-बनारस के डॉ। संपूर्णानंद स्पोर्ट्स स्टेडियम में वेट लिफ्टिंग की ट्रेनिंग का कोई इंतजाम नहीं

-कोच व हॉस्टल न होने से दूसरे शहरों का रूख कर लेते हैं खिलाड़ी

टोक्यो ओलंपिक में शनिवार को वेटलिफ्टिंग प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल भारत के खाते में आने पर पूरे देश में उल्लास छा गया, लेकिन बनारस के खेलप्रेमियों में मायूसी ही छायी रही। यहां के डॉ। संपूर्णानंद स्पोटर््स स्टेडियम, सिगरा में वेटलिफ्टिंग को गेम के रूप में लिस्ट ही नहीं किया गया है। इसके लिए कोई यहां कोच भी नहीं है। जिससे चाहकर भी कोई खिलाड़ी ट्रेनिंग ले नहीं पाता है। जिन खिलाडि़यों को वेट लिफ्टिंग का ट्रेनिंग लेना पड़ता है उन्हें दूसरे शहरों में जाना पड़ता है। इस शहर में कोई ट्रेनिंग व कोचिंग नहीं मिल पाती है। ऐसे में यहां से कैसे मीरा बाई चानू जैसी खिलाड़ी निकलेगी यह यक्ष प्रश्न है।

स्वयं प्रैक्टिस

वैसे तो बनारस में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। लगभग सभी गेम में यहां से इंटरनेशनल प्लेयर निकले हैं। वेट लिफ्टिंग में भी बनारस का नाम यहां के खिलाडि़यों ने रोशन किया है। फर्क बस इतना रहा कि उन्होंने खुद से बनारस में तैयारी की और आगे की ट्रेनिंग के लिए दूसरे शहरों में स्थित स्पोर्ट्स कॉलेजेज में एडमिशन ले लिया। सन् 2014 में कामनवेल्थ गेम में ब्रांज मेडल जीत चुकी स्वाति सिंह ने बताया कि बनारस में वेट लिफ्टिंग की ट्रेनिंग खुद से करनी पड़ती है। यहां कोई इंतजाम नहीं है।

कोच से हॉस्टल तक की जरूरत

बनारस में वेट लिफ्टिंग की असीम संभावनाएं हैं। लेकिन व्यवस्था न होने से खिलाडि़यों को सही प्लेटफॉर्म नहीं मिल पा रहा है। स्वाति ने बताया कि वेट लिफ्टिंग के लिए जरूरी है कि साई का परमानेंट कोच के अलावा हॉस्टल की भी व्यवस्था होनी चाहिए। बिना इसके वेट लिफ्टिंग में खिलाड़ी नहीं निकल सकते। पीएम का संसदीय क्षेत्र होने के बावजूद यहां पर कोई इंतजाम नहीं है। वेट लिफ्टिंग के खिलाड़ी को कोच, ट्रेनर, फिजियोथेरेपिस्ट, हॉस्टल के साथ डायट का अच्छा इंतजाम होना जरूरी है।

अन्य शहरों की तरह करना होगा इंतजाम

कॉमनवेल्थ गेम्स में भारोत्तोलन में मेडल जीतने वाली स्वाति सिंह का कहना है कि ओलिंपिक में जो भी खिलाड़ी आता है उसकी पूरी तैयारी होती है क्योंकि देश की प्रतिष्ठा की बात होती है। मीराबाई ने मेडल जीतकर दिखा दिया कि भारत में नारी शक्ति बहुत मजबूत है। इसी तरह के खिलाड़ी बनारस से भी निकल सकते हैं, बशर्ते इसके लिए अन्य शहरों की तरह यहां भी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किए जाएं। तभी यहां से वेट लिफ्टिंग में नेशनल प्लेयर निकलेंगे। जो विश्व पटल पर बनारस का नाम रोशन करेंगे।

ग‌र्ल्स दिला चुकी हैं मेडल

अभावों के बीच बनारस की रहने वाली महिला प्लेयर शहर को मेडल दिला चुकी हैं। लेकिन दुर्भाग्य कि उन्होंने दूसरे शहरों से तैयारी की है। इनमें सन् 2014 में स्वाति सिंह कामन वेल्थ गेम में ब्रांज व सन् 2018 में पूनम यादव कामन वेल्थ गेम में गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं। सन् 2018 में ही पूर्णिमा पांडेय कामन वेल्थ गेम में पर्टिसिपेशन कर चुकी हैं। इसके अलावा बनारस के कई प्लेयर हैं जो दूसरे शहरों में रहकर वेटलिफ्टिंग की ट्रेनिंग लेकर इंटरनेशनल गेम में नाम रोशन कर चुके हैं। बस मलाल यह है कि यदि ये बनारस से खेलते तो बात कुछ और होती।

बनारस में वेट लिफ्टिंग के खिलाड़ी बड़ी संख्या में तैयार हो सकते हैं। बस उनको सही प्लेटफॉर्म प्रदान करना होगा। व्यवस्था नहीं होने से खिलाड़ी दूसरे शहरों में चले जा रहे हैं या बीच में ही खेल छोड़ दे रहे हैं।

- स्वाति सिंह, इंटरनेशनल प्लेयर

वेट लिफ्टिंग

स्टेडियम में जिम तो बहुत अच्छा बना दिया गया है। लेकिन प्रॉपर कोच व ट्रेनर होने पर ही खिलाडि़यों को ट्रेनिंग मिल सकती है। लेकिन सालों से इसकी कमी पूरी नहीं हो पा रही है।

- नीलू मिश्रा, इंटरनेशनल प्लेयर

Posted By: Inextlive