तीन साल पहले शुरू हुआ मेस 30 दिन भी नहीं चल पाया न पीने का साफ पानी और न स्वास्थ्य की है कोई व्यवस्था


वाराणसी (ब्यूरो)महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के हॉस्टल में रहने वाले छात्र-छात्राओं के मेस का पैसा लेकर फरार होने वाले संचालक को भले ही महाविद्यालय प्रशासन पकड़ न पाया हो, लेकिन बच्चों के खाने के लिए मेस का प्रबंध कर लिया गया है। हालांकि मेस की समस्या तो सिर्फ एक बानगी भर है, यहां के हॉस्टलर्स अन्य कई सारी समस्याओं से भी जूझ रहे हैं। विद्यापीठ में कोई भी ऐसा हॉस्टल नहीं है जहां छात्र-छात्राओं को मुकम्मल सुविधाएं मिल रही हो। हॉस्टल में न तो पीने के लिए साफ पानी है और न ही बीमार पडऩे पर प्राथमिक इलाज का कोई इंतजाम। यहीं नहीं अगर कोई छात्र गंभीर रूप से बीमार हो जाए तो एंबुलेंस तक नहीं है। भीषण गर्मी में भी छात्रों को महज एक पंखे के नीचे ही रहना पड़ता है।

इस तरह की है समस्या

आचार्य नरेन्द्रदेव छात्रावास में रहने वालों छात्रों का कहना हैं कि उनके हॉस्टल में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे इस हॉस्टल की तारिफ की जाए। पिछले कई साल से रंग रोगन न होने से दीवार से चूना गिर रहा है। गैलरी में सीलन होने की वजह से पूरी दीवारें खराब हो चुकी है। जहां कपड़ा फैलाने पर चूना का उस पर गिरने लगता है। इसके अलावा कुछ बाहरी छात्रों का भी हॉस्टल में कब्जा है। हॉस्टल के 130 रूम में 160 बच्चे रहते हैं, लेकिन इसमें 25 से 30 छात्र यही के लोकल है, जबकि नियमत: हॉस्टल में लोकल को अलाउ नहीं होता है। इसके साथ ही यहां जिस जगह पर पीने के पानी का वाटर कूलर लगा है, वहां जल निकासी का साधन नहीं है। पीने का पानी भी सही नहीं है। गंदा पानी होने की वजह से छात्र बीमार हो जाते हैं।

4 छात्रावास, सबकी हालत खराब

विद्यापीठ में यूजी छात्रों के लिए आचार्य नरेन्द्र देव छात्रावास, पीजी के लिए लाल बहादुर छात्रावास और पीएचडी के लिए संपूर्णानंद छात्रावास के अलावा छात्राओं के लिए जेके महिला छात्रावास है, लेकिन करीब-करीब हर छात्रावास की हालत ऐसी ही है। छात्रों का कहना है कि हॉस्टल में वार्डन भी नहंी आते हैं। लाइट खराब होने पर उसे बनने में दो दिन लग जाते हैं।

क्या कहते हंै छात्र

मेस संचालक का पैसा लेकर भागने के बाद से छात्रों का खाना बंद है। शुक्रवार को उन्हें खाना नहीं मिला, बाहर से जाकर खाना पड़ा। हालांकि शनिवार को एलबीएस में एक मेस चालू हो गया है। लेकिन अभी एएनडी में नहीं हुआ है। यहां के मेस में ताला लगा हुआ है।

विवेक गुप्ता, हॉस्टलर्स व छात्र नेता

हमने मेस के लिए पूरे महीने का एक साथ पैसा दिया है। इसलिए हमें खाना तो चाहिए। हॉस्टल में हमें वे सभी सुविधाएं नहीं मिल रही, जिसकी हमें जरूरत है। सिर्फ खाना नहीं, साफ पानी के लिए भी जूझना पड़ता है। शिकायत करने के बाद भी कोई सुनने वाला है नहीं है। मेस का खाना न मिलने की वजह से हमें खुद खाना बनाना पड़ रहा है।

यजेन्द्र जोशी, छात्र-एएनडी छात्रावास

हम सात हजार रूपए हॉस्टल का फीस देते है, लेकिन महाविद्यालय का कोई भी ऐसा छात्रावास नहीं है जो पूरी तरह से परफेक्ट हो। हर जगह खामियां है। सिर्फ यहीं नहीं गल्र्स हॉस्टल का भी बुरा हाल है। वहां बंदरों का आतंक है। वहां के चीफ वार्डेन का व्यवहार भी छात्राओं के प्रति अच्छा नहीं है।

अनीस कुमार, छात्र-एएनडी छात्रावास

तीन साल पहले यहां मेस की सुविधा शुरू की गई थी। पहले साल सिर्फ एक सप्ताह ही मेस चला और बंद हो गया। इसके बाद अब दोबारा शुरू हुआ और दो दिन में बंद हो गया। विवि प्रशासन को छात्रों के खाने के लिए बीएचयू की तरह टोकन सुविधा का सुझाव दिया गया था, लेकिन वैसा नहीं किया गया।

शिवजनक गुप्ता, छात्रसंघ उपाध्यक्ष

हॉस्टल्स में करीब आठ वॉटर कूलर लगे हैं, जो अच्छी स्थिति में हैं। हर महीने पानी की जांच भी होती है। इसके लिए एक एजेंसी भी हॉयर कर रखा गया है। सफाई भी नियमित होता है। समय-समय हॉस्टल्स का रंगरोगन भी होता है.

प्रोअमिता सिंह, चीफ प्रॉक्टर

Posted By: Inextlive