भगवती लक्ष्मी की आराधना के लिए विशेष रूप से किया जाने वाले 16 दिवसीय व्रतानुष्ठान के दौरान लगने वाला सोरहिया मेला इस वर्ष भी स्थगित रहेगा। कोरोना के कारण गत वर्ष भी यह आयोजन नहीं किया गया था।

लक्ष्मीकुंड स्थित महालक्ष्मी मंदिर के महंत पं। शिवप्रसाद पांडेय ने बताया कि इस वर्ष महालक्ष्मी व्रतानुष्ठान की शुरुआत 13 सितंबर से होगी। महिलाएं व्रत का अनुष्ठान तो घरों में करेंगी, लेकिन मंदिर परिक्षेत्र में मेला नहीं लगेगा। इन दिनों में भगवती के दर्शन तो मिलेंगे लेकिन भीड़ नियंत्रित रखने के लिए परिक्रमा पर रोक लगा दी गई है। महंत ने बताया कि सोरहिया का मेला काशी के पारंपरिक मेलों में एक है। महालक्ष्मी के पूजन और व्रत का नाम सोरहिया पड़ा क्योंकि इसमें 16 के अंक का विशेष महत्व है। 16 दिन के व्रत और पूजन में 16 आचमन के बाद देवी विग्रह की 16 परिक्रमा की जाती है। माता को 16 अक्षत, 16 दूर्वा और 16 पल्लव अíपत किए जाते हैं। व्रत के लिए 16 गांठ का धागा धारण किया जाता है। प्रत्येक दिन 16 शब्द की कथा सुनी जाती है। 16वें दिन जीवितपुत्रिका या ज्यूतिया के निर्जल व्रत के साथ पूजन का समापन होता है।

Posted By: Inextlive