कृष्ण ने किया कालिया नाग का मर्दन तुलसीघाट पर निभाई गई परंपरा श्रीकृष्ण का नाग नथैया देखने पहुंचे कुंवर अनंत नारायण सिंह


वाराणसी (ब्यूरो)जिस कालिया नाग के चलते मथुरा वासियों में भय व्याप्त हो गया था और जिस कालिया नाग के चलते मथुरा में बहने वाली नदी का जल काला हो गया था। उसी कालिया नाग का भगवान मधुसूदन ने अपनी बाल लील के माध्यम से मान मर्दन किया और मथुरा वासियों के साथ साथ यमुना में रहने वाले जीवों को कालिया नाग के भय से मुक्त करते हुए अभय प्रदान किया। इसी लीला का मंचन तुलसी घाट पर शुक्रवार को काशी की विश्वविख्यात नाग नथैया लीला में हुआ। भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीला देखने के भक्त दोपहर से ही घाटों की सीढिय़ों पर जमे रहे। चार घंटे तक तपस्या करने के बाद भक्तों को प्रभु ने अपनी लीला दिखायी।

चौपाई पाठ से शुरू हुई लीला

तीन बजे से नाग नथैया की लीला का प्रारंभ हुआ जिसमें सबसे पहले घाट पर बनी व्यास चौकी व्यास लोगों ने भगवान की चौपाई शुरू की। भगवान कृष्ण अपने बाल सखा सुदामा व अन्य मित्रों के साथ यमुना के किनारे गेंद खेल रहे थे। खेलते वक्त गेंद यमुना के जल में चली गई। भगवान के गेंद लाने के लिए युमना में जाने की बात अपने मित्रों से कही.

लगा दी यमुना में छलांग

इस पर सुदामा ने कन्हैया को बताया कि यमुना में कालिया नाग रहता है जो बड़ा ही भयानक है और उसके भय से नदी में रहने वाले जलचर व पूरे मथुरावासी नदी के जल में प्रवेश नहीं करते हैं। भगवान कृष्ण ने दोस्तों के मना करने के बावजूद गेंद लाने के लिए यमुना में छलांग लगा दी.

हर-हर महादेव का जयघोष

भगवान के यमुना में छलांग लगाने के साथ ही घाट पर मौजूद लीला प्रेमियों ने दोनों हाथ उठाकर हर हर महादेव का जयघोष किया। जल में कालिया नाग से भगवान का युद्ध हुआ। उसे हराने के बाद भगवान श्रीकृष्ण कालिया नाग के पीठ पर खड़े होकर बंशी बजाते हुए जल से बाहर निकले। इस अद्भुत लीला को देखकर घाट पर मौजूद सभी श्रद्धालु भाव विभोर हो गए.

निभायी गई परिवार की परंपरा

काशी की पारंपरिक नाग नथैया लीला में बुधवार को कुंवर अनंत नारायण सिंह भी शामिल हुए। शाम को 4.30 बजे अपनी नाव से तुलसी घाट पर पहुंचे और नाग नथैया लीला को देखा.

बाल हनुमान की तरफ होता है श्रीकृष्ण का मुंह

अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास की तरफ से आयोजित होने वाली श्री कृष्ण रासलीला का आयोजन तुलसी घाट पर शुक्रवार शाम 4:40 पर संपन्न हुई। प्रो। विश्वम्भरनाथ मिश्र ने बताया कि यमुना बनी गंगा में कूदने के पूर्व कदम्ब की डाल पर चढ़े हुए कृष्ण का मुंह तुलसीघाट पर स्थित तुलसी मंदिर में बने बाल रूप हनुमान की तरफ ही होता है। यह एक आध्यात्मिक तकनीक है। ऐसा होने से कृष्ण बने बालक में बाल रूप हनुमान की शक्ति समाहित हो जाती है। प्रतीत होता है कि कुछ समय के लिए तुलसी घाट पर नाग नथैया संपन्न करने के लिए हनुमान जी खुद खड़े हो जाते हैं। इस बाल रूप हनुमान की स्थापना गोस्वामी तुलसीदास ने की थी.

Posted By: Inextlive