सेमिनार में डॉक्टरों ने किया मंथन भारत में बड़े-बुजुर्ग भी मोबाइल का कर रहे इस्तेमाल मोबाइल ने हमारे जीवन और जीने के तरीके को बदल दिया


वाराणसी (ब्यूरो)यकीन नहीं मानेंगे 90 करोड़ में से 4 करोड़ लोग मोबाइल एडिक्ट के शिकार हो चुके हैैं। इनमें बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक शामिल हंै। बच्चों की संख्या 50 लाख के आसपास है, वहीं बड़े व बुजुर्ग 3.50 करोड़ हैैं। इसके बाद भी मोबाइल हर हाथ में बढ़ती जा रही है। अगर यही हाल रहा तो मोबाइल एडिक्ट की संख्या बढऩे में समय नहीं लगेगा। यह कहना है डाक्टर्स का.

2 से 15 एज ग्रुप भी शिकार

एमबीबीएस, एमडी, मनोचिकित्सक डा। वेणु गोपाल झंवर का कहना है कि बच्चों में मोबाइल एडिक्ट के शिकार 2 से 15 वर्ष के एज ग्रुप के बच्चे ज्यादा हो रहे हैं। इन बच्चों के हाथ में मोबाइल लेने पर नहीं छोड़ते हैं। घर में मां-बाप के न रहने पर हमेशा मोबाइल से चिपके रहते हंै। छोटे बच्चे तो बिना मोबाइल देखे दूध नहीं पीते, खाना तो दूर की बात है। जब उनकी मां मोबाइल दिखाती है तो वह खाना खाते हंै। इस तरह के केसेज प्रतिदिन आ रहे हंै। मोबाइल बच्चों की मानसिक स्थिति को बिगाड़ रहा है.

50 से 80 एज ग्रुप भी पीछे नहीं

देवा फाउंडेशन मिशन फॉर मैनकाईन्ड 'धर्मार्थ ट्रस्टÓ के 11वां देवाकॉन कांफ्रेंस में देश के कई राज्यों से आए डाक्टरों ने मोबाइल एडिक्ट पर मंथन किया। डॉ। वेणु गोपाल झंवर ने कहा कि 20 से 40 एज ग्रुप के लोग भी मोबाइल एडिक्ट के शिकार हैं, लेकिन इनकी संख्या कम है। सबसे अधिक 50 प्लस के ऊपर वाले लोग काफी तेजी से मोबाइल एडिक्ट के शिकार हो रहे हैं। इसके अलावा रिटायरमेंट होने के बाद जिनकी एज 60 के ऊपर हैं, ऐसे लोग भी मोबाइल एडिक्ट के शिकार हैं। ऐसे लोगों की संख्या 3.5 करोड़ के आसपास है.

मोटापा-डायबिटीज का खतरा

सेमिनार में दूर-दराज से आए डाक्टरों ने कहा कि स्मार्ट फोन से कई तरह की बीमारियां हो रही हैं। बच्चों में चिडचिड़ापन, मानसिक और शारीरिक दोनों को डैमेज कर रहा है। लगातार बैठकर मोबाइल देखने से मोटापा और डायबिटीज के शिकार हो रहे हैं। इसके लिए रात की नींद भी गायब हो रही है। इस तरह के केसेज प्रतिदिन आ रहे है। ऐसे लोगों को हास्पिटल में इलाज किया जा रहा है.

घर में लैंडलाइन का यूज करें

मनोचिकित्सक डॉ। मलय दवे ने कहा कि बच्चों को मोबाइल की लत छुड़ाने के लिए घर में लैंडलाइन फोन का यूज करें। इसके अलावा ईमेल के बजाय नार्मल चिट्टी लिखें। मोबाइल की जगह कम्प्यूटर का इस्तेमाल करें। हफ्ते में एक बार परिवार के साथ धार्मिक आयोजन जरूर करें। इससे मन को शांति मिलती है। टीवी देखने का समय भी निर्धारित होना चाहिए। जब भी बच्चे टीवी देखें, परिवार के साथ बैठकर देखें.

हर तीन में से एक रोगी

'मानसिक स्वास्थ्य पर मधुमेह का प्रभावÓ प्रोग्राम की अध्यक्षता करती हुई डॉ। तनु सिंह और डॉ। एसके सिंह ने कहा कि हर तीन में से एक मधुमेह रोगी को किसी न किसी प्रकार की मनोवैज्ञानिक समस्या होती है। मधुमेह तनाव से जुड़ा हुआ है और अवसाद मौजूदा मधुमेह को भी खराब कर सकता है.

मोबाइल के यूजर्स

90 करोड़

स्मार्टफोन यूजर्स

55 करोड़

मोबाइल एडिक्शन के शिकार

4 करोड़

2 से 15 एजग्रुप के शिकार

50 लाख

20 से 40 एजग्रुप

40 लाख

50 से 80 एजग्रुप

3.10 करोड़

लक्षण

-मानसिक रूप से चिड़चिड़ापन होना

-शारीरिक रूप से कमजोरी

-डायबिटीज की शिकायत

-आंखों की रोशनी कमजोर के साथ मानसिक तनाव

एडिक्शन से बचाव

-बच्चों को स्मार्ट फोन न दें

-अपने पास भी स्मार्ट फोन न रखें

-टीवी का समय निर्धारित रखें

-परिवार के साथ बैठकर टीवी देखें

-फोन की जगह लैंडलाइन का इस्तेमाल करें

-हफ्ते में एक बार धार्मिक आयोजन परिवार के साथ करें

-8 बजे के बाद घार में खान-पान न करें

-ई मेल के बजाय चिट्टी लिखने की आदत डालें

बच्चों को स्मार्ट मोबाइल से बचाएं। सबसे खतरनाक है। बीमार हो जाने पर इलाज करना मुश्किल है.

डॉवेणु गोपाल झंवर, मनोचिकित्सक

बच्चों के मानसिक विकास पर असर पड़ रहा है। एक बार एडिक्शन के शिकार हो जाने पर ठीक होने में समय लगता है.

डामोहिनी झंवर, ट्रस्टी, देवा फाउंडेशन-मिशन फॉर मैन बाइंड

Posted By: Inextlive