बूथों के सामने ठेला वालों का कब्जा लग रही दुकानें काशी के पिंक बूथों पर मिल रहे आलू गोभी बैगन टमाटर


वाराणसी (ब्यूरो)ईव टीजिंग और विमेन रिलेटेड क्राइम केसेस की तत्काल सुनवाई के लिए बनाए गए पिंक बूथ से काशी में कथित रूप से 'छेड़छाड़Ó हो गई। कुछ छेड़छाड़ बनारस पुलिस की अनदेखी से हुई तो रही सही कसर अतिक्रमणकारियों ने पूरी कर दी। हाल-फिलहाल वाराणसी कमिश्नरेट में कई जगह पिंक बूथ पर ताला है और उनके बाहर दुकानें लग रही हैं। पिंक बूथ में तैनात पुलिसकर्मी लापता हैं। मंगलवार को पिंक बूथों के रियलिटी चेक में चौंकाने वाले दृश्य सामने आए।

कहीं ठेला तो कहीं दुकान

पिंक बूथों पर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट टीम पहुंची तो कहीं बूथ के सामने ठेला पर सब्जी बेची जा रही थी तो कहीं फल। कई बूथों के सामने तो कपड़े की दुकान भी लगी हुई नजर आई। किसी भी पिंक बूथ पर महिला पुलिस या कोई नजर नहीं आया। ऐसे में अंदाजा लगा सकते हैं कि कमिश्नरेट पुलिस महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कितनी सजग है.

नई सड़क के बूथ पर ताला

समय: दोपहर 12.30 बजे

दैनिक जागरण आईनेक्स्ट टीम दोपहर 12.30 बजे नई सड़क पर बने पिंक बूथ पर पहुंची। वहां ताला लटका था। बूथ के सामने कई लोग कपड़े की दुकान लगाए हुए थे। जब टीम ने आस-पास के लोगों से इस विषय में पूछताछ तो उनका कहना था कि पिंक बूथ आज से नहीं बल्कि लंबे समय से बंद है।

सिगरा के बूथ पर ताला

टाइम: दोपहर 1.15 बजे

दोपहर 1.15 बजे टीम सिगरा में बने पिंक बूथ के पास पहुंची। वहां का नजारा भी कुछ नई सड़क जैसा ही था। लोगों ने बताया कि यहां लंबे समय से पिंक बूथ में ताला लगा है। पिंक बूथ के ठीक सामने ठेला सटा कर दुकानदार फल बेच रहे थे। कहीं भी कोई महिला पुलिसकर्मी यहां नजर नहीं आई.

मैदागिन में मुंह चिढ़ाता ताला

टाइम: दोपहर 2 बजे

मैैदागिन में बने पिंक बूथ का आईनेक्टस टीम दोपहर दो बजे पहुंची। यहां भी ताला लटका हुआ मिला। लोगों ने बताया कि कई माह से पिंक बूथ बंद है। महिलाएं शिकायत करने के लिए आती है और ताला लटका देख वापस लौट जाती हैं।

पुलिस भी बेखबर

महिलाओं के लिए शहर में 14 पिंक बूथ बने थे। हर पिंक बूथ पर 2 महिला पुलिस की तैनाती हुई थी। महिला पुलिस को 24 घंटे इन पिंक बूथों पर तैनात रहना था। इस समय की हकीकत ये है कि पिंक बूथ पर न महिला पुलिस की तैनाती थी और न ही वे खुले हुए थे। इस बारे में एडीसीपी महिला अपराध ममता रानी भी कुछ साफ-साफ नहीं बता पाईं और बस ये कहा कि पता कराया जाएगा कि पिंक बूथों पर ताला क्यों लटका है.

इसलिए खोले गए थे पिंक बूथ

महिलाओं और कॉलेज की छात्राओं के साथ छेडख़ानी की घटनाओं को रोकने के लिए महिला सहायता केन्द्र (पिंक बूथ) की स्थापना की गई थी। इनकी स्थापना भीड़भाड़ वाले स्थान, कॉलेज के पास या जहां महिलाओं का ज्यादा आना जाना रहता है वहां पर की गई थी। अगर किसी महिला के साथ कोई घटना होती है तो वह तत्काल यहां आकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकती थी। पिंक बूथ में एक महिला दरोगा और दो महिला सिपाहियों की नियुक्ति का प्रावधान है।

नहीं हुई सुनवाई

महिलाओं और बच्चों के अधिकारों के लिए कार्य कर रही गुडिय़ा संस्था के अध्यक्ष सुनील सिंह ने बताया कि पिंक बूथ महिला सुरक्षा के लिए बनाए गए थे। लेकिन ये लंबे समय से बंद हैं। जो खुले हैं वहां महिलाएं जब शिकायत लेकन पहुंचती हैं तो उन्हेें इधर-उधर दौड़ाया जाता है। कई बार इसके खिलाफ शिकायत की गई, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई.

शहर में 14 पिंक बूथ बनाए गए हैं। जिन बूथों पर महिला पुलिसकर्मी की तैनाती नहीं हैं, वहां मामले की जांच कराई जाएगी।

ममता रानी, एडीसीपी, महिला अपराध

Posted By: Inextlive