- बीएचयू में लगे 100 साल से ज्यादा पुराने पेड़ को काटना बताया गलत

- स्वस्थ पर्यावरण और जीवन के लिए बंद हो पेड़ों की कटाई

2017 में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार वाराणसी का वायु गुणवत्ता सूचकांक 491 था जो भारत में सबसे अधिक था, यानी वाराणसी भारत का सबसे प्रदूषित शहर था। आज भी स्थिति ज्यादा बदली नहीं है। ऐसे में यहां पौधरोपण को बढ़ावा देने और पेड़ों की कटाई रोकने की जरूरत है, लेकिन प्रशासन इसमें विफल दिखता है। बीएचयू कैंपस में लगे 100 साल से ज्यादा एक पुराने पेड़ को काटने का निर्णय इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। उक्त बातें विवि के पुरातन छात्र और पर्यावरण व पशु अधिकारों के लिए कार्य करने वाले सौरभ कुमार सोनकर ने कही। सौरभ उस पेड़ को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं जिसकी छाया में लाखों विद्याíथयों ने बीएचयू से अपनी पढ़ाई की है। सौरभ ने बीएचयू के डायरेक्टर को भी पत्र लिखा है और पेड़ को न काटे जाने की मांग की है।

विरासत को नुकसान न पहुंचे

वहीं सत्यमन्थन प्रेरणा संस्था के सचिव सौरभ कुमार सोनकर का कहना है कि रोपित किये गए एक हजार पौधे भी अगले 10 साल में वो कार्य नहीं कर पाएंगे जितना 100-200 साल का एक वयस्क पेड़ अकेले करता है। पिछले साल ही प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐलान किया था कि प्रदेश में 100 साल से ज्यादा पुराने पेड़ नहीं काटे जाएंगे। ऐसे में बीएचयू में उक्त पेड़ की काटे जाने की बात समझ से परे है। उन्होंने कहा कि वे विकास के विरुद्ध नहीं हैं, लेकिन यदि कोई नवनिर्माण की जरूरत ही है तो डिजाइन ऐसी बने जिससे प्राकृतिक विरासत को नुकसान न पहुंचे। उन्होंने लोगों से आगे आकर उक्त पेड़ को काटे जाने से बचाव का आह्वान किया। बताया कि दर्जनों पुरातन छात्र और प्रॉक्टर सत्यमन्थन प्रेरणा संस्था के साथ उक्त पेड़ को बचाने के लिए खड़े हैं।

Posted By: Inextlive