-पीडि़त नहीं माने हार, लगाते रहे कोर्ट का चक्कर

- आखिरकार पीडि़ता को मिला न्याय

-दो आरोपितों को विशेष न्यायालय पास्को से मिली सजा

- मानिटरिंग सेल की प्रभावी पैरवी पर कार्ट ने की कार्रवाई

कहा गया है कि सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं। शुक्रवार को वाराणसी में एक ऐसा ही मामला सामने आया जब पीडि़त के साथ दुष्कर्म हुआ है या नहीं इसे साबित करने में दो-चार नहीं पूरे नौ साल लग गए। इस बीच पीडि़त और उनके परिवार को कई तरह की प्रताड़नाएं भी झेलनी पड़ीं और न्यायालय के चक्कर भी लगाने पड़े, लेकिन खुद के साथ हुए अन्याय का बदला लेने की दृढ इच्छा-शक्ति और जुनून ही रहा कि आखिरकार आरोपितों को विशेष न्यायालय पास्को से शुक्रवार को सजा सुनाई गई। इसमें सबसे बड़ी भूमिका वाराणसी कमिश्नरेट के कैंट पुलिस और मानिटरिंग सेल की रही।

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मानिटरिंग सेल के अनुसार कैंट थाने में दर्ज दुष्कर्म और विवाह के लिए विवश के लिए किसी स्त्री के अपहरण के अलावा धमकी देने का मुकदमा वर्ष 2012 में दर्ज हुआ था। इस मामले में पीडि़त से पुलिस लगातार संपर्क में रही और उसे न्याय दिलाने के लिए अहम साक्ष्य भी न्यायालय में कैंट पुलिस ने प्रस्तुत किए। जिसके बाद शुक्रवार यानी 16 जुलाई 2021 को विशेष न्यायालय पास्को द्वारा चंदौली जिले के मुगलसराय थाना क्षेत्र के रहने वाले दुष्कर्म के आरोप में सात वर्ष की सश्रम कारावास और दस हजार रूपए के अर्थदण्ड से दण्डित किया। जबकि सहयोगी रही आरोपी शादी के लिए अपहरण के आरोप में वाराणसी कमिश्नरेट के शिवपुर थाना क्षेत्र की रहने वाली आरती श्रीवास्तव को पांच वर्ष के लिए सश्रम कारावास और पांच हजार रूपए के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया।

Posted By: Inextlive