वाराणसी को स्वच्छता सर्वेक्षण-2021 में देश में 30वां व प्रदेश में आठवां स्थान मिला. हालांकि इस बार नगर निगम ने पहले स्थान पर आने के लिए काफी प्रयास किया लेकिन वीआईपी मूवमेंट को छोड़कर शहर में स्वच्छता पर विशेष कार्य नहीं हुआ. जबकि निगम ने स्वच्छता सर्वेक्षण पर लगभग तीन करोड़ और सफाई पर करीब 94 करोड़ रुपये खर्च किए. बावजूद इसके रैंकिंग में सुधार नहीं हुआ बल्कि काशी तीन अंक गिरकर 30वें पायदान पर पहुंची गयी.

वाराणसी (ब्यूरो)। पिछले साल देश में जिले को 27वां स्थान मिला था। इस बार हालात क्यों नहीं सुधरे, ऐसा किन वजहों से हुआ, यह जानने के लिए दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने शहर के उन मोहल्ले में सफाई की स्थिति जानी, जहां प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री, मेयर, विधायक व नगर आयुक्त का आवास है। पड़ताल में जो तस्वीर सामने आयीं, उसे देखकर आप भी समझ जाएंगे कि आखिर बनारस तीन पायदान नीचे क्यों आया। आइए तस्वीरों से आपको बताते हैं।

घंटी मिल: मेयर आवास
अन्नपूर्णा नगर कॉलोनी में मेयर मृदुला जायसवाल का आवास है, जिसका रास्ता घंटी मिल से होकर जाता है। रविवार दोपहर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम यहां पहुंची तो कॉलोनी के पास कई जगहों पर कूड़ा पड़ा मिला।

सुदामापुर: राज्यमंत्री आवास
इसके बाद टीम सुदामापुर स्थित राज्यमंत्री डॉ। नीलकंठ तिवारी के आवास पहुंची। आवास के पास कूड़े की डस्टबिन रखी गयी थी, जिसके पास कूड़ा बिखरा मिला। इसके अलावा रास्ते में भी कई जगहों पर गंदगी दिखी।

खोजवां: राज्यमंत्री आवास
खोजवां में स्टाम्प मंत्री रविंद्र जायसवाल के अवास पर भी टीम पहुंची, जहां से चंद कदम दूर आदर्श पुस्तकालय के पास कूड़े का ढेर मिला। अमूमन पूरे इलाके में जगह-जगह गंदगी पड़ी मिली।

शिवाजी नगर: विधायक आवास
खोजवां के बाद टीम महमूरगंज स्थित शिवाजी नगर कालोनी पहुंची, जहां विधायक सौरभ श्रीवास्तव के -डॉ। एनपी सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारीआवास आसपास भी कूड़ा मिला। कालोनी में हर दस कदम पर कूड़े दिख रहे थे।

सिकरौल : नगर आयुक्त आवास
सर्किट हाउस के सामने सिकरौल कालोनी में नगर आयुक्त प्रणय सिंह का आवास है। जहां सफाई मिली, लेकिन आवास सौ कदम दूर मोड़ के पास सड़क पर कूड़े बिखरे पड़े थे, जिसमें पालीथिन भी था, जिसे पशु खा रहे थे।

बस यहां है राहत
हालांकि गंगा किनारे के 150 शहरों में वाराणसी को सबसे स्वच्छ और गारवेज फ्री सिटी के लिए राष्ट्रपति अवार्ड मिलने से नगर निगम और अधिकारी फुले नहीं समा रहा है। हालांकि इसे छोड़कर अन्य जगह हाल खराब ही है।

यहां स्थिति बदतर है
धरातल पर आकर हकीकत देखें तो शहर के मुख्य मार्गों और पॉश कॉलोनियों को छोड़कर घनी आबादी वाले संकरे इलाकों में साफ-सफाई की स्थिति बदतर ही है। हालांकि नगर निगम हर बार शत-प्रतिशत कूड़ा उठान और निस्तारण का दावा करता है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है।

बजट किस काम का
निगम का शहर की साफ-सफाई और अन्य काम के लिए 94 करोड़ का बजट है। इसमें 40 करोड़ डीजल पर खर्च होते हैं। सफाई कर्मचारियों का वेतन दिया जाता है। सफाई के लिए उपकरण खरीदे जाते हैं। स्वच्छ सर्वेक्षण पर करीब तीन करोड़ रुपये खर्च किए गए है।

कहते हैं अधिकारी
शहर में नियमित रूप से कूड़े का उठान होता है। अमूमन झाडू लगने और कूड़ा उठने के बाद लोग घरों का कचरा लाकर डाल देते हैं। हालांकि नगर निगम की टीम बार-बार लोगों को जागरूक भी करती है। सभी के सहयोग से ही हम आगे बढ़ पाएंगे।

Posted By: Inextlive