देश की सांस्कृतिक राजधानी काशी देव दीपावली पर एक बार फिर अद्भुत अविश्वसनीय व अकल्पनीय छठा की गवाह बनी. राजघाट से औपचारित दीप जलते ही गंगा के सभी 84 गंगा घाटों व रेती पर अलौकिक छठा बिखर गई. इस मनोहारी दृश्य को पहली बार लोगों ने जल और थल के साथ ही नभ से भी दीदार किया.

वाराणसी (ब्यूरो)। गंगा घाटों की सीढिय़ों और नाव के साथ ही रंग बिरंगे गुब्बारों (हॉट एयर बैलून) से इस बार देव दीपावली देखने का लोगों ने आनंद उठाया। गंगा उस पार डोमरी से उड़ाए गए बैलून से घाटों की अद्भुत छठा दिखाई दी। अपनी आंखों से अनूठे उत्सव का नाजारा लेने के लिए लाखों लोग गंगा घाटों पर पहुंचे। घाट की ओर जाने वाली हर गली लोगों से ठसाठस भरी दिखाई दी।

दीपों की अनगिनत श्रृंखला जल उठी
सूर्य अस्त होते ही माटी के दीपों में तेल की धार बह चली और रुई की बाती तर होते ही प्रकाशित होने को आतुर नजर आई। गोधूलि बेला के साथ ही एक-एक कर दीपों की अनगिनत श्रृंखला पूर्णिमा के चांद की चांदनी को चुनौती देने के लिए बेकरार हो चली।

Posted By: Inextlive