पीडब्ल्यूडी का दर्द- सड़क बनते देर नहीं होती है कि कुछ ही दिन बाद खोद दिया जाता है नगर निगम की सफाई- कभी सीवर तो कभी जल निकासी की समस्या के चलते खोदना पड़ता है


वाराणसी (ब्यूरो)सिटी ऑफ लेक की सड़क समझकर सरपट भागने की कोशिश जानलेवा साबित हो सकती है, क्योंकि इस नाम से चर्चित शहर की सड़कों की हालत वैसी नहीं है जैसा आप समझ रहे हैैं। यहां चलते-चलते कब गड्ढे आ जाएं, आप भाप भी नहीं पाएंगे। यहां की सड़क बनते देर नहीं होती है कि नगर निगम या फिर जल निगम कुछ ही दिन बाद खोद देते हैं। इसकी कोई एक बानगी नहीं है, बल्कि कई उदाहरण हैं। भेलूपुर की सड़क को देख लीजिए। पांच साल में तीन से चार बार बन चुकी है। इसके बाद भी हालत खराब है। ऐसे में पीडब्ल्यूडी का दावा है कि जिस सड़क की 15 साल तक चलने की गारंटी होती है वह पांच साल से पहले ही दम तोड़ देती है.

सावधानी हटी, दुर्घटना घटी

गड्ढों वाली सड़कों की हालत ऐसी बन चुकी है कि सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी। लाखों खर्च कर बनाई इन सड़कों की दशा और दुर्दशा को देखने वाला कोई नहीं है। दिन के समय में तो फिर भी गनीमत है, पर रात का सफर तो बिल्कुल ही नहीं कर सकते। हैरत तो इस बात की है कि शहर के पॉश एरिया की सड़कों की हालत भी ऐसी है.

करोड़ों खर्च के बाद भी सड़कें खराब

शहर के विकास पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए हैं, लेकिन सड़कों की हालत को देखकर यह विकास का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। वर्ष 2018 में 50 करोड़ रुपए की लागत से 10 सड़कों की मरम्मत कराई गई थी। पांच साल का समय नहीं बीता होगा कि सड़कों की हालत खस्ता हो गई। इतने रुपए खर्च करने के बाद सड़क पर गड्ढों की संख्या में कमी नहीं आई। इनमें पांडेयपुर, पहडिय़ा, लालपुर, भेलूपुर समेत कई सड़क शामिल हैं.

थोड़ी सी बारिश में लग जाता पानी

शहर के पॉश एरिया में शुमार भेलूपुर की मेन सड़क पर भी काफी बड़ा गड्ढा हो गया है। थोड़ी सी बारिश में ही यहां पानी भर जाता है। इस कारण इस गड्ढ़े का आकार बढ़ गया, जबकि इस रोड पर वाहनों का सबसे अधिक दबाव रहता है। सुबह हो या फिर शाम, जाम ही लगा रहता है। इसके चलते सड़क और भी जल्दी खराब होती है। वहीं पांडेयपुर चौराहे से लालपुर और पहडिय़ा की ओर जाने वाली सड़क खस्ताहाल है। वहां भी करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद सड़कें दुरुस्त नहीं हुई.

नगर निगम को नहीं दिखाई देता

पांडेयपुर से लालपुर और पहडिय़ा तक सड़क पर गड्ढे ही गड्ढे हैं, लेकिन नगर निगम को दिखाई नहीं देता। आम आदमी बचते-बचते गिर पड़ता है लेकिन नगर निगम इसे दुरुस्त नहीं करना चाहता। इस मार्ग पर बड़े-बड़े गड्ढे बन गए हैं। सबसे अधिक नारकीय स्थिति पांडेयपुर चौराहे की है। चौराहे के चारों तरफ गड्ढा ही गड्ढा है। फ्लाईओवर के किनारे-किनारे तो सड़क को खोदकर छोड़ दिया गया है। जो पैदल राहगीरों के साथ-साथ वाहन चालकों को चुभती रहती है.

एक साल पहले बनी थी सड़क

पांडेयपुर-लालपुर रोड एक साल पहले ही बनाई गई थी। उस समय प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सारनाथ में आए थे तो सड़कों का पैचवर्क किया गया था। अब फिर से खराब हो चुकी है। गड्ढे और सड़क पर बिखरी गिट्टियों से काफी धूल उड़ता है। इससे दुकानदारों को काफी दिक्कत होती है.

सड़कें बने एक महीना का भी समय नहीं बीतता है कि खोदकर छोड़ दी जाती है। इससे कारोबार पर काफी असर पड़ता है।

मनीष गुप्ता, अध्यक्ष, श्री व्यापार मंडल पांडेयपुर

सड़कों की गुणवत्ता अब देखने को नहीं मिलती। पहले दस से 15 साल तक सड़क पर गड्ढे वगैरह होते थे। अब तो बनते ही खराब हो जा रही हैं.

अजय गुप्ता दादा, कारोबारी

पीडल्ब्यूडी हो या फिर नगर निगम, आपस में तालमेल बनाकर सड़कों की मरम्मत करनी चाहिए तो बाद में खोदाई न हो सके.

रितेश जायसवाल, दुकानदार

जी-20 के समय सड़कों को बनाया गया था। अब कई जगह सड़कों में गड्ढा हो गया है। सतही तौर पर सभी सड़कें बनाई गई थीं.

रितेश गुप्ता, मंत्री, श्री व्यापार मंडल

सड़क को बनाने के बाद इसको मेंटेन करना काफी जरूरी है। इसके लिए विभाग को कर्मचारियों को लगाना चाहिए.

शैलेष गुप्ता, महामंत्री, श्री व्यापार मंडल पांडेयपुर

सड़कों की मरम्मत की जाती है लेकिन कभी सीवर की समस्या तो कभी जल निकासी की समस्या के चलते खोदना पड़ता है.

मोईनुद्दीन, चीफ इंजीनियर, नगर निगम

सड़क की लाइफ करीब 15 साल होती है लेकिन नगर निगम और जल निगम वाले खोद देते हैं। इसके चलते लाइफ कम हो जाती है.

केके सिंह, एक्सईएन, पीडब्ल्यूडी

Posted By: Inextlive