रत्नेश्वर महादेव मंदिर के शिखर में कई और दरारें आईं पीएम मोदी ने इस मंदिर को किया था ट्वीट

वाराणसी (ब्यूरो) विश्वनाथ धाम की भव्यता सामने आते ही अचानक बनारस में श्रद्धालुओं की संख्या काफी बढ़ी है। अब तो 16 फरवरी से गंगा की तरफ का द्वार भी धाम जाने के लिए खोल दिया जाएगा। ऐसे में गंगा के रास्ते धाम जाने वालों की भीड़ बढ़ेगी, लेकिन रास्ते में एक तस्वीर ऐसी होगी, जिसे देखकर आस्था को चोट पहुंचेगी। जी हां, आपने सही पकड़ा। छह साल पहले अगस्त 2016 में विश्वनाथ धाम से सटे रत्नेश्वर महादेव मंदिर पर बिजली गिरने से शिखर क्षतिग्रस्त हो गया था, अभी तक उसकी मरम्मत नहीं हुई। इसके चलते मंदिर के शिखर में और दरारें आ गयी हैं। अभी तीन महीने पहले यह मंदिर खूब चर्चा में था, क्योंकि पीएम नरेंद्र मोदी ने एक ट्विटर चैलेंज में इस मंदिर को पहचानकर रीट्वीट किया था।

मंदिर में कीचड़

मणिकर्णिका और सिंधिया घाट के बीच स्थित रत्नेश्वर महादेव मंदिर कुदरत के अलावा नगर निगम की उपेक्षा का शिकार है। बाढ़ का पानी खत्म हुए कई माह बीत गए, लेकिन मंदिर के अंदर पड़े कीचड़ को अभी तक साफ नहीं किया गया। इसके चलते श्रद्धालुओं में रोष है। आसपास रहने वालों ने बताया कि छट समेत अन्य मौकों पर घाट की सफाई की गई, लेकिन मंदिर से कीचड़ नहीं हटाया गया।

काशी करवट भी कहते हैं

काशी के विशेष शिवालयों में शामिल रत्नेश्वर महादेव मंदिर गंगा भ्रमण पर आने वाले पयर्टकों के बीच आकर्षण का केंद्र है। इसकी विशेषता यह है कि आठ-नौ माह तक पूरी तरह गंगा जल से स्वत: अभिषेक होता है। गर्भगृह ही नहीं, इसका शिखर तक डूब जाता है। दूसरी विशेषता यह है कि पीसा की मीनार की तरह यह एक तरफ नौ डिग्री कोण पर झुका हुआ है, जबकि पीसा की मीनार केवल चार डिग्री कोण पर ही झुकी है, इसलिए बनारस के लोग इसे काशी करवट भी कहते हैं।

मंदिर से जुड़ी है ये कहानी

रानी अहिल्या बाई होलकर शहर में मंदिर और कुण्डों आदि का निर्माण करा रही थीं। उसी समय रानी की दासी रत्ना बाई ने भी मणिकर्णिका कुंड के समीप एक शिव मंदिर का निर्माण कराने की इच्छा जताई। इसके लिए उसने अहिल्या बाई से रुपये भी उधार लिए और इसे निर्मित कराया। अहिल्या बाई इसे देख अत्यंत प्रसन्न हुईं। उन्होंने दासी रत्ना बाई से कहा कि वह अपना नाम इस मंदिर में न दें, लेकिन दासी ने बाद में अपने नाम पर ही इस मंदिर का नाम रत्नेश्वर महादेव रख दिया। इस पर अहिल्या बाई नाराज हो गईं और श्राप दिया कि इस मंदिर में बहुत कम ही दर्शन पूजन की जा सकेगी। वर्ष में ज्यादातर समय यह मंदिर डूबा रहता है।

रत्नेश्वर महादेव मंदिर के बारे में जानकारी है। विश्वनाथ धाम के निर्माण के चलते उस मंदिर की मरम्मत नहीं हो सकी। चुनाव के बाद रत्नेश्वर महादेव मंदिर के शिखर को ठीक करा दिया जाएगा।

दीपक अग्रवाल, कमिश्नर

Posted By: Inextlive