है। उसे डर लगता रहता है कि कहीं जर्जर मकान उसके ऊपर न गिर जाए। इस प्रकार दहशत भरी निगाहें काशी के कई प्रमुख वार्डो के रहने वाले लोगों में आम देखी जा सकती है। इसकी पड़ताल के क्रम में दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम को लोगों ने अपनी व्यथा बतायी। टीम ने सोनपुरा, अस्सी, मदनपुरा, मीरघाट में जर्जर मकानों की पड़ताल की।

इन दिनों त्रिपुरा भैरवी, रानी भवानी गली, मीर घाट, शकरकंद गली, डेढ़ मल गली, कालिका गली व धर्मकूप समेत गंगा घाट के किनारे करीब पांच वार्डो की गलियों को खोदकर नई सीवर व पाइप लाइन के अलावा बिजली के तार को भूमिगत करने का कार्य चल रहा है। स्मार्ट सिटी योजना के तहत हो रहे इस कार्य में न कोई बेहतर रणनीति दिखाई देती है और न ही सुरक्षा के इंतजाम दिखते हैं। ऐसी स्थिति में कार्य से संकरी गलियों में वर्षो से निवास कर रहे लोग परेशानी का सामना तो कर ही रहे हैं, वहीं कोई बड़ी घटना न हो जाए इसको लेकर दशहत में हैं।

खतरनाक होते जा रहे हैं भवन

शहर के चौक, कोतवाली व दशाश्वमेध जोन में जो भी पुराने व जर्जर मकान हैं उनमें किरायेदारी का विवाद है। वाद कोर्ट में लंबित होने के चलते उनमें हाथ डालने से नगर निगम प्रशासन बचता है। इस कारण भवनों के ध्वस्तीकरण में दिक्कत आती है। इसके अलावा वीडीए ने गंगा किनारे दो सौ मीटर के दायरे में नवनिर्माण पर रोक लगा दिया है। बिना मंजूरी के मरम्मत भी नहीं करा सकते हैं। वीडीए से परमिशन लेना भी आसान नहीं है। इसके चलते घाट किनारे जर्जर भवन दिन-ब-दिन और खतरनाक होते जा रहे हैं।

193 भवनों का गिरना बेहद जरूरी

नगर निगम की सूची के अनुसार दो साल पहले जर्जर भवनों की संख्या 341 हो गई थी, लेकिन बीते वर्ष बारिश में कई भवनों की दीवारें गिर गईं और कुछ लोग जख्मी हो गए तो 49 भवनों को ध्वस्त किया गया। अब भी जर्जर भवनों की संख्या 292 है। इसमें 193 ऐसे भवन हैं जिनका ध्वस्तीकरण बेहद जरूरी है। गंगा तट से दो सौ मीटर के दायरे में प्रतिबंध के कारण अधिकांश भवनों के नींव, ईटें सड़ गई हैं। दीवारें, छत व छज्जे काफी जर्जर हो चुके हैं। हालात यह है कि अगर बंदर भी इनके छज्जों पर जोर से कूद जाता है तो मलबा जरूर गिरता है।

किस जोन में कितने जर्जर मकान

दशाश्वमेध 104

कोतवाली 81

आदमपुर 24

भेलूपुर 10

चौक 58

वरुणापार 15

एक नजर में जर्जर मकान के कुछ हादसे

-दशाश्वमेध वार्ड के डेढ़मल गली में मकान नंबर डी 4/15, 16 व 17 के खंडहर की दीवार गिर गई थी। बंद गली होने के कारण जनजीवन को कोई हानि नहीं हुई, लेकिन गली में खड़ी स्कूटी क्षतिग्रस्त हो गई था।

-पक्के महाल में डी 4/11 नंबर मकान की पटिया व गर्डर गिर गया था

-कबीरचौरा स्थित कबीर रोड में पवन चौरसिया का मकान ढह गया था। इस मकान में तीन लोग थे, लेकिन संयोग अच्छा रहा कि कोई हताहत नहीं हुआ।

कहते हैं जिम्मेदार

नगर निगम की सूची में दर्ज जर्जर भवनों की जांच-पड़ताल करने की जिम्मेदारी एसीएम द्वितीय को सौंपी गई है। कानूनी दाव-पेच को देखते हुए ध्वस्तीकरण की कार्रवाई कराई जाएगी। यह कार्य नगर निगम व पुलिस के सहयोग से किया जाएगा।

-कौशलराज शर्मा, डीएम

Posted By: Inextlive